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अगेती फसल और वृद्धि की समस्याएं

अगेती फसल के लिए वृद्धि नियंत्रकों का सही उपयोग

फसलों की बेहतर उपज और टिकाऊपन के लिए वृद्धि नियंत्रकों का सही समय और मात्रा में उपयोग बेहद जरूरी है। जिन किसानों ने अधिक मात्रा में खाद और पानी का उपयोग किया है, उनके लिए यह जानकारी काफी महत्वपूर्ण है। आइए विस्तार से समझते हैं कि वृद्धि नियंत्रकों का प्रयोग कब और कैसे करना चाहिए।

अगेती फसल और वृद्धि की समस्याएं

जब फसल की बिजाई अगेती होती है और खाद-पानी की मात्रा ज्यादा दी जाती है, तो फसल की बढ़वार अधिक हो जाती है। 50-55 दिन की अवस्था पर फसल में पत्तियां और तनों का फुटाव बहुत अधिक दिखाई देता है। इस अवस्था में फसल के गिरने (लोजिंग) की संभावना बढ़ जाती है।

वृद्धि नियंत्रकों का उपयोग कब करें?

  1. 50-55 दिन पर पहली स्प्रे
    जब फसल 50-55 दिन की अवस्था पर हो और तने की पहली गांठ बनने लगे, तो वृद्धि नियंत्रकों का पहली बार छिड़काव करना चाहिए।

    • लियोसिन (0.2%):
      • 2 मिलीलीटर दवाई को 1 लीटर पानी में मिलाएं।
      • प्रति एकड़ 400 मिलीलीटर दवाई का उपयोग करें।
    • टेबुकोनाजोले (0.1%):
      • 1 मिलीलीटर दवाई को 1 लीटर पानी में मिलाएं।
      • प्रति एकड़ 200 मिलीलीटर दवाई का उपयोग करें।
        इन दोनों दवाइयों को 200 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।
  2. 80-85 दिन पर दूसरी स्प्रे
    जब झंडा पत्ता निकलता है और बाल गाबे के अंदर बनने लगती है, तो दूसरी स्प्रे करें। यह फसल को मजबूत बनाने और गिरने से बचाने के लिए आवश्यक है।

वृद्धि नियंत्रकों का लाभ

  • तनों की लंबाई 8-10 सेंटीमीटर तक कम हो जाएगी।
  • तना अंदर से मजबूत बनेगा और लिग्निन भरने की प्रक्रिया तेज होगी।
  • पौधे के गिरने की संभावना कम होगी, जिससे उपज अच्छी होगी।

किन किसानों को वृद्धि नियंत्रकों की जरूरत है?

जिन किसानों ने सामान्य खाद और पानी का उपयोग किया है, जैसे:

  • प्रति एकड़ 1 बैग डीएपी।
  • 10 किलो जिंक सल्फेट।
  • 2-2.5 बैग यूरिया।
    उन्हें वृद्धि नियंत्रकों का उपयोग करने की आवश्यकता नहीं है। लेकिन जिन्होंने ज्यादा खाद और पानी का उपयोग किया है, उन्हें इन दवाओं का प्रयोग करना चाहिए।

निष्कर्ष

वृद्धि नियंत्रकों का सही समय पर और उचित मात्रा में उपयोग फसल की गुणवत्ता और पैदावार बढ़ाने में सहायक है। किसानों को अपनी फसल की स्थिति के अनुसार निर्णय लेना चाहिए और विशेषज्ञों की सलाह का पालन करना चाहिए।

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