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आलू की खेती इस तकनीक से दिलाएंगी तगड़ा मुनाफा, ऐसे करें खेती

आलू की खेती इस तकनीक से दिलाएंगी तगड़ा मुनाफा

 आलू की फसल के लिए महत्वपूर्ण सुझाव

सितंबर का महीना आलू की बुवाई के लिए उत्तम होता है, खासकर यूपी के शाहजहांपुर जिले में। यहां कुछ महत्वपूर्ण सुझाव दिए जा रहे हैं, जिन्हें अपनाकर किसान अच्छे मुनाफे और बंपर उत्पादन हासिल कर सकते हैं।

 1. बीज शोधन:
   - बीज को उपचारित करना बेहद जरूरी है। फंगस रोग से बचाव के लिए **0.02 ग्राम मैंकोजेब (Mancozeb 75% WP)** को प्रति लीटर पानी में घोलें और आलू को 10 मिनट तक भिगोकर छाया में सुखा लें।

2. सिंचाई का ध्यान:
   - पारंपरिक सिंचाई के बजाय **मिनी स्प्रिंकलर** का उपयोग करें। इससे:
     - जल संरक्षण होगा।
     - झुलसा रोगों से बचाव होगा।
     - आलू का साइज बड़ा होगा और खुदाई में मिट्टी नहीं चिपकेगी।

 3. उर्वरक का सही उपयोग:
   - आलू की फसल के लिए प्रति हेक्टेयर:
     - 100-150 किलोग्राम नाइट्रोजन,
     - 45-60 किलोग्राम फास्फोरस,
     - 100 किलोग्राम पोटेशियम का उपयोग करें।
   - ध्यान रखें कि आधी मात्रा बुवाई के समय और बाकी आधी मात्रा **25-27 दिन** बाद दें।

4. खरपतवार नियंत्रण:
   - आलू की फसल की बुवाई के तुरंत बाद **पेंडीमेथिलीन (Pendimethalin)** का उपयोग करें। 500 ml से 1 लीटर दवा का घोल बनाकर छिड़काव करें।

5. फसल प्रबंधन:
   - खेत की नियमित देखभाल करें, और पत्तियों पर जमी धूल को साफ रखें। इससे प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया बेहतर होगी।

 6. उत्पादन की संभावनाएं:
   - सही प्रबंधन के साथ, किसान 300 से 350 टन आलू का उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं।

 7. सरकारी सहायता:
   - सरकार मिनी स्प्रिंकलर लगाने के लिए 80-90% अनुदान भी देती है, जिससे किसानों को लागत में कमी आएगी।

इन सुझावों को अपनाकर, किसान न केवल अच्छी गुणवत्ता का आलू उत्पादन कर सकते हैं, बल्कि अपने मुनाफे में भी बढ़ोतरी कर सकते हैं।

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