सिरसा क्यों है किन्नू, कॉटन व गेहूं का हब जानिए

 

जानिए सिरसा क्यों है किन्नू, कॉटन व गेहूं का हब


कृषि आधारित सिरसा संसदीय क्षेत्र में खेती आधारित कारखाने लगाने और बेसहारा पशुओं को आश्रय देना नए विधायकों के लिए सबसे बड़ी चुनौती है। खास बात यह है कि सिरसा जिला में सभी पांचों विधायक विपक्ष में हैं। सिरसा के विधायक गोकुल सेतिया भी विपक्ष में हैं।

कालांवाली से कांग्रेस के शीशपाल केहरवाला, डबवाली से इनैलो के आदित्य देवीलाल, ऐलनाबाद से कांग्रेस के भरत सिंह बैनीवाल तो रानियां से इनैलो के अर्जुन चौटाला विधायक हैं। सिरसा संसदीय क्षेत्र के फतेहाबाद में कांग्रेस के बलवान दौलतपुरिया, रतिया से कांग्रेस के जरनैल सिंह तो टोहाना से कांग्रेस के परमवीर सिंह विधायक निर्वाचित हुए हैं। सिरसा संसदीय क्षेत्र में हरियाणा का 50 फीसदी नरमे का उत्पादन होता है। इसी तरह से इस क्षेत्र में प्रदेश में सबसे अधिक 40 हजार हैक्टेयर में किन्नू के बाग हैं। सबसे अधिक गेहूं का उत्पादन यहां होता है और सबसे अधिक गौशालाएं भी इसी क्षेत्र में हैं। बावजूद इसके यह क्षेत्र पिछड़ेपन का शिकार है। कोई बड़ा कारखाना नहीं है। सिरसा संसदीय क्षेत्र के विकास से जुड़े मुद्दों को सिलसिले वार पाठकों के समक्ष रखेंगे। आज की रिपोर्ट में इंडस्ट्री और गौवंश को लेकर विशेष पड़ताल: 

 सिरसा संसदीय क्षेत्र में कॉटन उद्योग की सख्त जरूरत हैं।

सिरसा संसदीय क्षेत्र में पूरे प्रदेश का करीब 65 प्रतिशत कॉटन का उत्पादन होता है। हर साल रबी सीजन में यहां करीब 2 लाख 90 हजार हैक्टेयर में 14 लाख गांठ कॉटन का उत्पादन होता है। यहां पर कॉटन के छोटे कारखाने यानी जिनिंग कारखानों की संख्या 45 है। एक भी टैक्सटाइल मिल नहीं है। स्वयं प्रधानमंत्री ने चुनाव के समय यहां सिरसा की रैली में उद्योग लगाए जाने की बात कही थी। करीब 200 किलोमीटर तक फैले 19 लाख 20 हजार मतदाताओं वाला सिरसा संसदीय क्षेत्र पंजाब व राजस्थान के साथ सटा इलाका है। यह इलाका कॉटन काऊंटी के रूप में जाना जाता है। सिरसा जिला में हर साल खरीफ सीजन में 2 लाख हैक्टेयर जबकि फतेहाबाद में 1 लाख हैक्टेयर कॉटन का उत्पादन होता है। इसी संसदीय क्षेत्र के हिस्से जींद के नरवाना में भी 15 हजार हैक्टेयर कॉटन का उत्पादन होता है। सिरसा पूरे प्रदेश में गेहूं उत्पादन में अव्वल है तो सिरसा और फतेहाबाद किन्नू उत्पादन में टॉप पर हैं। बावजूद इसके यहां एक भी अदद कृषि उद्योग नहीं है। कॉटन का हब है, 1 भी स्पिङ्क्षनग मिल नहीं है। प्रत्येक चुनाव में यहां पर सियासी दल उद्योग राग अलापते हैं। नेता वादा करते हैं, भूल जाते हैं। ऐसे में यह इलाका उद्योगों में पिछड़ा हुआ है। 25 दिसम्बर 2010 को तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेंद्र ङ्क्षसह हुड्डा ने सिरसा को पिछड़ा औद्योगिक जिला घोषित किया था। इसके बाद सरकार बदली तो किरदार बदल गए, लेकिन कैसेट वही पुरानी चलती रही। ऐसे में सिरसा जिला औद्योगिग लिहाज से लगातार पिछड़ रहा है।

इस समय जिला में करीब 36 जिङ्क्षनग फैक्टरी हैं, जबकि यहां कोई भी स्पिङ्क्षनग मिल नहीं है। कुल मिलाकर सिरसा व फतेहाबाद में 60 जिङ्क्षनग कारखाने हैं। यहां महज 5 ही मंझोले उद्योग हैं जबकि 2091 कुटीर एवं 64 लघु उद्योग हैं, लेकिन यहां कृषि खासकर कॉटन से संबंधित उद्योग की अच्छी संभावनाएं हैं। केंद्रीय सरकार की ओर से यहां पर हौजरी कलस्टर स्थापित करने की योजना बनाई गई, लेकिन यह सिरे नहीं चढ़ी है। देश के प्रधान सेवक की ओर से अक्तूबर 2014 के चुनावी समर में सिरसा को पिछड़ा औद्योगिक इलाका बताते हुए यहां पर कृषि आधारित कारखाने लगाने के वादों की झड़ी लगाई थी। प्रधानमंत्री डा. नरेंद्र मोदी उस समय सिरसा में चुनावी रैली को संबोधित करने आए थे। इसके बाद 11 जनवरी 2017 में केंद्रीय मंत्री स्मृति इरानी ने पानीपत की रैली में सिरसा में हौजरी कलस्टर बनाए जाने का ऐलान किया। पर प्रधानसेवकऔर मैडम दोनों का वादा अभी अधूरा है। ङ्क्षचतनीय पहलू यह है कि अभी तक इस आशय की फाइल ही अफसरों की टेबल से आगे नहीं सरकी है।