माधोसिघाना की बहु ने किया गांव व जिला का नाम रोशन,किसान की बेटी ने राष्ट्रीय कोच का प्रमाण पत्र हासिल कर खेल क्षैत्र में रचा इतिहास

 

छौरिया के छौरो से कम है 
ये कहावत तो आपने सुनी होगी पर आज माधो सिंघाना की बहू ने इसमें एक नई कहावत जोड़ दी है कि

म्हारी बहू के बनड़ो सै कम है

जी हां इसी कहावत को सच करती है गांव माधोसिघाना के बलराम बैनीवाल की पौत्रवधू पिंकी रानी।


पिंकी रानी ने पटियाला से भारतीय राष्ट्रीय खेल प्राधिकरण से कोच का प्रमाण पत्र हासिल करके अपने ससुराल वालों व अपने माता-पिता और गांव जिले का नाम रोशन किया है। 


पिंकी रानी के पति सतवीर बेनीवाल ने बताया कि हमारा परिवार शुरू से ही खेती-बाड़ी करता है और इस पर गुर्जर बसर करता है। लेकिन मेरी धर्मपत्नी को खेल जगत में काफी रुचि थी और वह क्रिकेट खेल में अधिक रुचि रखती थी। 


उन्होंने आगे बताया कि पिंकी रानी को बचपन से ही क्रिकेट से खेल से बहुत प्यार था और शुरू में उन्होंने कंवरपुरा के स्कूल की तरफ से क्रिकेट खेलना शुरू किया। 


खेलों के साथ-साथ पिंकी रानी ने सिरसा के डेरा सच्चा सौदा से बीपीएड और सीपीएड की पढ़ाई पूरी की इसके बाद वे राष्ट्रीय स्तर पर खेलों में भाग लेकर कई मेडल हासिल किए।

अब लवली विश्वविद्यालय जालंधर से भारतीय खेल प्राधिकरण से राष्ट्रीय कोच का प्रमाण पत्र हासिल किया है।


सतवीर बेनीवाल ने बताया कि उनकी पत्नी ने अपने 3 वर्ष के बच्चे की भी संभाल की व उसके साथ साथ क्रिकेट में रुचि रखते हुए यह मुकाम हासिल किया है।


आज के युग में बेटियों को आगे बढ़ाया जा रहा है वहीं बहू को भी बेटी मानकर पढ़ाई वह खेलों में आगे रखा जा रहा है उन्होंने सरकार से भी अनुरोध किया कि ग्रामीण क्षेत्रों में खेलों को बढ़ावा दिया जाए जिससे गांव की बहन बेटियां बहुवादी खेलों में भाग लेकर अपना वह समाज का नाम रोशन करें।