Farmers Protest: किसान नेता Jagjit Singh Dallewal बोले, मेरी जान तो कीमती है, लेकिन..| Kisan Andolan
सात लाख किसानों की आत्महत्या: किसकी जिम्मेदारी?
सुप्रीम कोर्ट की रिपोर्ट और असल आंकड़े
सुप्रीम कोर्ट की कमेटी ने हाल ही में रिपोर्ट दी है कि देश में चार लाख किसानों ने आत्महत्या की है। हालांकि, ज़मीनी हकीकत इससे कहीं ज्यादा भयावह है। विभिन्न स्रोतों के आंकड़ों के अनुसार, यह संख्या चार लाख नहीं बल्कि सात लाख तक पहुंच चुकी है। यह सवाल उठता है कि इतनी बड़ी संख्या में किसानों की मौत के बावजूद इस मुद्दे पर कोई ठोस कदम क्यों नहीं उठाए जा रहे हैं?
किसानों की शहादत और उनकी संतानों का भविष्य
सुप्रीम कोर्ट ने एक बयान में डल्लेवाल के जीवन की अहमियत को रेखांकित किया था। इसके जवाब में किसानों के नेता ने पूछा, "सात लाख किसानों के बच्चों का क्या हुआ? उनकी तकलीफें और भविष्य को नजरअंदाज क्यों किया जा रहा है?" यह वक्त की मांग है कि किसानों की आत्महत्याएं रोकी जाएं और उनके परिवारों को सहायता दी जाए।
पंजाब की भूमिका और पूरे देश का आंदोलन
दिल्ली आंदोलन के बाद कुछ राज्यों के नेताओं ने घोषणा की थी कि पंजाब अब संघर्ष से पीछे हट रहा है। हालांकि, पंजाब के किसानों ने स्पष्ट किया कि यह आंदोलन केवल पंजाब का नहीं, पूरे देश का है। न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की मांग पूरे देश के किसानों की है, और इसे हासिल करने के लिए सभी को एकजुट होना होगा।
धरती के नीचे का पानी बचाने की जरूरत
बुद्धिजीवियों और विशेषज्ञों का कहना है कि पंजाब के लिए एमएसपी सुनिश्चित करना केवल आर्थिक नहीं, बल्कि पर्यावरणीय कारणों से भी ज़रूरी है। यदि किसानों को एमएसपी दी जाती है, तो वे जल संरक्षण और स्थायी खेती की दिशा में काम कर सकेंगे।
खनौरी बॉर्डर पर जुटें किसान
नेता ने सभी राज्यों के किसानों से अपील की कि वे अपने-अपने गांवों से खनौरी बॉर्डर पर कम से कम एक ट्रॉली लेकर पहुंचें। यह आंदोलन सरकार को यह संदेश देने के लिए है कि यह संघर्ष केवल एक राज्य का नहीं बल्कि पूरे देश का है।
सुरक्षा और सतर्कता की अपील
आंदोलन के दौरान दुर्घटनाओं और अन्य घटनाओं पर दुख व्यक्त करते हुए, नेता ने सभी किसानों से सतर्कता बरतने की अपील की। उन्होंने कहा कि जब किसान अपने घर लौटें, तो यह सुनिश्चित करें कि ऐसी घटनाएं दोबारा न हों।
आंदोलन का संदेश और भविष्य की दिशा
यह आंदोलन केवल किसानों की मांगों का नहीं, बल्कि उनके अस्तित्व का सवाल है। पूरे देश के किसानों को एकजुट होकर इस संघर्ष को मजबूती से लड़ना होगा, ताकि सरकार को यह समझ में आ सके कि किसानों के बिना देश का विकास संभव नहीं है।
वाहेगुरु जी का खालसा, वाहेगुरु जी की फतेह।
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