करवाचौथ पर सरगी क्यों होती है महत्वपूर्ण, सास ना हो तो कौन दे सकता है सरगी 
 

 

करवाचौथ एक महत्वपूर्ण हिन्दू पर्व है जिसे विशेष रूप से महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और खुशहाल जीवन की कामना के लिए मनाती हैं। इस दिन महिलाएं दिनभर उपवासी रहती हैं और रात को चंद्रमा को देखकर अपने पति का चेहरा देख कर उपवास खोलती हैं। इसके अलावा, इस पर्व की एक खास रस्म होती है जिसे "सरगी" कहा जाता है। आइए जानते हैं सरगी का महत्व और यदि सास न हो तो कौन दे सकता है सरगी।

सरगी क्या होती है?
सरगी एक प्रकार की विशेष पारंपरिक भेट होती है जो सास अपनी बहू को करवाचौथ के दिन देती है। इसमें आमतौर पर कुछ विशेष खाने की चीजें होती हैं जिन्हें बहू उपवासी रहने से पहले खाती है। सरगी के जरिए सास अपनी बहू को आशीर्वाद देती हैं ताकि बहू पूरे दिन स्वस्थ रहे और उपवासी रहकर अपने पति की लंबी उम्र की कामना कर सके।

सरगी में आमतौर पर निम्नलिखित चीजें शामिल होती हैं:

फल: जैसे सेब, केला, संतरा
मिठाई: हलवा, सेवइयां, या अन्य पारंपरिक मिठाइयाँ
नमकीन: चाय, नमकीन मूंगफली
दूध या शरबत: जो उपवासी रहने से पहले पीने के लिए होता है


सरगी का महत्व:
आशीर्वाद और प्रेम: सरगी सास के द्वारा अपनी बहू को आशीर्वाद देने का एक तरीका है। यह एक प्रकार से बहू के स्वास्थ्य और पति की लंबी उम्र के लिए सास की शुभकामनाओं का प्रतीक होता है।
रिश्तों की मजबूती: यह परंपरा परिवारों में रिश्तों को मजबूत करने का काम करती है। सास अपनी बहू के साथ अपने प्रेम और स्नेह का प्रदर्शन करती है।
धार्मिक कर्तव्य: करवा चौथ का पर्व एक महिला की धार्मिक जिम्मेदारी भी होती है, और सरगी इस जिम्मेदारी को निभाने का एक हिस्सा है।


सास ना हो तो कौन दे सकता है सरगी?
यदि किसी महिला की सास नहीं है, तो वह सरगी किससे प्राप्त करेगी, यह सवाल उठता है। ऐसे में कई विकल्प हैं:

सास की ओर से कोई अन्य महिला परिवार सदस्य:

यदि सास नहीं हैं, तो कभी-कभी सास की बहन या किसी अन्य परिवार की वरिष्ठ महिला (जैसे चाची, मामी, या नानी) सरगी दे सकती है। यह परंपरा के अनुसार एक सम्मानजनक तरीका होता है।
महिलाओं की मित्र:

अगर कोई महिला अकेली रहती है और सास की कोई महिला रिश्तेदार भी नहीं है, तो उसकी मित्र भी उसे सरगी दे सकती है। ऐसी स्थिति में, सरगी देने वाली महिला इस परंपरा को निभाने में मदद करती है, और इसे एक आधिकारिक रूप से स्वीकार किया जाता है।
पति:

यदि पत्नी की सास नहीं है, तो पति भी सरगी देने का कार्य कर सकते हैं। हालांकि यह पारंपरिक रूप से सास का काम है, लेकिन कुछ जगहों पर पति इसे अपनी पत्नी के प्रति स्नेह और प्रेम के तौर पर भी देते हैं।
स्वयं के लिए उपहार:

कई महिलाएं इस दिन खुद को सरगी देती हैं। इस प्रक्रिया में, वे अपनी पसंद की चीजों का सेवन करती हैं और इस दिन की महत्ता को समझती हैं। यह एक तरह से अपनी खुशियों और सेहत के लिए खुद को आशीर्वाद देने जैसा होता है।