एसडीएम से मिलकर क्या बोले पूर्व विधायक अमित सिहाग
चुनाव हारने के बावजूद पूर्व विधायक अमित सिहाग लगातार जनता के बीच में है। आमजन की हर समस्या में वो उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हुए दिखाई दे रहे हैं। एक तरफ जहां वह धन्यवादी दौरा कर जनता का आभार व्यक्त कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर आमजन की समस्याओं के समाधान के लिए भी लगातार प्रयासरत हैं। आज अमित सिहाग ने किसानों,आढ़तियों को साथ लेकर उनको आ रही विभिन्न समस्याओं के संदर्भ में एसडीएम डबवाली से मुलाकात कर ज्ञापन सौंपते हुए समाधान की मांग की। एसडीएम डबवाली को सीएम हरियाणा के नाम सौंपे ज्ञापन में सिहाग ने मुख्य रूप से डीएपी न मिलने, धान खरीद में आ रही परेशानियों, कंडम शेड, पराली अवशेष जलाने पर होने वाली कार्यवाही आदि के संदर्भ में जानकारी देते हुए समाधान की मांग की है।
ज्ञापन के माध्यम से सिहाग ने कहा है कि किसानों को आगामी गेहूं व सरसों की बिजाई के लिए जरूरी डीएपी खाद बाजार में उपलब्ध नहीं है और जब थोड़ी बहुत खाद किसी दुकान पर आती है तो वहां लंबी-लंबी कतारे लग जाती है तथा खाद के साथ किसानों को जबरदस्ती एनपीके,नैनो डीएपी, नैनो यूरिया आदि खरीदने के लिए बाध्य किया जाता है जो कि अनुचित है। उन्होंने डबवाली हल्के में जरूरत के हिसाब से उपयुक्त डीएपी उपलब्ध करवाने की मांग की है। अमित सिहाग ने कहा कि किसान मंडी में अपनी धान की फसल लेकर आ रहे हैं ,लेकिन ज्यादा नमी व हाइब्रिड के नाम पर उनकी फसल की खरीद नहीं की जा रही और अगर खरीद की जा रही है तो उसमें 8 से 10 किलो की काट की जा रही है जो कि किसानों के साथ सीधा नाइंसाफी है। उन्होंने कहा कि सरकार फसल की खरीद उचित प्रकार से करे तथा हाइब्रिड और नमी के नाम पर किसानों को परेशान मत करें।
इसके साथ ही उन्होंने पराली के अवशेष जलाने पर किसानों पर दर्ज किए जा रहे मुकदमो तथा अन्य कार्रवाई को तुरंत प्रभाव से बंद करने की मांग भी की है। पूर्व विधायक ने कहा कि डबवाली अनाज मंडी के ए ब्लॉक के शेडों को सरकार ने कंडम घोषित किया हुआ है और साथ में यह भी कहा गया है कि अगर उन शैडो के नीचे काम करने के दौरान किसी मजदूर, आढ़ती या किसान के साथ कोई दुर्घटना घटित होती है तो इसके लिए सरकार जिम्मेदार नहीं है। उन्होंने कहा कि इसके बावजूद सरकार द्वारा अन्य कोई उचित व्यवस्था न किए जाने के चलते किसानों, मजदूरों, आढ़तियों को इस कंडम घोषित किए गए शेडों के नीचे बैठकर मजबूरन काम करना पड़ रहा है।