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Haryana: अपने खून से पत्र लिख कर मंत्री को देने पहुंचे ये परिवार ! आखिर क्या है पूरा मामला ?

Haryana: This family came to the minister after writing a letter with their own blood! What is the whole matter after all?

GUEST TEACHER'S WIFE

इसके बाद वह स्कूल शिक्षा मंत्री को देने चल दिए, पर उन्हें मंत्री आवास से पहले पुलिस ने एक पार्क पर रोक लिया। जहां ड्यूटी मजिस्ट्रेट ने उनसे बात की। बताया कि मंत्री अभी आवास पर नहीं है, तब परिवारों ने उनके आने तक आवास पर इंतजार करने की बात कही।

HARDUM HARYANA NEWS

Haryana News:

हरियाणा में गेस्ट टीचर्स की मौत के बाद सर्विस के 58 वर्ष तक वेतन देने की मांग को लेकर छह परिवारों के लोग रविवार को स्कूल शिक्षा मंत्री कंवरपाल को अपने खून से लिख मांग पत्र देने पहुंचे। इनमें रोहतक, पलवल व फरीदाबाद से एक-एक व कैथल के तीन परिवारों में गेस्ट टीचर्स की विधवाओं ने जगाधरी के महाराजा अग्रसेन चौक पर अपने खून से मुख्यमंत्री के नाम लिखे मांग पत्र मीडिया को दिखाए।

इसके बाद वह स्कूल शिक्षा मंत्री को देने चल दिए, पर उन्हें मंत्री आवास से पहले पुलिस ने एक पार्क पर रोक लिया। जहां ड्यूटी मजिस्ट्रेट ने उनसे बात की। बताया कि मंत्री अभी आवास पर नहीं है, तब परिवारों ने उनके आने तक आवास पर इंतजार करने की बात कही।

इस पर परिवार के लोगों को मंत्री आवास पर ले जाया गया। जहां स्कूल शिक्षा मंत्री के आने पर परिवार के लोगों ने मुख्यमंत्री के नाम खून लिखे पत्र दिखाए। साथ ही छह गेस्ट टीचर्स की विधवाओं ने संयुक्त रूप से पैन से लिखा ज्ञापन मंत्री को सौंपा। मंत्री ने मांग पत्र पर उचित कार्रवाई का भरोसा दिया।

ये पहुंचे खून से लिखे पत्र लेकर

कैथल के गांव गुलियाना निवासी सुदेश के पति की वर्ष 2020 में मौत हो गई थी। कैथल के ही गांव खेड़ी सिंबल वाली निवासी सुदेश के पति की वर्ष 2015, कैथल के चंदाना निवासी सुमित्रा के पति की वर्ष 2022, रोहतक के किलोई निवासी सरोज के पति की वर्ष 2022, पलवल के बहिन निवासी सपना कुमारी के पति की वर्ष 2022, और फरीदाबाद निवासी रजिया के पति की वर्ष 2020 में मौत हो चुकी है।

education minister staff refused to accept the letter written in blood

सुदेश, सुमित्रा, सरोज, सुदेश, रजिया, सपना ने बताया कि उनके पति वर्ष 2005, 2006 से गेस्ट टीचर्स के तौर पर जेबीटी, टीजीटी, पीजीटी पदों पर कार्यरत रहे। प्रदेश सरकार ने वर्ष 2019 में एक्ट बनाकर उनकी नौकरी को पक्का कर दिया था।

परंतु इसके बाद उनके पतियों की मौत हो गई। ऐसे में उनके परिवारों का गुजर बसर मुश्किल हो गया। बच्चों के लालन पालन के लिए मजबूरी में उन्हें मजदूरी करनी पड़ रही है। इसलिए मांग है कि पतियों की 58 वर्ष की सर्विस तक परिवारों को उनका वेतन दिया जाए।

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