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आखिर 26 साल बाद कुमारी सैलजा को सिरसा की क्यों आई याद सांसद बनने के बाद 7 दिसंबर 2009 को डा. अशोक तंवर ने सिरसा में बनाया था मकान

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आखिर 26 साल बाद कुमारी सैलजा को सिरसा की क्यों आई याद सांसद बनने के बाद 7 दिसंबर 2009 को डा. अशोक तंवर ने सिरसा में बनाया था मकान


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सिरसा, 30 अप्रैल। सिरसा संसदीय क्षेत्र में सियासी तापमान भी चढ़ा हुआ है। भाजपा से डा. अशोक तंवर पिछली 14 मार्च से प्रचार में जुटे हैं। कांग्रेस से कुमारी सैलजा एक बार फिर से सिरसा के रण में उतरी हैं। जजपा ने रमेश खटक को, इनैलो ने युवा संदीप लोट को और बसपा ने लीलूराम आसाखेड़ा को मैदान में उतारा है। बढ़ती गर्मी के बीच प्रचार अभियान तेज है तो चुनावों में मुद्दे भी उछल रहे हैं। अपने और पराये का मुद्दा हावी है। कुमारी सैलजा साल 1988 में पहली बार सिरसा से चुनावी रण में उतरी। उपचुनाव में लोकदल के हेतराम से हार गई। 1991 में लोकदल के हेतराम को हराकर तो 1996 में सोशल एक्शन पार्टी के डा. सुशील इंदौरा को हराकर दूसरी बार सांसद बनीं।

1998 में इंदौरा से चुनाव हारने के बाद सिरसा से किनारा कर गई। उसके बाद सिरसा से नाता तोड़ लिया। इसके बाद 2004 और 2009 में अंबाला से सांसद चुनी गईं। सांसद रहते हुए हिसार में मकान बनाया। गुरुग्राम के पॉश इलाके डीएलएफ में फ्लैट खरीदा, सिरसा में कभी निवास नहीं बनाया। इसी तरह से डा. अशोक तंवर 16 मई 2009 को सिरसा से पहली बार सांसद बन गए। इसके बाद उन्होंने सिरसा में अपना स्थायी ठिकाना बनाने की ठान ली। हुडा सैक्टर 20 में मकान के लिए जगह मिल गई। 7 दिसंबर 2009 को 22 लाख 60 हजार रुपए में जगह खरीदी और कुछ माह में मकान बना लिया। इसके बाद परिवार यहीं रहने लगा। तंवर पिछले 15 वर्षों से सिरसा में ही सक्रिय हैं। ऐसे में यह मुद्दा चुनावों में सबसे प्रभावशाली भी नजर आ रहा है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि सिरसा की जनता इस बार किसे देश की सबसे बड़ी पंचायत में भेजती है?


भाजपा का कोर वोट बैंक है ताकत


सिरसा की सियासत का मिजाज अनूठा है। यहां पर चौपालों पर हुक्के की गुडग़ुड़ाहट के अलावा सोशल मीडिया के जरिए राजनीति करवट लेती रहती है। नाई, पान की दुकानों पर चर्चाओं का बाजार गर्म है। चौपालों पर ताश की बाजी के साथ सियासी किस्से-कहानियों का दौर जारी है। करीब 19 लाख 24 हजार मतदाताओं वाले सिरसा संसदीय क्षेत्र में 9 विधानसभा क्षेत्र हैं। यहां पर अब तक 8 बार कांग्रेस 6 बार चौ. देवीलाल व चौ. ओमप्रकाश चौटाला के नेतृत्व वाले सियासी दलों के और एक बार भाजपा से सांसद बना है। इस बार भारतीय जनता पार्टी से डा. अशोक तंवर मैदान में हैं। कांग्रेस ने कुमारी सैलजा को टिकट दिया है। जननायक जनता पार्टी ने रमेश खटक को टिकट दी है। खटक तीन बार सोनीपत जिला के बरौदा से विधायक रह चुके हैं। इनैलो से संदीप लोट तो बसपा से लीलूराम आसाखेड़ा चुनाव लड़ रहे हैं। विशेष बात यह है कि पिछले करीब 14 मार्च से प्रचार में जुटे डा

. अशोक तंवर अब तक करीब 300 से अधिक गांवों के अलावा प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र के कस्बे एवं शहर में दस्तक दे चुके हैं। हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर एवं मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने भी कई जनसभाएं की हैं। सियासी पंडित मानते हैं कि पिछली बार भाजपा उम्मीदवार ने 7 लाख से अधिक वोट हासिल करते हुए करीब 3 लाख 9 हजार वोटों से जीत दर्ज की थी। पिछले करीब दस वर्षों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में एक तरह से जो ऐतिहासिक कदम उठाए हैं, उससे भाजपा का एक कोर वोट बैंक स्थापित हुआ। भगवान राम मंदिर, धारा 370, सर्जिकल स्ट्राइक राष्ट्रहित से जुड़े मसले हैं, तो बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ एवं वंशवाद की सियासत पर अंकुश लगाने जैसे सामाजिक मुद्दे हैं। इसी तरह से 14 करोड़ घरों में जल पहुंचाना, 1 करोड़ लखपति दीदी, करोड़ों गरीबों को आवास देना, 25 करोड़ लोगों को गरीबी रेखा से बाहर निकालना विकासपरक तथ्य हैं।

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