ईश्वर ढोंग से नहीं, सच्ची भक्ति से प्रसन्न होते हैं : रघुबीर महाराज

God is not pleased with pretense but with true devotion: Raghubir Maharaj
 
सिरसा। अखिल भारतीय श्री राममुलख-दयाल योग प्रचार समिति के प्रधान योगाचार्य व पदैन संचालक योग गुरु रघुबीर महाराज ने मासांत सत्संग के पवित्र मौके पर उपस्थित श्रद्धालुओं को फरमाया कि ईश्वर ढोंग से नहीं, सच्ची भक्ति से प्रसन्न होते हैं। प्रभु को प्रसन्न करने के लिये सच्ची भक्ति अनिवार्य है। सच्ची भक्ति बिना गोबिंद को खुश करना नामुम‌किन है। इस संबंध में परम संत कबीर महाराज बड़े सुन्दर शब्दों में फरमाया कि माथे तिलक हथ माला बाना, लोगो ने राम खिलौना जाना। ईश्वर कभी भी बाहरी वेशभूषा से प्रसन्न नहीं होते। चाहे मनुष्य माथे पर तिलक, हाथों में माला व खास वस्तु क्यूं न पहन लें। प्रत्येक नर-नारी को सच्चे प्रेमी बनना होगा, तभी परमपिता परमात्मा उन पर खुश होंगे। लोग कहते हैं, कागज लेखी रघुबीर कहता है आंखिन देखी। कलियुग के अवतार योगेश्वर प्रभु राम-मुखख दयाल महाराज ने साधकों को यह पवित्र संदेश दिया, ढोंग से बचो और परमात्मा के सच्च्ची सच्चे प्रेमी बनो। जो सच्चा प्रेमी बनेगा, वही परमात्मा को पायेगा, बिना सच्चा भक्त बने ईश्वर दर्शन असम्भव है। रघुबीर महाराज ने आगे फरमाया कि सच्ची साधना, सच्ची भक्ति मन से होती हैं, तन से नहीं। तन तो केवल साधन मात्र हैं। आम लोग सच्ची भक्ति के रहस्य को नहीं समझ पाये। लोगों ने तन को सुन्दर बनाने की ओर ध्यान दिया, मन को पवित्र बनाने की ओर कोई ध्यान नहीं दिया । मन तो पवित्र ईश्वर के सतत् ध्यान से होते हैं। परंतु सन्त गुरुनानक देव महाराज, रविदास, कबीर, प्रभु राम-मुलख द‌याल ने सदैव बाहरी ढोंग का विरोध किया और सतपंथ के प्रेमी बनने की प्रेरणा दी। अन्त में रघुबीर महाराज ने फरमाया, कि ढोंग से बचो और ईश्वर के सच्चे प्रेमी बनो। इस सिद्धांत पर चलने से आपका अवश्य कल्याण होगा। इस पवित्र अवसर पर पृथ्वीसिंह बैनीवाल, लछमन सिंह योगाचार्य, अरुण चौधरी, मास्टर हनीष, अनीता, हरी सिंह एडवोकेट, विक्रम, खेमचंद, दामोदर, विजय मैहता, राम सकल यादव, शशी कान्त, दया राम यादव आदि भक्तजन मौजूद थे।