Food Inflation : लगभग सभी सब्जियों के दाम बढ़े , रसोई का खाना हुआ महंगा , जानिए पूरी जानकारी 
 

Food Inflation: Prices of almost all vegetables increased, kitchen food became expensive, know full details
 
 

आपको बता दें कि महंगाई डायन एक बार फिर चमक रही है. दूध पहले महंगा हुआ, फिर टोल मूल्य बढ़ा और अब यह हमारी रसोई में है। हाल के महीनों में रसोई के सामानों की कीमतें आसमान छू रही हैं और आम आदमी की थाली महंगी होती जा रही है। टमाटर, प्याज और खाद्य तेल सभी के दाम बढ़ गए हैं. एक महीने के अंदर सरसों तेल, सोयाबीन तेल समेत सभी के दाम करीब 15 फीसदी तक बढ़ गए हैं. इसका कारण देशी और विदेशी दोनों है। इस बार तेल की कीमतें दोगुनी हो गई हैं.

तेल, प्याज और टमाटर की बढ़ती कीमतों ने दाल फ्राई, पूड़ी-पराठा और सलाद भी महंगा कर दिया है. इस महीने में तेल की कीमतों में 15 फीसदी की भारी बढ़ोतरी हुई है और टमाटर और प्याज की कीमतें 50 रुपये प्रति किलोग्राम से ऊपर पहुंच गई हैं। इतना ही नहीं, आम आदमी की रोजाना जरूरत वाले आलू के दाम भी तेजी से बढ़ने लगे हैं.

सभी जानते हैं कि भारत अपना 60 फीसदी से ज्यादा तेल बाहर से खरीदता है, यही वजह है कि यह महंगा है। हाल ही में, ब्राज़ील और अर्जेंटीना से सोयाबीन तेल की आपूर्ति कम हो गई है, जिससे रिफाइंड तेल अधिक महंगा हो गया है। सरकार की ओर से अनाज खरीदने वाली संस्थाएं नाफेड और हैफेड ने भी सरसों में बड़ी मात्रा में अनाज खरीदा है, जबकि किसान बाजार में अपनी फसल बेचने के बजाय कीमतें बढ़ने का इंतजार कर रहे हैं। दूसरी ओर, शादी का सीजन होने के कारण मांग लगातार बढ़ रही है और कम आपूर्ति से कीमतें बढ़ती नजर आ रही हैं। ब्राज़ील में बाढ़ के कारण सोयाबीन उत्पादन प्रभावित हुआ है, जबकि अर्जेंटीना में श्रमिकों का विरोध प्रदर्शन जारी है।

प्याज, टमाटर और आलू रसोई में सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाली सब्जियों में से हैं। हालांकि, 17 मई को देश की सबसे बड़ी प्याज मंडी नासिक की लासलगांव मंडी में प्याज की थोक कीमत 26 रुपये प्रति किलो से बढ़कर 30 रुपये प्रति किलो हो गई थी और खुदरा बाजार में यह 50 रुपये के आसपास बिक ​​रहा था। टमाटर भी लाल हो रहे हैं. जून से पहले जो टमाटर 30-35 रुपये प्रति किलो बिक रहा था, वह अब 50 से 60 रुपये प्रति किलो बिक रहा है. शहरों में आलू की कीमत 40 रुपये प्रति किलो है, लेकिन ज्यादातर खुदरा बाजारों में यह 30 रुपये प्रति किलो से ज्यादा नहीं है. व्यापारियों का कहना है कि जुलाई से पहले सब्जियों के दाम कम नहीं होंगे।
यह भारत के लिए हर समय सिरदर्द बना हुआ है, चाहे वह वाहन हो या खाद्य तेल। आयात पर हमारी निर्भरता सबसे बड़ा कारण है. आपको जानकर हैरानी होगी कि देश में खाद्य तेल की सालाना खपत करीब 22 मिलियन टन है। 15 मिलियन टन आयात की जरूरत है. जाहिर है कि विदेशी बाजार में कोई भी बदलाव सीधे हमारे आयात बिल पर पड़ेगा, जिसका असर अंततः हमारे भोजन पर पड़ेगा। जहां सरसों की कीमत एमएसपी 5,650 रुपये प्रति क्विंटल से ऊपर चली गई है, वहीं देश में किसान भी बाजार में सरसों बेचने के बजाय कीमतें और बढ़ने का इंतजार कर रहे हैं।