Who Was Om Prakash Chautala: 5 बार बने Haryana के CM, लगे भ्रष्टाचार के आरोप | Biography
हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला का निधन: राजनीति का एक युग समाप्त
हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और इनेलो पार्टी के संस्थापक ओम प्रकाश चौटाला का 89 वर्ष की आयु में गुरुवार को निधन हो गया। उनके निधन के साथ ही हरियाणा की राजनीति का एक युग समाप्त हो गया। उनका जीवन राजनीति में सफलताओं के साथ-साथ कानूनी संघर्षों से भी भरा रहा।
राजनीति में उपलब्धियां और कानूनी चुनौतियां
ओम प्रकाश चौटाला पांच बार हरियाणा के मुख्यमंत्री रहे। हालांकि, उनका राजनीतिक जीवन भ्रष्टाचार के आरोपों और कानूनी विवादों से अछूता नहीं रहा। जेबीटी शिक्षक भर्ती घोटाले में दोषी पाए जाने के बाद उन्होंने अपने जीवन के 10 साल जेल में बिताए। बावजूद इसके, उन्होंने राजनीति में अपनी मजबूत पहचान बनाई।
शिक्षा और संघर्ष की प्रेरक कहानी
1 जनवरी 1935 को सिरसा जिले के चौटाला गांव में जन्मे ओम प्रकाश चौटाला पूर्व उप-प्रधानमंत्री चौधरी देवीलाल के बेटे थे। अपनी पढ़ाई अधूरी रह जाने का उन्हें हमेशा अफसोस रहा। जेल में रहते हुए उन्होंने दसवीं की परीक्षा पास की, जिसे उन्होंने अपने आत्मसम्मान का विषय बताया। उनके इस प्रेरक सफर पर आधारित फिल्म "दसवीं" में अभिषेक बच्चन ने मुख्य भूमिका निभाई।
मुख्यमंत्री के तौर पर कार्यकाल
चौटाला ने पहली बार 2 दिसंबर 1989 को हरियाणा के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। इसके बाद चार और बार मुख्यमंत्री बने। उनका अंतिम कार्यकाल 2 मार्च 2000 से 2005 तक रहा, जो पांच साल का पूर्ण कार्यकाल था।
पार्टी का गठन और राजनीतिक सफर
1996 में ओम प्रकाश चौटाला ने हरियाणा लोकदल (राष्ट्रीय) नाम से नई पार्टी बनाई, जिसे बाद में इंडियन नेशनल लोकदल (आईएनएलडी) का नाम दिया गया। उन्होंने बसपा के साथ गठबंधन कर लोकसभा में भी प्रभावी उपस्थिति दर्ज कराई।
संपत्ति और विवाद
ओम प्रकाश चौटाला और उनके परिवार पर हजारों करोड़ की संपत्ति होने का दावा किया गया। सीबीआई ने उनके खिलाफ 1467 करोड़ रुपये की संपत्ति मामले में चार्जशीट दायर की थी।
पारिवारिक जीवन
ओम प्रकाश चौटाला की पत्नी स्नेह लता का निधन 2019 में हो गया। उनके दो बेटे अजय और अभय चौटाला हैं, जो राजनीति में सक्रिय हैं। इसके अलावा, उनकी तीन बेटियां और तीन भाई भी हैं।
अंत की ओर
कोरोना महामारी के दौरान सेहत को ध्यान में रखते हुए उन्हें 2 जुलाई 2021 को जेल से रिहा कर दिया गया था। गुरुवार को उनका निधन हरियाणा की राजनीति के एक महत्वपूर्ण अध्याय का अंत बन गया।