धान की फसल में लग गया है ये रोग तो ऐसे करें उपाए, इन चीजों का रखें ध्यान
बासमती चावल की फसल की सुरक्षा के उपाय
पश्चिम चम्पारण में बासमती चावल की फसल कीटों और बीमारियों का शिकार हो सकती है, जिससे किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ता है। कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, उचित देखभाल और प्राकृतिक उपायों के माध्यम से इन खतरों से बचाव किया जा सकता है।
प्रमुख कीट और उनकी समस्या
1. तना छेदक कीट: यह कीट बासमती चावल के तनों में छेद करता है, जिससे पौधे कमजोर हो जाते हैं।
2. गंधी बग: यह कीट पौधों के बीज और फूलों को नुकसान पहुंचाता है, जो पैदावार में कमी का कारण बन सकता है।
3. पत्ता लपेटक कीट: यह कीट पत्तियों को मोड़कर क्लोरोफिल को नष्ट करता है, जिससे पौधों की वृद्धि रुक जाती है।
रोगों और कीटों की रोकथाम के उपाय
1. नीम का तेल:
- नीम का तेल एक प्रभावी प्राकृतिक कीटनाशक है।
- 5% नीम के तेल का छिड़काव सप्ताह में एक बार करने से तना छेदक और गंधी बग की समस्याएं नियंत्रित होती हैं।
2. फेरोमोन ट्रैप्स:
- यह जैविक उपाय नर कीटों को आकर्षित करके उन्हें फंसाने में मदद करता है।
- तना छेदक और पत्ता लपेटक कीटों के लिए यह विशेष रूप से प्रभावी है।
3. घास की मल्चिंग:
- फसल के आस-पास घास की परत बिछाने से कीड़ों का प्रवेश कम होता है और जड़ें सुरक्षित रहती हैं।
4. इंटरक्रॉपिंग:
- चौड़ी पत्तियों वाली फसलों जैसे मूंग या उड़द को बासमती चावल के बीच बोने से कीटों का हमला कम होता है।
5. प्राकृतिक जैविक कीटनाशक:
- गोबर से बने घोल या वर्मीवॉश का उपयोग फसलों के कीटों को दूर रखने में मदद करता है।
छिड़काव का सही समय
- अक्सर कीट मॉनसून के बाद फसलों पर हमला करते हैं।
- कृषि विशेषज्ञों की सलाह है कि मॉनसून के अंत और शरद ऋतु की शुरुआत में कीटनाशकों का छिड़काव करना चाहिए। इससे कीड़े फसल पर हमला करने से पहले ही समाप्त हो जाते हैं।
इन उपायों को अपनाकर किसान बासमती चावल की फसल को सुरक्षित रख सकते हैं और बेहतर पैदावार सुनिश्चित कर सकते हैं।