हरियाणा में राज्यसभा सीट के लिए बजा चुनावी बिगुल, भाजपा की जीत मानी जा रही तय

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राज्यसभा सीट

हरियाणा में राज्यसभा सीट के लिए बजा चुनावी बिगुल, भाजपा की जीत मानी जा रही तय


राज्यसभा की रिक्त हुई 6 सीटों के लिए उपचुनाव का बिगुल बज चुका है और इसमें हरियाणा की भी एक सीट शामिल है। इसराना से भाजपा से विधायक चुने जाने के बाद कृष्ण पंवार ने राज्यसभा से इस्तीफा दे दिया था और उसके बाद प्रदेश की यह एक सीट खाली हुई थी। इस सीट पर 20 दिसंबर को मतदान होगा और उसी दिन नतीजे भी घोषित कर दिए जाएंगे। विधायकों की संख्या के लिहाज से यह सीट भाजपा के खाते में जानी तय मानी जा रही है तो इस सीट को लेकर होने वाले चुनाव में सियासी पर्यवेक्षकों की निगाहें इस बात पर भी रहेंगी कि चुनाव में कांग्रेस का क्या रुख रहता है? 


गौरतलब है कि हरियाणा में विधायकों की संख्या के अनुपात के हिसाब से राज्यसभा की पांच सीटें हैं। हरियाणा की एक सीट को लेकर 10 दिसम्बर तक नामांकन प्रक्रिया चलेगी। कृष्ण लाल पंवार 2014 में भाजपा में शामिल हुए थे और इसराना से विधायक चुने जाने के बाद उन्हें परिवहन मंत्री बनाया गया था। 2019 में पंवार विधानसभा का चुनाव हार गए। इस साल अक्तूबर में पंवार फिर से इसराना से विधायक चुने गए और उन्हें नायब सैनी की सरकार में कैबिनेट मंत्री बनाया गया है। पंवार 2 अगस्त 2022 को भाजपा से राज्यसभा के सदस्य बने थे। उनका कार्यकाल 1 अगस्त 2028 तक था, लेकिन इसी बीच इस बार के विधानसभा चुनाव में विधायक बनने के बाद उन्होंने इसी वर्ष 14 अक्तूबर को राज्यसभा सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था। ऐसे में हरियाणा में एक सीट के लिए उपचुनाव होना है। वर्तमान विधानसभा के परिदृश्य को देखें तो भाजपा के पास 48, कांग्रेस के पास 37 तो इनैलो के पास 2 विधायक हैं। इस बार तीन आजाद विधायक भी निर्वाचित हुए हैं और उन्होंने भी भाजपा को अपना समर्थन दे दिया है। ऐसे में भाजपा के पास 51 विधायकों का बहुमत है। सियासी पर्यवेक्षक मानते हैं कि विधायकों की संख्या के अनुपात के दृष्टिगत भाजपा का उम्मीदवार ही चुना जाना तय है और ऐसा हो सकता है कि चुनाव होने की नौबत भी न आए। उल्लेखनीय है कि इसी साल रोहतक से लोकसभा का सदस्य चुने जाने के बाद दीपेंद्र हुड्डा ने 4 जून को राज्यसभा सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था। दीपेंद्र 10 अप्रैल 2020 को राज्यसभा के सदस्य चुने गए थे। बाद में इस सीट पर भाजपा की ओर से किरण चौधरी को मैदान में उतारा गया था और वे सर्वसम्मति से 27 अगस्त को राज्यसभा की सदस्य चुनी गई थीं। सियासी पर्यवेक्षक मानते हैं कि भाजपा के पास विधायकों की पर्याप्त संख्या है और ऐसे में इस बार भी कांग्रेस उम्मीदवार मैदान में नहीं उतारेगी और भाजपा जिसे भी अपना प्रत्याशी बनाएगी, उसका सर्वसम्मति से चुना जाना लगभग तय माना जा रहा है। ऐसे में राज्यसभा हाऊस में हरियाणा से सभी पांचों सदस्य भाजपा व समर्थित हो जाएंगे।
यह है राज्यसभा सीट के लिए चुनाव का शैड्यूल


गौरतलब है कि भारतीय निर्वाचन आयोग की ओर से मंगलवार को हरियाणा सहित राज्यसभा की 6 खाली सीटों के लिए चुनाव की तारीखों का ऐलान किया गया। हरियाणा की एक सीट पर भी चुनाव होना है। आयोग की ओर से जारी की गई अधिसूचना के मुताबिक राज्यसभा की 6 सीटों के लिए 20 दिसंबर को वोटिंग होगी और इसमें हरियाणा की एक सीट भी शामिल है, जबकि आंध्र प्रदेश की 3 सीट, ओडि़शा की एक सीट, पश्चिम बंगाल की एक सीट के लिए भी वोटिंग की जाएगी। चुनाव आयोग की अधिसूचना के मुताबिक उम्मीदवार 10 दिसंबर तक अपना नामांकन दाखिल कर सकेंगे। वहीं 13 दिसंबर तक प्रत्याशी अपना नाम भी वापस ले सकेंगे। इसके बाद 20 दिसंबर को सुबह 9 बजे से शाम 4 बजे तक राज्यसभा के लिए वोटिंग होगी।  वोटिंग हो जाने के बाद उसी दिन शाम को 5 बजे वोटों की गिनती होगी और 20 दिसंबर को ही राज्यसभा चुनाव के नतीजे भी घोषित कर दिए जाएंगे। 
जातीय समीकरणों को साधने की कवायद करेगी भाजपा


गौरतलब है कि हरियाणा में राज्यसभा की पांच सीटें हैं। इसराना से भाजपा का विधायक चुने जाने के बाद कृष्ण पंवार ने राज्यसभा सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था और अब ऐसे में एक सीट खाली है। शेष 4 सीटों पर भी भाजपा व उसके समर्थित नेता सदस्य हैं। रामचंद्र जांगड़ा, सुभाष बराला एवं किरण चौधरी भाजपा से राज्यसभा के सदस्य हैं जबकि निर्दलीय सांसद कार्तिकेय शर्मा भी भाजपा और जजपा के समर्थन के बाद राज्यसभा के सदस्य चुने गए थे। सियासी विश£ेषक मानते हैं कि राज्यसभा की एक सीट के लिए होने वाले चुनाव में भाजपा जातीय समीकरणों को साधने की कवायद करेगी। कार्तिकेय शर्मा ब्राह्मण समुदाय से आते हैं जबकि सुभाष बराला एवं किरण चौधरी जाट वर्ग से ताल्लुक रखते हैं। रामचंद्र जांगड़ा पिछड़ा वर्ग से संबंध रखते हैं। चूंकि कृष्ण पंवार अनुसूचित समुदाय से आते हैं और ऐसे में उनके इस्तीफे के बाद यह सीट खाली हुई है तो ऐसी संभावना व्यक्त की जा रही है कि भाजपा अनुसूचित समुदाय के किसी व्यक्ति को राज्यसभा में भेज सकती है। इसके अलावा अन्य किसी वर्ग के नेता की भी लॉटरी लग सकती है।