किसान आंदोलन पार्ट-2: सरकार की अनदेखी पर किसानों का बड़ा ऐलान

किसानों का बड़ा ऐलान
 
किसान आंदोलन पार्ट-2

किसान आंदोलन पार्ट-2: सरकार की अनदेखी पर किसानों का बड़ा ऐलान

मुख्य बातें:

  • किसानों का ऐलान: मांगें पूरी न होने तक जारी रहेगा आंदोलन।
  • खनौरी मोर्चे पर सरदार जगजीत सिंह डल्लेवाल का आमरण अनशन।
  • किसानों ने सरकार पर लगाया अनदेखी और वादाखिलाफी का आरोप।

आंदोलन की वर्तमान स्थिति

भारतीय किसान एकता बीके के नेतृत्व में किसानों का आंदोलन 13 फरवरी से लगातार जारी है। शंभू, खनौरी, और राजस्थान के रतनपुरा में किसान अपने ट्रैक्टर और अस्थायी घरों के साथ डटे हुए हैं। किसानों का कहना है कि उनकी मांगों पर सरकार ने कोई ध्यान नहीं दिया है।

सरकार के साथ आखिरी वार्ता 18 फरवरी को हुई थी, लेकिन उसके बाद कोई संवाद नहीं हुआ। किसान नेताओं का आरोप है कि सरकार ने वादाखिलाफी की है और किसानों के संघर्ष को कमजोर करने की साजिश रच रही है।

आमरण अनशन का ऐलान

संयुक्त किसान मोर्चा और किसान मजदूर मोर्चा ने बड़ा फैसला लेते हुए कहा कि यदि सरकार किसानों की मांगों को पूरा नहीं करती है, तो सरदार जगजीत सिंह डल्लेवाल 26 फरवरी से आमरण अनशन पर बैठेंगे। यह अनशन खनौरी मोर्चे पर शुरू होगा, और यदि उनकी मृत्यु होती है, तो अगला नेता अनशन करेगा।

सरदार डल्लेवाल ने कहा, "यह आंदोलन अब हमारे प्राणों से बंधा हुआ है। सरकार को तय करना होगा कि वह कितने किसानों की बलि लेना चाहती है।"

किसानों की प्रमुख मांगें

  1. एमएसपी पर खरीद की गारंटी का कानून: किसानों ने कहा कि स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों के अनुसार एमएसपी लागू किया जाए।
  2. कर्ज माफी: किसान और मजदूरों का संपूर्ण कर्ज माफ किया जाए।
  3. विद्युत अधिनियम: चिप वाले मीटर और बिजली बिलों में संशोधन की मांग।
  4. भूमि अधिग्रहण: किसानों की जमीन जब्त करने के कानून में बदलाव किया जाए।
  5. शहीद किसानों को न्याय: हरियाणा में शुभकरण की हत्या की स्वतंत्र जांच कराई जाए।

पिछले आंदोलन की तरह जारी है संघर्ष

किसानों ने कहा कि पिछले आंदोलन में 750 से अधिक किसानों ने अपनी जान गंवाई थी। अब तक इस आंदोलन में भी 35 किसानों की शहादत हो चुकी है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार किसानों की समस्याओं को अनदेखा कर रही है और बड़े कॉरपोरेट्स को फायदा पहुंचाने के लिए योजनाएं बना रही है।

सरकार की नीतियों पर सवाल

किसानों ने आरोप लगाया कि सरकार जानबूझकर डीएपी और यूरिया की कमी पैदा कर रही है। उन्होंने कहा कि यह सब खेती को बर्बाद करने और कॉरपोरेट्स को फायदा पहुंचाने की साजिश है।

"सरकार ने किसानों के साथ वादाखिलाफी की है। यूरिया की उपलब्धता का दावा किया जा रहा है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और है।"

26 फरवरी की योजना

26 फरवरी को खनौरी मोर्चे के लिए बड़ा काफिला रवाना होगा। सिरसा जिले के जोर डोई गांव के ऐतिहासिक गुरुद्वारा साहिब में सुबह 9 बजे किसान इकट्ठा होंगे और वहां से खनौरी के लिए कूच करेंगे।

किसान नेताओं ने हरियाणा सरकार को चेतावनी दी कि "आपने दीवारें खड़ी कीं, रास्ते रोके, लेकिन इस आंदोलन को दबा नहीं सके। यह आंदोलन अनाज पैदा करने वाले और अनाज खाने वाले हर वर्ग का आंदोलन है।"

अन्य राज्यों का समर्थन

दक्षिण भारत से आए किसान नेताओं ने घोषणा की कि 26 फरवरी को अपने-अपने जिलों में शांतिपूर्ण प्रदर्शन करेंगे। राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और पूर्वी यूपी के किसान बड़ी संख्या में खनौरी मोर्चे पर पहुंचेंगे।

आंदोलन का भविष्य

किसान नेताओं ने स्पष्ट किया कि यह आंदोलन गैर-राजनीतिक है और उनकी लड़ाई केवल अपने अधिकारों और वादों को पूरा करवाने के लिए है। उन्होंने पत्रकारों और जनता से अपील की कि वे इस आंदोलन की सच्चाई को हर व्यक्ति तक पहुंचाएं।