अभिभावकों व स्टाफ सदस्यों ने एडीसी को सौंपा ज्ञापन
कहा, निजी हस्तक्षेप समाप्त कर गैर सरकारी सदस्यों से पूर्ण कब्जा हटवाकर दाखिले करवाए जाएं

Parents and staff members submitted memorandum to ADC
Said, private interference should be ended and admissions should be done by removing complete encroachment from non-government members.
 

सिरसा।

शहर के बाल भवन रोड स्थित हेलन केलर स्कूल में हरियाणा सरकार की ओर से जारी हुए आदेशों को पूर्णतया लागू करके निजी हस्तक्षेप को समाप्त करते हुए गैर

सरकारी सदस्यों से पूर्ण रूप से कब्जा हटाकर दिव्यांग दृष्टिबाधितार्थ बच्चों के नए शिक्षा सत्र 2024-25 को सुचारू रूप से चलाने को लेकर स्टाफ सदस्यों व

अभिभावकों ने एडीसी सिरसा को ज्ञापन सौंपा। एडीसी को दिए ज्ञापन में अभिभावक व स्टाफ सदस्यों साईंदास, किरपाल, गोवर्धन, वजीरचंद, भागीरथ, वजीर सिंह,

प्रियंका, बाला, किरण, सरोज, संजय कुमार, राजेश कुमार, तुषार श्रीवास्तव, अमित अनुपम व पवन कुमार ने बताया कि हेलन केलर दिव्यांग विद्यालय, सिरसा में

निजी हस्तक्षेप (प्रधान रमता सोनी) व अन्य षडयंत्रकारी सहयोगी स्टाफ के कारण दिव्यांग दृष्टिबाधितार्थ बच्चों की शिक्षा के अधिकारों का हनन व स्टाफ सदस्यों,

अभिभावकों के प्रति दुव्र्यवहार, अभद्र भाषाशैली जैसी बहुत सी अनियमितताएं काफी समय से चल रही थी। जिसको लेका 4 मार्च 2024 को हेलन केलर दिव्यांग

स्कूल स्टाफ  व अभिभावक एवं संघर्ष समिति ने सामथ्र्य इंस्टीटयूट फॉर डिसेबल्ड के साथ मिलकर अपनी समस्याओं की मांगों को लेकर उपायुक्त कार्यालय के समक्ष

धरना प्रदर्शन शुरू किया था। मुख्यमंत्री को भी इस संबंधी शिकायत पत्र भेजा गया। विद्यालय के स्टाफ  सदस्यों की मांग को जायज मानते हुए  मुख्यमंत्री 14 मार्च

2024 को समस्या के समाधान हेतु आदेश पारित करते हुए इस स्कूल को जिला प्रशासन के अंतर्गत चलाने के आदेश दिए, जिन्हें अभी तक पूर्ण रूप से लागू नहीं

किया गया है। उन्होंने मांग की कि हरियाणा सरकार की ओर से आए आदेशों को दिव्यांगों के हित में शीघ्र अति शीघ्र लागू करते हुए निजी हस्तक्षेप को समाप्त कर

गैर सरकारी सभी सदस्यों से पूर्ण रूप से कब्जा हटवाया जाए और दिव्यांग दृष्टिबाधितार्थ बच्चों के नये शिक्षा सत्र 2024-25 को मद्देनजर रखते हुए उपायुक्त के आदेश

पर धरना समाप्त करवाकर धरनारत सभी स्टाफ  सदस्यों की उपस्थिति दर्ज करवाने का काम करें। ताकि दिव्यांग बच्चों के हित में शिक्षा सुचारू रूप से चलती रहे

और दिव्यांग बच्चों की शिक्षा के अधिकारों का हनन न हो।