logo

Bastar Review: कमजोर दिल वाले न देखें 'बस्तर ,नक्सलवाद की जमीनी हकीकत पर आधारित फिल्म, चौंका देने वाली है कहानी

news


  छत्तीसगढ़ के बस्तर इलाके और वहां सक्रिय नक्सलियों की कहानी (द नक्सल स्टोरी) पिछले कई दशकों से सुर्खियों में है, लेकिन इसके बारे में आम जनता को कम ही जानकारी है।

इसी थीम पर डायरेक्टर सुदीप सेन फिल्म 'बस्तर: द नक्सल स्टोरी' (Bastar Review) लेकर आए हैं। अपनी पिछली फिल्म 'द केरल स्टोरी' की सफलता के बाद वह दर्शकों को नक्सलवाद की जमीनी हकीकत से परिचित कराने की कोशिश कर रहे हैं।

कहानी की दमदार शुरुआत, लेकिन स्क्रिप्ट में कमी
फिल्म की शुरुआत बस्तर के आदिवासी इलाके में ग्रामीणों द्वारा तिरंगे के सामने राष्ट्रगान गाने से होती है। उग्र नक्सली न सिर्फ तिरंगे की जगह लाल झंडा फहराते हैं, बल्कि राष्ट्रगान गाने की जुर्रत करने वाले एक ग्रामीण की बेरहमी से हत्या भी कर देते हैं. साथ ही इस ग्रामीण का परिवार भी उनके गुस्से का शिकार होता है.

एक माँ का संघर्ष और एक पुलिस अधिकारी की चुनौती
हत्या से टूटे परिवार में आईजी नीरजा माधवन (अदा शर्मा) अपने बेटे को नक्सलियों के चंगुल से छुड़ाने की जिम्मेदारी लेती है। वह पत्नी से उसके पति के हत्यारों को दंडित करने का वादा करती है और उसे अपने बेटे को वापस लाने का रास्ता दिखाती है।

नीरजा माधवन के दो मोर्चे
जहां नीरजा नक्सलवाद की कमर तोड़ने में जुटी हैं, वहीं सुप्रीम कोर्ट भी उनकी मुहिम पर सुनवाई कर रहा है. खुद कई महीने की गर्भवती होने के बावजूद भी नीरजा लगातार नक्सलियों से लड़ रही हैं। अंततः वे एक बड़े नक्सली सरगना को पकड़ने में भी सफल हो जाते हैं।

जहां निर्देशक सुदीप्त सेन की पिछली फिल्म 'द केरल स्टोरी' ने दर्शकों को चौंका दिया था, वहीं इस बार दर्शकों को "बस्तर: द नक्सल स्टोरी" से ज्यादा उम्मीदें थीं, जो नक्सलवाद जैसे गंभीर मुद्दे पर आधारित है। यह फिल्म महिला पुलिस अधिकारी पर केन्द्रित होकर नक्सलवाद की खतरनाक सच्चाई को उजागर करने की ईमानदार कोशिश करती है।

साथ ही शहरी इलाकों में नक्सली समर्थकों के चेहरों को भी बेनकाब करने की कोशिश की गई है. लेकिन कमजोर कहानी और स्क्रीनप्ले के कारण फिल्म दर्शकों पर कोई खास असर नहीं डाल पाती.

कहानी की कमी, अभिनय में दम
फिल्म शुरू से ही दर्शकों को बांध नहीं पाती है। हालांकि, सेकंड हाफ में कहानी उतना असर नहीं डाल पाती। खासकर फिल्म का क्लाइमेक्स उतना प्रभावी नहीं है. हालांकि, निर्देशक ने नक्सलियों की क्रूरता को दर्शाने के लिए काफी हिंसक दृश्य दिखाए हैं, यही वजह है कि सेंसर बोर्ड ने फिल्म को ए सर्टिफिकेट दिया है।

अभिनय की बात करें तो अदा शर्मा ने दमदार भूमिका निभाई है। बाकी कलाकारों ने भी अपने-अपने किरदारों के हिसाब से काम किया है.

अंतिम विचार

कुल मिलाकर ''बस्तर: द नक्सल स्टोरी'' एक गंभीर विषय पर बनी फिल्म है, जो नक्सलवाद की जमीनी हकीकत दिखाने की कोशिश करती है. हालांकि, कमजोर कहानी और पटकथा दर्शकों पर फिल्म पर गहरा प्रभाव छोड़ने में कामयाब रही

WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now
">