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सरसों के तेल पर लगा बैन, जानिए इसके पीछे की वजह

सरसों के तेल


सरसों के तेल पर बैन: कारण और प्रभाव

भारत में सरसों के तेल (Mustard Oil) का उपयोग रसोई में बहुत आम है, लेकिन यह तेल अमेरिका में "Not for Cooking" के लेबल के साथ बेचा जाता है। इसका उपयोग खाने के लिए वहां पर बैन है। आइए जानें इसके पीछे क्या कारण हैं और इस पर बैन लगाने से जुड़ी जानकारी:

अमेरिका में सरसों के तेल पर बैन क्यों?
अमेरिका में सरसों के तेल को खाना पकाने के लिए उपयोग में लाने पर पूरी तरह से पाबंदी है। इसके पीछे मुख्य कारण हाई इरूसिक एसिड (Erucic Acid) की उपस्थिति है, जिसे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक माना जाता है।

हाई इरूसिक एसिड का प्रभाव:
फेफड़ों पर असर: हाई इरूसिक एसिड फेफड़ों के लिए हानिकारक हो सकता है। इसके अधिक सेवन से फेफड़ों में दिक्कतें आ सकती हैं और सांस लेने में परेशानी हो सकती है।

दिल पर प्रभाव: यह एसिड हृदय (Heart) के लिए भी खतरे का कारण बन सकता है। इसके अधिक सेवन से हाई ब्लड प्रेशर (High Blood Pressure) और दिल की बीमारियां, जैसे हार्ट अटैक (Heart Attack), बढ़ सकती हैं।

त्वचा पर असर: सरसों के तेल में लिल आइसोथियोसाइनेट की अधिक मात्रा हो सकती है, जिससे त्वचा पर जलन, सूजन और खुजली हो सकती है। यह खासतौर पर संवेदनशील त्वचा वालों के लिए अधिक खतरनाक हो सकता है।

एलर्जी (Allergy): सरसों के तेल का अधिक सेवन या संपर्क राइनाइटिस एलर्जी को बढ़ा सकता है, जिससे नाक बहना, छींक आना, और खांसी जैसी समस्याएं हो सकती हैं।

सरसों के तेल का अधिक उपयोग और इसके नुकसान
अमेरिका में सरसों के तेल के मिलावटी रूपों में इरूसिक एसिड की मात्रा बढ़ जाती है, जिससे स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव पड़ सकता है:

फेफड़ों की समस्याएं: सरसों के तेल में ऐसे तत्व होते हैं, जो रिस्पिरेटरी सिस्टम (Respiratory System) को प्रभावित कर सकते हैं।
ब्लड प्रेशर में वृद्धि: इरूसिक एसिड के अधिक सेवन से हाई ब्लड प्रेशर (High Blood Pressure) की समस्या बढ़ सकती है, जिससे दिल की समस्याएं भी उत्पन्न हो सकती हैं।
भारत में स्थिति:
भारत में सरसों का तेल कुकिंग के लिए बड़े पैमाने पर उपयोग किया जाता है। हालांकि, भारत में इसे आमतौर पर "खाने के लिए सुरक्षित" माना जाता है, लेकिन सरकारी एजेंसियों और विशेषज्ञों द्वारा इस पर भी समय-समय पर ध्यान दिया गया है। यहां हाई इरूसिक एसिड की सीमा को नियंत्रित करने के लिए कृषि मंत्रालय द्वारा कुछ नियम बनाए गए हैं, ताकि उपभोक्ताओं को हानिकारक प्रभाव से बचाया जा सके।

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