हरियाणा के राज्यपाल बंडारु दत्तात्रेय के अनूठे किस्से-

हरियाणा के 58 वर्षों के सियासी इतिहास में कई प्रमुख व्यक्तित्वों ने राज्यपाल बनने का गौरव हासिल किया है। लेकिन वर्तमान राज्यपाल बंडारु दत्तात्रेय एक अलग पहचान रखते हैं। वे न सिर्फ अपने संवैधानिक दायित्वों का पालन कर रहे हैं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक गतिविधियों में भी लगातार सक्रिय हैं। प्रदेश का प्रथम नागरिक होते हुए भी वे आम जन से मिलना और सामाजिक कार्यों में भाग लेना नहीं छोड़ते।
1. सामाजिक सक्रियता और आम लोगों से जुड़ाव
राज्यपाल बंडारु दत्तात्रेय हरियाणा के राज्यपाल बनने के बाद पहले दिन से ही अपने संवैधानिक दायित्वों के साथ-साथ सामाजिक कार्यों में भी व्यस्त रहे हैं। उन्होंने न केवल औपचारिक कार्यक्रमों में हिस्सा लिया, बल्कि राज्य में विभिन्न सामाजिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों में सक्रिय रूप से भाग लिया। उदाहरण के लिए, जब ओलंपिक में पदक जीतने वाले खिलाड़ी प्रदेश में लौटे, तो उन्होंने उनसे मिलकर उन्हें सम्मानित किया और उनके योगदान की सराहना की।
2. सोशल मीडिया पर सक्रियता
राज्यपाल दत्तात्रेय सोशल मीडिया पर भी बहुत सक्रिय हैं। फेसबुक पर उनके 8 लाख 15 हजार फॉलोअर्स हैं, जबकि ट्विटर पर उन्हें लगभग 69 लाख लोग फॉलो करते हैं। यह उनके आम जनता के साथ जुड़ाव और सोशल मीडिया के माध्यम से जन-संपर्क को मजबूत करने की कोशिशों का प्रत्यक्ष प्रमाण है। उनके सोशल मीडिया पर बढ़ती फैन फॉलोइंग से यह साबित होता है कि वे न केवल एक संवैधानिक पद पर हैं, बल्कि जनता के बीच अपनी सशक्त पहचान भी बना चुके हैं।
3. अध्ययन और लेखन में रुचि
राज्यपाल बंडारु दत्तात्रेय को अध्ययन और लेखन में गहरी रुचि है। वे विभिन्न सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक मुद्दों पर नियमित रूप से लेख लिखते हैं। विश्व उद्यमी दिवस और शिक्षक दिवस पर उन्होंने विशेष आलेख लिखे, जिसमें उन्होंने समाज और शिक्षा व्यवस्था पर अपने विचार व्यक्त किए। उनके लेखन से यह स्पष्ट होता है कि वे न केवल एक राजनेता हैं, बल्कि एक विचारशील और शिक्षित व्यक्ति भी हैं।
4. संस्कृति और खेल में रुचि
राज्यपाल दत्तात्रेय को संगीत सुनने और खेलों में भी रुचि है। उन्हें टेनिस, क्रिकेट और कैरम बोर्ड खेलना पसंद है। इस तरह की गतिविधियाँ उन्हें मानसिक शांति और शारीरिक स्वस्थता प्रदान करती हैं, साथ ही वे युवाओं के बीच खेलों के प्रति रुचि बढ़ाने के लिए प्रेरित करते हैं।
5. समाज सेवा की दिशा में कदम
राज्यपाल बनने से पहले बंडारु दत्तात्रेय ने आंध्र प्रदेश में स्लम इलाकों के विकास के लिए कई कदम उठाए थे। उन्होंने "सेवा भारती स्लम विकास संघ" की स्थापना की, जो स्लम क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिए विकास कार्य कर रहा था। 1979 में आए भयानक तूफान और कुदरती आपदाओं के दौरान उनके संगठन ने प्रभावी रूप से पीड़ितों को मदद पहुंचाई थी।
6. सांसद के रूप में उपलब्धियां
बंडारु दत्तात्रेय का राजनीतिक सफर बहुत ही समृद्ध और विविधतापूर्ण रहा है। उन्होंने चार बार लोकसभा का चुनाव जीता और कई बार केंद्रीय मंत्री रहे। उनकी शुरुआत राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से हुई थी, जब वे 1968 में संघ से जुड़े। इसके बाद उन्होंने भाजपा के साथ अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की और 1991 में सिकंदराबाद से सांसद बने। इसके बाद, उन्होंने 1996 से 1998 तक केंद्रीय शहरी विकास राज्यमंत्री के रूप में काम किया। बाद में वे भाजपा के राष्ट्रीय सचिव, आंध्र प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष और पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी रहे।
7. राज्यपाल के रूप में कार्यकाल
बंडारु दत्तात्रेय ने 11 सितंबर 2019 से लेकर 14 जुलाई 2021 तक हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल के रूप में कार्य किया, और फिर 15 जुलाई 2021 को उन्हें हरियाणा का राज्यपाल नियुक्त किया गया। इस दौरान उन्होंने हमेशा हरियाणा की सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक स्थितियों के प्रति अपनी जागरूकता और सक्रियता दिखाई।
8. सामाजिक समरसता की दिशा में कार्य
दत्तात्रेय का राज्यपाल बनने के बाद एक बड़ा योगदान हरियाणा में सामाजिक समरसता के लिए काम करना रहा है। उन्होंने विभिन्न समुदायों और वर्गों के बीच समन्वय बनाने की कोशिश की है, ताकि प्रदेश में हर किसी को समान अधिकार और अवसर मिल सकें।