आलू-प्याज के दाम सुनकर आँखे रह जाएंगी फटी, जल्दी देखें यहाँ
आजकल भारतीय बाजार में सब्जियों के दाम आसमान छू रहे हैं, जिससे आम जनता के लिए खाना बनाना महंगा हो गया है। प्याज, टमाटर और आलू जैसी बुनियादी चीजों के दामों ने लोगों के बजट को हिला कर रख दिया है। खुदरा बाजार में आलू की कीमत 40 रुपए किलो तक पहुँच चुकी है, वहीं टमाटर के दाम 100 रुपए प्रति किलो के पार जा चुके हैं। प्याज और हरी सब्जियों के दाम भी लगातार बढ़ रहे हैं, जिससे लोग इन्हें खरीदने से पहले सोचने पर मजबूर हो रहे हैं।
सरकार के प्रयासों के बावजूद महंगाई पर काबू नहीं
महंगाई के इस मुद्दे को गंभीरता से लेकर सरकार कई कदम उठा रही है, लेकिन अब तक ये दाम नियंत्रण में नहीं आ सके हैं। सरकार ने इस बढ़ती महंगाई पर काबू पाने के लिए कई बड़े कदम उठाए हैं, लेकिन टमाटर, प्याज और आलू की कीमतों में कमी नहीं आई है। खाद्य पदार्थों की महंगाई अब एक बड़ी चुनौती बनती जा रही है, खासकर जब उपभोक्ता मूल्य सूचकांक में खाद्य पदार्थों की हिस्सेदारी 45.9% है।
बढ़ती कीमतों के पीछे क्या है कारण?
महंगाई के इस बढ़ते ट्रेंड को लेकर सवाल उठ रहे हैं कि आखिर इनकी कीमतों में इतनी तेजी क्यों आई है। इसके पीछे मुख्य कारण मौसम को माना जा रहा है। बारिश के कारण सब्जियों की आपूर्ति में कमी आई है। साथ ही, स्टोरेज की कमी भी एक बड़ी वजह है। बारिश और गर्मी के मौसम ने हरी सब्जियों के साथ-साथ टमाटर और आलू की फसल को भी प्रभावित किया है। इसके अलावा, कोल्ड स्टोरेज की कमी ने भी इन फसलों को स्टोर करने में दिक्कतें पैदा की हैं, जिसके कारण ये सब्जियाँ बाजार में नहीं पहुँच पा रही हैं।
मांग और आपूर्ति के उतार-चढ़ाव का असर
रिसर्च के अनुसार, जब किसी मौसम में सब्जियों की पैदावार कम होती है, तो कीमतों में बढ़ोतरी होती है। और जब पैदावार अधिक होती है, तो दाम स्थिर रहते हैं या कम हो जाते हैं। इस उतार-चढ़ाव का सीधा असर बाजार में दामों पर पड़ता है।
भारत में सब्जियों की बढ़ती उत्पादन दर
हालांकि, अच्छी खबर ये है कि टमाटर, प्याज और आलू के उत्पादन में तेजी देखी जा रही है। पिछले साल टमाटर का उत्पादन 20.4 मिलियन मीट्रिक टन, प्याज का 30.2 मिलियन मीट्रिक टन, और आलू का 60.1 मिलियन मीट्रिक टन हुआ था। भारत टमाटर का सबसे बड़ा उत्पादक है और आलू का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है, चीन को भी पीछे छोड़ते हुए।
हालांकि भारत में टमाटर, प्याज और आलू की पैदावार में वृद्धि हो रही है, फिर भी मौसमी बदलाव, स्टोरेज की कमी और आपूर्ति की समस्याओं के कारण इनके दामों में वृद्धि हो रही है। इससे आम जनता को राहत मिलना अभी बाकी है, लेकिन सरकार के प्रयासों से उम्मीद है कि जल्द ही दामों में स्थिरता आएगी।