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महिलाओं को 2000, तो पुरुषों को शराब? विधायक का सुझाव हुआ वायरल!

महिलाओं को 2000, तो पुरुषों को शराब?

विधायक का सुझाव हुआ वायरल!

महिलाओं को 2000, तो पुरुषों को शराब? विधायक का सुझाव हुआ वायरल!

नई दिल्ली, 19 मार्च 2025

देश में मुफ्त योजनाओं का दौर जोरों पर है। दिल्ली से लेकर कर्नाटक तक, सरकारें जनता को मुफ्त बिजली, मुफ्त पानी और महिलाओं के लिए मुफ्त बस सेवा जैसी सुविधाएं प्रदान कर रही हैं। लेकिन अब कर्नाटक के एक विधायक का बयान सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। जनता दल (सेक्युलर) यानी JDS के विधायक एमटी कृष्णप्पा ने सरकार से मांग की है कि जैसे महिलाओं को हर महीने 2,000 रुपये, मुफ्त बिजली और मुफ्त बस यात्रा दी जा रही है, वैसे ही शराब पीने वालों को हर हफ्ते दो बोतल शराब मुफ्त में दी जाए।

विधायक का अजीबोगरीब प्रस्ताव

विधायक एमटी कृष्णप्पा ने तर्क दिया कि अगर सरकार हर चीज मुफ्त में बांट रही है, तो शराब पीने वालों को भी कुछ मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि हर हफ्ते दो बोतल शराब मुफ्त दी जानी चाहिए ताकि शराब पीने वाले भी इस मुफ्त की सुविधा का लाभ उठा सकें। उनका यह बयान सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बन गया है।

कर्नाटक में मुफ्त योजनाओं की स्थिति

कर्नाटक सरकार पहले से ही महिलाओं के लिए कई कल्याणकारी योजनाएं चला रही है। इनमें हर महीने 2,000 रुपये की नकद मदद, मुफ्त बिजली और बसों में मुफ्त यात्रा शामिल है। ये योजनाएं लोगों को राहत देने के उद्देश्य से शुरू की गई थीं। हालांकि, अब इस नई मांग को लेकर लोगों की मिश्रित प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं।

सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाएं

विधायक के इस बयान के बाद सोशल मीडिया पर लोगों की अलग-अलग राय देखने को मिली। कुछ लोग इसे मजाकिया अंदाज में ले रहे हैं, तो कुछ ने इसकी आलोचना की है। कई लोगों का कहना है कि सरकार को नशामुक्ति के लिए प्रयास करने चाहिए, न कि शराब को मुफ्त में बांटने के सुझाव देने चाहिए। वहीं, कुछ लोगों ने व्यंग्यात्मक लहजे में कहा कि यह मुफ्त की राजनीति का एक और नमूना है।

सरकार का क्या है रुख?

फिलहाल कर्नाटक सरकार की ओर से इस प्रस्ताव पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। हालांकि, राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह बयान सिर्फ चर्चा में आने का एक तरीका हो सकता है।

निष्कर्ष

विधायक एमटी कृष्णप्पा का यह प्रस्ताव जितना अजीब है, उतना ही चर्चा का विषय भी बन गया है। देश में मुफ्त योजनाओं की बढ़ती प्रवृत्ति के बीच इस तरह के बयान सरकार की नीतियों पर सवाल खड़े करते हैं। अब देखना यह होगा कि इस पर सरकार क्या कदम उठाती है या इसे महज एक विवादित बयान मानकर नजरअंदाज किया जाता है।

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