बिना नेट और पीएचडी के बन सकते है प्रोफ़ेसर, जानें कितने पदों पर है भर्ती
लखनऊ विश्वविद्यालय में एनईपी 2020 के तहत प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस पद की नियुक्ति प्रक्रिया शुरू हो गई है। कुलसचिव ने सभी संकायाध्यक्षों और विभागाध्यक्षों को पत्र भेजकर विभागों में इस पद की आवश्यकता के अनुसार संस्तुति देने का अनुरोध किया है। यह प्रक्रिया विद्या परिषद की बैठक में मंजूरी प्राप्त कर चुकी है।
प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस के पद के बारे में
- लाभ: विश्वविद्यालय में असाधारण उपलब्धियों और अनुभवी पेशेवरों को प्रोफेसर के रूप में बुलाया जाएगा।
-नियुक्तियों की संख्या: कुल स्वीकृत पदों के 10% से अधिक नहीं होगी।
- तैनाती की अवधि: एक से तीन वर्षों के लिए होगी, विशेष परिस्थितियों में चार साल तक बढ़ाई जा सकती है।
पात्रता
प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस वे लोग हो सकते हैं:
- जिनका मूल व्यवसाय शिक्षा से नहीं है।
- जिनके पास विश्वविद्यालय में शिक्षण कार्य के लिए पीएचडी या यूजीसी नेट जैसी योग्यता नहीं है।
उद्देश्य
यूजीसी का यह कदम उच्च शिक्षा में प्रैक्टिशनर्स, पॉलिसी मेकर्स, और स्किल प्रोफेशनल्स की एंट्री को बढ़ावा देकर शिक्षा के स्तर को सुधारने के लिए है।
इस नियुक्ति प्रक्रिया से विश्वविद्यालय में व्यावहारिक ज्ञान और अनुभव लाने की उम्मीद है, जो छात्रों को बेहतर शिक्षा प्रदान करने में सहायक होगा।