आखिर क्यों मशहूर थी सिरसा की ये हवेलियां ,जाने कुछ खास बाते।

सिरसा की हवेलियां कभी इस नगर की शान और ऐतिहासिक धरोहर मानी जाती थीं। इन हवेलियों का निर्माण खासतौर पर उस समय की शाही और भव्य जीवनशैली का प्रतीक था। ये हवेलियां सिरसा के समृद्धि और सांस्कृतिक धरोहर का हिस्सा थीं, जिनका वास्तुशिल्प और डिज़ाइन उस समय की कला और संस्कृति को दर्शाता था।
हवेलियों की विशेषताएं:
1. वास्तुकला और डिज़ाइन: हवेलियों में खास प्रकार की नक्शा-नक्काशी होती थी, जो स्थानीय शिल्पकला और वास्तुकला की ऊंचाई को दर्शाती थी। इनकी ऊंचाई भी अपेक्षाकृत अधिक होती थी, जिससे इनकी भव्यता का एहसास होता था।
2. दरवाजे और घंटा: हवेलियों में लकड़ी के बड़े दरवाजे होते थे और प्रत्येक हवेली के ऊपर एक घंटा लगा होता था, जिससे समय का पता चलता था। यह उस समय के भव्य जीवनशैली की पहचान था, जिसमें हर छोटे से छोटे विवरण पर ध्यान दिया गया था।
3. कक्ष और कमरे: हवेलियों के कमरों की बनावट इस प्रकार की होती थी कि गर्मी में भी इन कमरों में ठंडक बनी रहती थी। इन कमरों की सजावट और उनके आकार ने हवेलियों को और भी खास बना दिया था।
4. बावडियां: हर हवेली के पास एक बड़ी बावड़ी होती थी, जिससे लोग पानी भरते थे। ये बावड़ियां सिरसा की समाजिक और सांस्कृतिक जीवनशैली का हिस्सा थीं।
सिरसा की हवेलियों का इतिहास:
सिरसा के इतिहास में हवेलियों का खास स्थान है, और ये नगर की उस समय की समृद्धि का प्रतीक थीं। 1838 में जब जयपुर के मेजर थोरस्वी ने सिरसा नगर को बसाया था, तो इस नगर का नक्शा भी जयपुर की तरह तैयार किया गया था। उस समय सिरसा में आठ प्रमुख बाजार थे, और इन बाजारों में हवेलियों की भरमार थी।
बदलते समय के साथ हवेलियों का अस्तित्व:
समय के साथ सिरसा में विकास हुआ, और पुराने हवेलियों का रूप धीरे-धीरे बिगड़ता गया। अब सिरसा में इन हवेलियों की संख्या बहुत कम रह गई है और कई हवेलियां जर्जर स्थिति में हैं। फिर भी जो कुछ हवेलियां आज भी बची हैं, वे सिरसा के समृद्ध इतिहास और उस समय के शाही अंदाज की गवाह हैं।
आज के सिरसा में इन हवेलियों का अस्तित्व धीरे-धीरे समाप्त हो रहा है, लेकिन ये हवेलियां आज भी शहर की प्राचीन संस्कृति और धरोहर की पहचान बनी हुई हैं।