नरमा के भाव देख खिले किसानों के चेहरे, जानिए आज के नए रेट
दक्षिणी हरियाणा में नरमा फसल की स्थिति
नरमा की नई फसल: दक्षिणी हरियाणा की मंडियों में नरमा की नई फसल आने लगी है, खासकर चरखी दादरी मंडी में प्रतिदिन लगभग 500-600 क्विंटल नरमा पहुंच रहा है। इस फसल की नमी का स्तर 15 प्रतिशत के आसपास है, फिर भी कीमतें सामान्य से अधिक बनी हुई हैं। व्यापारी भारत भूषण गुप्ता के अनुसार, किसानों को अच्छी कीमतें मिल रही हैं, जो इस वर्ष नरमा की अच्छी मांग का संकेत हैं।
नरमा के भाव में वृद्धि
भाव में उछाल: आज मंडी में नरमा की कीमतों में जबरदस्त उछाल देखा गया है। श्री गुप्ता के अनुसार, नरमा की कीमत आज 100 रुपये प्रति क्विंटल बढ़कर **6200 से 7100 रुपये प्रति क्विंटल** तक पहुंच गई है। फसल की गुणवत्ता के अनुसार कीमतें भिन्न हैं। इस वर्ष नरमा की बुवाई में भारी कमी के कारण बाजार में उपलब्धता कम हुई है, जिससे कीमतें बढ़ी हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले समय में मंडियों में नरमे की आवक बढ़ने के बावजूद कीमतों में गिरावट की संभावना कम है।
भिवानी मंडी की स्थिति
भिवानी मंडी: भिवानी मंडी में भी नरमा की नई फसल की आवक शुरू हो चुकी है, लेकिन चरखी दादरी की तरह यहां अभी नियमित आवक नहीं देखी जा रही है। पिछले सप्ताह भिवानी मंडी में नरमा की मात्र 5-7 क्विंटल की आवक हुई थी, जिसकी कीमत नमी और गुणवत्ता के आधार पर 6 से 7 हजार रुपये प्रति क्विंटल के बीच रही। अन्य मंडियों में नरमा की नई फसल की आवक अब तक शुरू नहीं हुई है, जो किसानों और व्यापारियों पर असर डाल सकती है।
कपास की बुआई में गिरावट
कपास की बुआई: हरियाणा में इस वर्ष कपास की बुआई में 30 प्रतिशत से अधिक की कमी आई है, जिसका मुख्य कारण प्रतिकूल मौसम और उत्पादन लागत में बढ़ोतरी है। केंद्रीय कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, इस वर्ष केवल 4.760 लाख हेक्टेयर भूमि पर कपास की बुआई हुई है, जबकि पिछले वर्ष यह 6.880 लाख हेक्टेयर थी। यह गिरावट राज्य के कृषि क्षेत्र के लिए चिंता का विषय है।
देशभर में कपास की स्थिति: देश में इस वर्ष कपास की बुवाई में करीब 9% की कमी देखी गई है। पिछले साल जहां कपास 123.69 लाख हेक्टेयर में बोया गया था, वहीं इस साल यह 112.48 लाख हेक्टेयर तक सीमित रह गया है। इस कमी के पीछे कई कारण हैं, जैसे पिछले सीजन में कपास की कम कीमतें और अन्य फसलों की ओर किसानों का रुझान।
दक्षिणी हरियाणा में नरमा की नई फसल की अच्छी कीमतें और कपास की बुआई में गिरावट, दोनों ही कृषि क्षेत्र के लिए महत्वपूर्ण संकेत हैं। किसानों को सही समय पर निर्णय लेने की आवश्यकता है, ताकि वे इन परिस्थितियों का लाभ उठा सकें।