दुनिया की सबसे रहस्यमयी झील, झील का पानी छूते ही लोग बन जाते हैं पत्थर
कैमरून के उत्तर-पश्चिम में स्थित कुक झील के रंग और गंध में पिछले साल 2022 में 29 अगस्त के दिन अचानक परिवर्तन आ गया। इस परिवर्तन ने वहां के निवासियों के माथे पर चिंता की लकीरें खींच दी है। लोग अनहोनी की आशंका से डरे हुए हैं। लोग दहशत में हैं कि कहीं कुछ खतरनाक ना हो जाए, कोई विपदा ना आ जाए। लोगों का यह डर, यह दहशत यूं ही नहीं हैं। उन्हें 36 साल पहलें इस झील से 10 किलोमीटर दूर न्योस झील में हुई वह घटना याद आ गई है, जब झील में घातक गैसों का उत्सर्जन हुआ था। जिसके कारण करीब 8300 पशुओं व करीब 1746 लोगों का दम घुट गया था। वहीं दो साल पहले न्योस झील से लगभग 100 किमी दक्षिण-पश्चिम में मोनोम झील ने 37 लोगों की जान ले ली थी। न्योस झील के फटने के बाद, इसका पानी गहरे लाल रंग में बदल गया। ये वही विशेषताएं हैं जो हाल ही में कुक झील में प्रकट हुई हैं। न्योस झील के रंग में बदलाव गैस फटने के बाद ही देखा गया। भारी वर्षा को कुक झील की गंध और रंग में बदलाव से जोड़ा गया था। वर्तमान में यह माना जाता है कि, कैमरून की ज्वालामुखी रेखा पर घातक मात्रा में गैसें समाहित हैं। इस बात की संभावना है कि ज्वालामुखी गैसें किसी भी समय झील में रिस सकती हैं। यह घातक गैस रिलीज के लिए एक प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली के रूप में काम करेगा। यदि अधिकारी सक्रिय नहीं हुए, तो झील में न्योस आपदा जैसा हादसा फिर हो सकता है, जहां हजारों लोगों और पशुधन की जान जा सकती है।
झील का पानी छूते ही लोग बन जाते हैं पत्थर
विश्व में ऐसी कई खतरनाक झीलें हैं, जिनके रहस्य को आज तक कोई नहीं समझ सका है। तजानिया की नेट्रॉन झील भी इनमें से एक हैं। इस झील को लेकर काफी डरावनी मान्यताएं प्रचलित हैं। ऐसा माना जाता है कि इस झील के पानी को जो भी छूता है, वो पत्थर का बन जाता है। इस झील के आसपास कई पशु-पक्षियों की पत्थर की मूर्तियां मौजूद है। लोगों का मत है कि झील के किनारे विचरण कर रहे पशु जैसे ही झील का पानी पीने गए, उसे छूते ही पत्थर के बन गए। इन मूर्तियों को देखकर झील के भूतहा व जादूई होने की बातों को बल मिलता है। लोग इस झील के किनारे जाने से डरते हैं। दूर से ही इसका दीदार करने में अपनी भलाई समझते हैं। लोगों को डर इस बात का है कि अगर वे झील के पास गए और उसके पानी के संपर्क में आ गए तो वे भी पत्थर के बन जाएंगे। दूसरी तरफ इन सब के पीछे वैज्ञानिक वजह भी है। बता दें कि नेट्रॉन एक अल्केलाइन झील है, जहां के पानी में सोडियम कार्बोनेट की मात्रा काफी ज्यादा है। पानी में अल्केलाइन की मात्रा और अमोनिया की मात्रा एक समान है। ये सबकुछ ठीक वैसा ही है, जैसा इजिप्ट में लोग ममी को सुरक्षित करने के लिए करते थे। यही कारण है कि यहां पंक्षियों के शरीर सालों सुरक्षित रहते हैं। नेट्रॉन झील ही दुनिया में अकेला नहीं है, जिसमें खतरनाक रासायनिक तत्व पाए जाते हैं।
हिमालय की कंकालों वाली झील
हिमाचल की चोटियों के बीच स्थित रूपकुंड झील रहस्यों से भरी हुई है। इसे कंकालों की झील भी कहा जाता है। झील में एक अरसे से इंसानी हड्डियां बिखरी पड़ी हैं। इतने सारे कंकालों और हड्डियों को देख ऐसा आभास होता है कि शायद पहले यहां पर जरूर कुछ न कुछ बहुत बुरा हुआ होगा। एक अध्ययन ने रूपकुंड झील से जुड़े कई चौंकाने वाले खुलासे किए। इस अध्ययन के जरिए यह पता चला कि ये कंकाल 12वीं से 15वीं सदी के बीच के थे। डीएनए जांच के बाद कई नई चीजें सामने निकलकर आईं। यह भी पता चला कि इन कंकालों का संबंध अलग-अलग भौगोलिक जगहों से था। साल 1942 में एक ब्रिटिश फॉरेस्ट रेंजर ने गश्त के दौरान इस झील की खोज की थी। यहां इंसानी हड्डियां जहां-तहां बर्फ़ में दबी हुई हैं। तकरीबन आधी सदी से मानवविज्ञानी और वैज्ञानिक इन कंकालों का अध्ययन कर रहे हैं। बड़ी संख्या में पर्यटक यहां आते हैं और ये झील उनकी जिज्ञासा का कारण बनी हुई है। ये झील हिमालय की तीन चोटियों, जिन्हें त्रिशूल जैसी दिखने के कारण त्रिशूल के नाम से जाना जाता है, के बीच स्थित है। त्रिशूल को भारत की सबसे ऊंची पर्वत चोटियों में गिना जाता है जो कि उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र में स्थित हैं। रूपकुंड झील समुद्रतल से कऱीब 16,500 फीट यानी 5,029 मीटर की ऊंचाई पर मौजूद है। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि हिमालय पर्वत पर रहने वाली महिलाओं के एक प्रसिद्ध लोकगीत में एक माता का वर्णन आता है। लोकगीत के मुताबिक ये देवी माता बाहर से आए लोगों पर गुस्सा करती थीं, जो यहां आकर पहाड़ की सुंदरता में खलल डालते थे। इसी गुस्से में उन्होंने भारी भरकम ओलों की बारिश करवाई, जिसके कारण कई लोगों की जानें गईं थी।आज भी इस रूपकुंड झील के कई रहस्य झील के भीतर ही दफन हैं। झील में प्रवेश करने पर सख्त प्रतिबंध है।
झील के तट पर बनी अजीबो गरीब आकृतियां
अमेरिका की मिशिगल झील पर भी रहस्य का पर्दा लिपटा हुआ है। इस झील को लेकर वहां के लोगों में तरह तरह की चर्चाएं होती हैं। कोई इसमें भूतों का वास बताता है, तो कोई यहां काले जादू का साया बताता है। इस झील के पास तेज हवाओं की वजह से झील के तट पर अजीबोगरीब आकृतियां बन गईं, जिसे फोटोग्राफर ने अपने कैमरे में कैद कर लिया। इन आकृतियों को लेकर लेकर लोग काफी भयभीत हुए। कुदरत से बड़ा कोई कलाकार नहीं होता और प्रकृति अक्सर अपनी रचनाओं से लोगों को आकर्षिक करती है। हालांकि कई बार कई ऐसी चीजें भी सामने आती हैं, जिसे देखकर लोग कंफ्यूज हो जाते हैं। सोशल मीडिया पर झील में बनी अजीबो गरीब आकृतियों की तस्वीरें वायरल होने के बाद लोग हैरान रह गए और सोच में पड़ गए कि आखिर ये आकृतियां कैसे बनीं। कोई बारह मिलियन लोग इस झील के किनारे बसे हुए हैं। उत्तरी मिशिगन के कई छोटे शहर इस झील के किनारे बसे हैं और उनकी अर्थव्यवस्था पूरी तरह झील और उससे जुड़े पर्यटन पर टिका हुआ है। झील के किनारे तीस हजार से ज्यादा की आबादी बसती है। मिशिगन बड़ी झीलों में से एक मात्र ऐसी झील है जो पूरी तरह अमरीकी सीमा के अंदर स्थित है। बाकी दूसरी झीलों की सीमाएं कनाडा से भी लगती हैं। इसका सतही क्षेत्रफल लगभग 22,400 वर्गमील है, जो इसे अमरीका की गैर खारे पानी की सबसे बड़ी झीलों में शुमार कराती है और दुनिया की पांचवी सबसे बड़ी। यह झील 494 किलोमीटर लंबी 190 किलोमीटर) चौड़ी है। इसकी तटरेखा लगभग 2,633 किलोमीटर लंबी है। झील की औसत गहराई लगभग 279 फुट है जबकि अधिकतम गहराई 923 फुट है।