अश्वगंधा कई बीमारियों को कर देता है जड़ से खत्म, जाने अश्वगंधा के लाभ 

Ashwagandha cures many diseases from the root, know the benefits of Ashwagandha

 

आयुर्वेद में कहा गया है इस धरती में उपलब्ध केवल वही पौधा या जड़ीबूटी अनुपयोगी है जिसके विषय मे हमें ज्ञान नहीं।
 आयुर्वेद को अथर्ववेद का उपवेद कहा जाता है।

अथर्ववेद में विस्तारपूर्वक पौधों व उनके औषधीय/ज्योतिषीय प्रयोग बताए गए हैं।दुर्भाग्यवश कुछ पौधों को हम पहचान नही पा रहे हैं पर जिनको पहचानते हैं उनका उपयोग प्रमाणित और सटीक है
इसके सही उपयोग तो एक योग्य वैद्य ही बताएंगे पर आज अश्वगंधा के ज्योतिषीय प्रभाव पर चर्चा करते हैं।

 

 

 

 

 

अश्वगंधा केतु की कारक वनस्पति है। मैं अक्सर लिखती हूँ कि राहु माया/सोच/विचार/मोह/भ्रम है तो केतु उस विचार को धरातल देने वाला कर्म है। सोच (राहु) का क्रियान्वयन(केतु) है।
 तो जब स्ट्रेस या अन्य कारणों से नींद न आने  की समस्या हो, पूरी रात जागते गुज़रे तो भ्रम/चिंता का निवारण करें।

 

 

अश्वगंध के 2 पत्ते हाथ से मसल कर गोली बनाएं और पानी से निगल लें। जिनका वज़न कम है या वज़न बढ़ने की चिंता नही वो अश्वगंध के जड़ का पाउडर प्रयोग करें। 7 दिन लें और छोड़ दें फिर 7 दिन बाद ऐसे ही रुक रुक के प्रयोग करें। अनुभूत प्रयोग है।

रोग का फैलाव और जटिलता का आंकलन बिना राहु के अध्यन के असंभव है अनियमित और अचानक बढ़ती कोशिकाएं(कैंसर), ठीक नही हो रहा घाव भी राहु का प्रभावक्षेत्र है।
तो त्वचा रोगों में,  मधुमेह के कारण देर से ठीक होते घाव/डायबिटिक फुट में अश्वगंधा के पत्तों का लेप लाभ देता है।

पुराना बुखार में गिलोय और असगंध के रस को देने से बुखार ठीक होता है।

वजन बढ़ाने में असगंध पाक, या असगंध पाउडर का दूध से सेवन किया जाता है।

अनिद्रा और स्ट्रेस के लिए ये एक ऐसी औषधि है जिसका उचित मात्रा के प्रयोग से कोई साइडइफेक्ट नही होता है

महिलाओं में चंद्र राहु का दूषित प्रभाव लिकोरिया, अनियमित मासिकधर्म, पुरुषों में संतान हीनता, शुक्राणुहीनता या वीर्य में शुक्राणुओं की कमी को ठीक करने में इसका प्रयोग होता है।
 राहु के भ्रम और फैलाव को केतु का ज्ञान ही रोक सकता है। तो केतु की महादशा/अंतर/कष्टप्रद गोचर के अश्वगंधा का एक पौधा घर पर जरूर लगाएं और इसकी सेवा करें।

औषधीय प्रयोग के लिये उचित वैद्यकीय सलाह अवश्य लें। यहाँ लिखने का उद्देश्य केवल औषधि के गुणों और कारक तत्वों की चर्चा करना है।