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सास ना हो तो किससे लें सरगी ? जानें करवा चौथ के नियम और विधि

सास ना हो तो किससे लें सरगी ? जानें करवा चौथ के नियम और विधि

करवा चौथ का महत्व और सरगी का महत्व

करवा चौथ का व्रत हिंदू धर्म में विवाहित महिलाओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और सुरक्षा के लिए उपवास रखती हैं। व्रत का पालन उत्साह और श्रद्धा के साथ किया जाता है, जिससे परिवार में खुशियों का आगमन होता है।

करवा चौथ का त्योहार
- तारीख: इस वर्ष करवा चौथ का व्रत रविवार, 20 अक्टूबर को मनाया जाएगा।
- मान्यता: माना जाता है कि जो महिलाएं इस कठिन व्रत का पालन करती हैं, उन्हें अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है।

सरगी का महत्व
सरगी वह विशेष भोजन है जो व्रत के दिन सुबह खाया जाता है। यह आमतौर पर सास द्वारा दी जाती है, लेकिन यदि सास न हो, तो महिलाएं निम्नलिखित विकल्प चुन सकती हैं:

1. बुजुर्ग महिलाओं से: घर की किसी बुजुर्ग महिला, जैसे दादी, नानी, या अन्य रिश्तेदार से सरगी ले सकती हैं।
2. जेठानी या बहन: जेठानी या अपनी बहन से भी सरगी प्राप्त की जा सकती है।
3. पैसे भेजना: यदि सास दूर हैं, तो वे पैसे भेज सकती हैं, जिससे आप सरगी का सामान खुद खरीद सकें।

धार्मिक महत्व
- प्रार्थना: इस दिन देवी पार्वती को सुहाग की सामग्री अर्पित करने से सदा सौभाग्यवती होने का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
- वैवाहिक जीवन: इस व्रत से वैवाहिक जीवन में मधुरता आती है और परिवार में प्रेम एवं समर्पण बढ़ता है।

करवा चौथ का व्रत न केवल पति-पत्नी के रिश्ते को मजबूत बनाता है, बल्कि परिवार में खुशियों और समृद्धि का संचार भी करता है। इस दिन की तैयारी और सरगी का विशेष महत्व होता है, इसलिए इसे श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाना चाहिए।

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