हरियाणा के फतेहाबाद में एक गांव ऐसा भी.... जहां ताली बजाते ही तालाब से बाहर आ जाते हैं कछुए !

There is a village in Fatehabad, Haryana where turtles come out of the pond as soon as they clap!

 

हरियाणा के फतेहाबाद जिले में स्थित काजलहेड़ी गांव कछुओं के सहारे पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित हो रहा है। इस गांव के तालाब में कछुए करीब 100 साल से अधिक का समय सुरक्षित माहौल में पल रहे हैं। ये कछुए तालाब के जल में रहते हैं और जब ताली बजती है तो वे पानी से बाहर आते हैं।

HARDUM HARYAN NEWS

फतेहाबाद |

हरियाणा के फतेहाबाद जिले में स्थित काजलहेड़ी गांव कछुओं के सहारे पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित हो रहा है। इस गांव के तालाब में कछुए करीब 100 साल से अधिक का समय सुरक्षित माहौल में पल रहे हैं। ये कछुए तालाब के जल में रहते हैं और जब ताली बजती है तो वे पानी से बाहर आते हैं।

बता दें कि काजलहेड़ी गांव बिश्नोई समुदाय का हिस्सा है, जिसके कारण यहां जीव रक्षकों की कमी नहीं होती है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि बिश्नोई समुदाय प्राकृतिक संरक्षण के प्रति अत्यंत संवेदनशील है और वे कछुओं की रक्षा करने के साथ- साथ उनके खाने- पीने की व्यवस्थाएं भी पर्याप्त रखते हैं।

गोरखपुर गांव में स्थित परमाणु संयंत्र को न्यूक्लियर पॉवर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (एनपीसीआईएल) ने तालाब के चारों ओर जाली लगवा दी है, जिससे उनकी सुरक्षा मजबूत हुई है। पिछले एक साल में 25 से 30 नए कछुए भी जन्म ले रहे हैं, जो एक अच्छी खबर है। इन कछुओं का अधिकांश भारतीय नरम खोल (इंडियन सॉफ्ट सॉल) प्रजाति के है।

सरपंच प्रतिनिधि ने दी ये जानकारी

गांव काजलहेड़ी में तालाब के बारे में सरपंच प्रतिनिधि जगतपाल गोदारा ने बताया कि रहे हैं कि इसे 300 साल पहले से भी बना हुआ है। यह तालाब पहले कुछ कछुए के पालने के लिए उपयोग में आता था और धीरे- धीरे इन कछुओं की संख्या बढ़ती गई। वर्तमान में, इस तालाब में करीब 200 से अधिक कछुए पाए जाते हैं, जो पांच एकड़ से भी बड़े इस तालाब में पल रहे हैं।

पहले छोटे कछुओं को लोग बंदर उठा ले जाते थे लेकिन एनपीसीआईएल ने कछुओं की सुरक्षा के साथ-साथ यहां इंटरलॉकिंग रोड बनवा दी है। इसके अलावा, इस रिसर्च के लिए एक भवन भी बनाया गया है जो गांव के पर्यटन के लिए उपयोगी है। यह सभी पहल करके गांव के पर्यटन को बढ़ावा देता है और स्थानीय प्रजातियों की संरक्षा करने में मददगार है।

मानद सदस्य ने बताई ये बातें

इस तालाब क्षेत्र को श्री गुरु गोरखनाथ सामुदायिक आरक्षित क्षेत्र के रूप में घोषित किया जानकारी साझा की. यह आरक्षित क्षेत्र उपलब्धि है और आपके गांव में सामुदायिक और सांस्कृतिक उपलब्धियों का प्रमुख केंद्र हो सकता है। बड़े- बड़े अधिकारी इस क्षेत्र का दौरा करने के लिए आते हैं- विनोद कड़वासरा, मानद सदस्य, वन्य जीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो, भारत सरकार