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अमवस्या के दिन पितृ विसर्जन जरूर करें, जानें क्या है नियम

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 हरिद्वार और मां गंगा का महत्व

हरिद्वार, जिसे पवित्रता और मोक्ष की भूमि माना जाता है, हिंदू धर्म में मां गंगा का विशेष स्थान है। वेदों, पुराणों और शास्त्रों में गंगा को मोक्ष प्रदान करने वाली नदी माना गया है। यह स्थल न केवल तीर्थ यात्रियों के लिए, बल्कि उन लोगों के लिए भी महत्वपूर्ण है जो अपने पितरों को श्रद्धांजलि देना चाहते हैं।

 गंगा का इतिहास
- अमृत कलश का इतिहास: प्राचीन समय में, अमृत कलश से गंगा की बूंदें हरिद्वार में गिरी थीं, जिससे यह स्थल पवित्रता का प्रतीक बन गया।
- सगर के 60 हजार पुत्रों का मोक्: मां गंगा का धरती पर अवतरण सगर के 60 हजार पुत्रों को मोक्ष देने के लिए हुआ था, जिससे यहां गंगा स्नान का महत्व और भी बढ़ जाता है।

 पितृ विसर्जन अमावस्या
- महत्व: 2 अक्टूबर 2024 को पितृ विसर्जन अमावस्या के दिन, गंगा स्नान करने से पितरों को मोक्ष प्राप्त होता है। श्रद्धालु यहां तर्पण और श्राद्ध कर्म करते हैं, जिससे उनके पितर तृप्त होते हैं और आशीर्वाद प्रदान करते हैं।
- पितृ दोष से मुक्ति: जो लोग पितृ दोष से पीड़ित हैं, उनके लिए हरिद्वार में गंगा स्नान और विधिपूर्वक श्राद्ध करना विशेष फलदायी होता है।

 श्रद्धालुओं के लिए सुझाव
- गंगा स्नान: पितृ विसर्जन अमावस्या पर गंगा स्नान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है।
- धार्मिक अनुष्ठान: पितरों के निमित्त कार्य करने से विशेष लाभ मिलता है और उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है।


हरिद्वार में मां गंगा की पवित्रता और महत्व के कारण, यह स्थल श्रद्धालुओं के लिए मोक्ष प्राप्ति का अद्वितीय स्थान है। पितृ विसर्जन अमावस्या पर गंगा स्नान करने से न केवल पितरों को शांति मिलती है, बल्कि परिवार को भी सुख और समृद्धि प्राप्त होती है।

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