Saptahik Vrat Tyohar 17 To 23 June :  निर्जला एकादशी से ज्येष्ठ पूर्णिमा तक इस सप्ताह के व्रत एवं त्योहार , जानिए पूरी जानकारी 
 

Saptahik Vrat Tyohar 17 To 23 June : This week's fasts and festivals from Nirjala Ekadashi to Jyeshtha Purnima, know full details
 

जून का यह सप्ताह व्रत और त्योहारों के लिहाज से बेहद खास माना जाता है। मौजूदा सप्ताह की शुरुआत ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी से हो रही है और इस दिन निर्जला एकादशी का व्रत रखा जाएगा। निर्जला एकादशी के साथ इस सप्ताह बुध प्रदोष व्रत और ज्येष्ठ पूर्णिमा व्रत सहित कई प्रमुख व्रत और त्योहार आने वाले हैं। साथ ही यह सप्ताह शुक्ल पक्ष के अंत और कृष्ण पक्ष की शुरुआत का प्रतीक होगा। इस सप्ताह व्रत त्योहारों के साथ सूर्य और बुध आद्र नक्षत्र में प्रवेश करने जा रहे हैं। आइए जानते हैं जून माह के इस सप्ताह के प्रमुख व्रत और त्योहारों के बारे में।

निर्जला एकादशी (सोमवार, 17 जून)

ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को सर्वोत्तम एकादशी माना जाता है। भीमसेन ने भी निर्जला एकादशी व्रत रखा था, इसलिए इसे भीमसेन एकादशी व्रत या निर्जला एकादशी व्रत कहा जाता है। इस दिन, स्मार्त या गृहस्थ लोग उपवास रखेंगे और अगली सुबह उपवास तोड़ेंगे। इस एकादशी का व्रत करने से साल भर की सभी एकादशियों के व्रत का फल प्राप्त होता है। एकादशी तिथि सुबह 4.43 बजे शुरू होगी और अगले दिन सुबह 6.24 बजे समाप्त होगी।

वैष्णव निर्जला एकादशी (मंगलवार, 18 जून)
इस दिन वैष्णव संप्रदाय के लोग निर्जला एकादशी व्रत रखेंगे। इस दिन द्वादशी तिथि सुबह 6 बजकर 24 मिनट पर लगेगी. इस दिन वैष्णव यानी साधु-संन्यासी लोग एकादशी का व्रत रखते हैं। इस दिन विधिपूर्वक पूजा करने से वैष्णव पद की प्राप्ति होती है। साथ ही, इस दिन कूर्म जयंती है, जिसका अर्थ है कि भगवान विष्णु ने 'कच्छप अवतार' (कछुआ अवतार) लिया था।

बुध प्रदोष व्रत (बुधवार, 19 जून)
ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की तेरस तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाएगा। यह व्रत बुधवार को पड़ रहा है इसलिए इसे बुध प्रदोष व्रत कहा जाएगा। इस दिन व्रत करने से धन, संपत्ति, सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है। भगवान शिव को समर्पित इस व्रत को करने से व्यक्ति जन्म और मृत्यु के बंधन से मुक्त हो जाता है और मोक्ष प्राप्त करता है। साथ ही इस व्रत को करने से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं।
व्रत की पूर्णिमा (शुक्रवार, 21 जून)
ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को व्रत की पूर्णिमा कहा जाता है। यदि किसी जातक की कुंडली में चंद्र दोष हो तो उसे दूर करने के लिए पूर्णिमा का व्रत किया जाता है। साथ ही इस दिन भगवान सत्यनारायण की कथा का आयोजन किया जाता है, ऐसा करने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है। साथ ही रात के समय देवी लक्ष्मी की पूजा करने से धन-धान्य में वृद्धि होती है।