Chanakya Niti : लड़कियों को ये काम करने में आता है बहोत मजा , करती हैं ऐसे इशारे , जानिए
Chanakya Niti : लड़कियों को ये काम करने में आता है बहोत मजा , करती हैं ऐसे इशारे , जानिए
नई दिल्ली : आचार्य चाणक्य के बारे में राजनीति, व्यापार और धन संबंधी ज्ञान आज भी बहुत उपयोगी है। आचार्य चाणक्य के इसी ज्ञान को नीतिशास्त्र के नाम से जाना जाता है।
चाणक्य नीति आपको जीवन में कुछ भी हासिल करने में मदद करती है, चाहे आप किसी भी क्षेत्र में हों।
स्त्रियों की चाहत का जिक्र चाणक्य ने अपने नीति शास्त्र में किया है। चाणक्य ने स्त्री-पुरुष की तुलना करके अपने विचार व्यक्त किये हैं। महिलाओं को पुरुषों की तुलना में दोगुनी भूख लगती है।
आइए भविष्य के समाचार पत्रों में विस्तार से जानें। चाणक्य नीति मूल रूप से संस्कृत में लिखी गई थी, जिसका बाद में अंग्रेजी और कई अन्य भाषाओं के साथ-साथ हिंदी में भी अनुवाद किया गया।
यदि आप चाणक्य नीति को अच्छी तरह से पढ़ते हैं और उसका पालन करते हैं, तो आपको सफल होने से कोई नहीं रोक सकता।
आचार्य चाणक्य ने अपने राजनीतिक ग्रंथों में स्त्रियों के उन विशेष लक्षणों का भी वर्णन किया है, जिन्हें स्त्रियाँ सदैव अपने स्मरण में रखती हैं।
उसने इस बारे में किसी को नहीं बताया. चाणक्य अपनी राजनीति में महिलाओं को पुरुषों के बराबर मानते हैं और अपने विचार व्यक्त करते हैं।
इस राजनीति में आचार्य चाणक्य ने स्त्रियों की भूख, लज्जा, अर्थ, लज्जा, साहस और वासना का वर्णन किया है। आइए जानें वो कौन सी बातें हैं जो महिलाएं अब शेयर नहीं करतीं।
आचार्य चाणक्य के उपरोक्त श्लोक के अनुसार नारी की शक्ति का वर्णन किया गया है। आचार्य चाणक्य के अनुसार महिलाओं में पुरुषों की तुलना में दोगुनी भूख होती है।
आज की जीवनशैली में काम महिलाओं के आहार में हस्तक्षेप करता है, लेकिन वे अपनी भूख को नियंत्रण में रखती हैं।
आचार्य चाणक्य की चाणक्य नीति के अनुसार, पुरुषों की तुलना में महिलाओं में शर्मिंदगी चार गुना अधिक होती है। महिलाएं इतनी शर्मिंदा होती हैं कि कई बार कुछ भी कहने के बारे में सोचती हैं।
चाणक्य नीति के अनुसार महिलाएं शुरू से ही साहसी होती हैं. दूसरी ओर, महिलाएं पुरुषों की तुलना में छह गुना अधिक साहसी होती हैं। इसलिए महिलाओं को शक्ति के प्रतीक के रूप में भी देखा जाता है।
पुरुषों की तुलना में महिलाओं में होती है अधिक कामेच्छा आचार्य चाणक्य के अनुसार महिलाओं में भी पुरुषों की तुलना में काम करने की इच्छा आठ गुना अधिक होती है,
लेकिन उनमें शर्म और सहनशीलता बहुत होती है। इसलिए वे इसका खुलासा नहीं करते और अपने रीति-रिवाजों की रक्षा करते हैं।