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Choutala Sucess Story - मनै कै सोनिया गांधी ने पुछणी है,जो काम कह दिया वो होके रहा,ऐसे थे चौटाला

Choutala Sucess Story
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ऐसे थे चौटाला

Choutala Sucess Story - मनै कै सोनिया गांधी ने पुछणी है,जो काम कह दिया वो होके रहा,ऐसे थे चौटाला

औमप्रकाश चौटाला बारे

प्रदेश में कोई ऐसा नेता जिसने कार्यकर्ता को काम हो जाने की हामी भर दी हो और वो काम नही हुआ हो। एक ऐसा नेता जिसने किसी आदमी को नाम से एक बार पुकार लिया हो और उसका नाम भूल गये हो। एक ऐसा नेता जिसने ये कहा हो कि मेरा कहने का ये मतलब नही था मेरे ब्यान को तोड़ मरोड़ को पेश किया हो।

एक ऐसा नेता जिसने अपने आप को कभी किसी के सामने बौना साबित नही होने दिया हो। प्रदेश का एक ऐसा नेता जो कभी किसी हल्के में एक ब्यान और दूसरे हल्के में कोई दूसरा ब्यान देता है यानि की प्रदेश के दौरों के दौरान एक ही बात होती है। एक ऐसा नेता जिसके साथ काम करने वाले हमेशा खुश रहते है चाहे वो सुरक्षा कर्मी हो या अन्य स्टाफ। जी हां हम बात करते हरियाणा प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री व बेबाक स्पष्ट वक्ता औमप्रकाश चौटाला की। औमप्रकाश चौटाला त्वरित प्रश्रों के उत्तर देने में माहिर है वो कभी भी प्रैस के सामने प्रश्रों के उत्तर में उलझते नही है। वो हमेशा प्रैस के लोगों से आक्रामक शैली में बात नही करते। रैली और जनसभा के भाषण दोनों अलग अलग होते है। जनसभा के भाषण पूरे हरियाणा में एक जैसे होते है। उनके साथ रहने वाली मीडिया टीम भी इसी चलते उलझन में रहती है कि साहब एक ही बात बोलेगें और एक बात हर रोज मीडिया में कैसे छपेगी तो उनकी मीडिया टीम को बड़ी परेशानी रहती है। प्रैस नोट रीलिज करने के प्रत्येक दिन कुछ अलग होना जरूरी है। 


 ओम प्रकाश चौटाला का जन्म एक जनवरी 1935 को सिरसा के गांव चौटाला में हुआ था। चौटाला पांच बार हरियाणा के सीएम बने हैं। दो दिसंबर 1989 को चौटाला पहली बार मुख्यमंत्री बने थे। वे 22 मई 1990 तक इस पद पर रहे। 12 जुलाई 1990 को चौटाला ने दूसरी बार मुख्यमंत्री पद को शपथ ली थी, जब तत्कालीन मुख्यमंत्री बनारसी दास गुप्ता को दो माह में ही पद से हटा दिया गया था। हालांकि चौटाला को भी पांच दिन बाद ही पद से त्यागपत्र देना पड़ा था। 22 अप्रैल 1991 को तीसरी बार चौटाला ने सीएम पद संभाला। लेकिन दो हफ्ते बाद ही केंद्र सरकार ने प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगा दिया था। 1993 में उन्होंने नरवाना उपचुनाव जीता। 1996 के लोकसभा चुनाव के बाद उन्होंने हरियाणा लोक दल (राष्ट्रीय) के नाम से नई पार्टी बनाई। 1998 में लोकसभा के मध्यावधि चुनाव में बसपा से गठबंधन कर हरियाणा में पांच लोकसभा सीटें जीती। इसके बाद उनके दल को मान्यता मिली। इसके बाद उनकी पार्टी का नाम बदलकर इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) कर दिया गया। 24 जुलाई 1999 में चौटाला ने चौथी बार सीएम पद संभाला। दिसंबर 1999 में उन्होंने विधानसभा भंग करवा दी और विधानसभा चुनाव के बाद दो मार्च 2000 को चौटाला पांचवीं बार मुख्यमंत्री बने। उसके बाद चौटाला पूरे पांच साल मुख्यमंत्री रहे। जेबीटी शिक्षक घोटाले के चलते उन्हें जेल की सजा हो गई थी लेकिन सजा पूरी होने के बाद भी वो 89 वर्ष की उम्र में सक्रिय राजनीति कर रहे है। 


मऩै के सोनिया गांधी से पुछनी है: एक बार शहर में प्रैस कांन्फ्रैस हो रही थी। चौटाला साहब से पत्रकारों ने पुछ लिया कि आप सब को टिकट देते हो पत्रकारों को टिकट ना देते। बस फिर क्या था, चौटाला साहब ने तुरंत कह दिया भाई आडे तै तेरी टिकट पक्की। पत्रकार बोले वो कैसे, चौटाला साहब की हाजिर जबाबी कमाल की। बोले भाई मै तो अपनी पार्टी का मालिक सू मैने के सोनिया गांधी से पुछ कर टिकट देने सै। पत्रकार ने तो स्थानीय विधायक के नाम की मोहर लगा कै पैंडा छुटवाया। 


कोठी से कभी पौने पर नही निकलते: ओमप्रकाश चौटाला सुबह दोपहर शायं जब भी कहीं जाते है तो समय के बड़ा ध्यान रखते है वो कभी भी पौने पर घर से नही निकलते वो लगभग सवा पर निकलते है। 

नही करते दोबारा किसी को फोन: अपने किसी कार्यकर्ता के काम के लिए वो किसी अधिकारी को दोबारा फोन नही करते। अममुन वो सरकार से बाहर होने के बाद हो सकने वाले काम के लिए ही फोन करते है वो भी एक बार।

मतलब काम हो ही गया।


तेरे नोर्मस भी पूरे नही: एक बार चौटाला का खास कार्यकर्ता जिसके परिवार को चौटाला साहब बाईनेम जानते। उनका लडक़ा विश्वविद्यालय में किसी पोस्ट के लिए सिफारिस के लिए कहा। तुरंत उन्होंनें वीसी को फोन लगाने के लिए बोला। उधर से वीसी साहब का जबाब आया कि साहब लगा तो दू नोर्मस पूरे नही है। चौटाला साहब बोले कि  जब तू वीसी लाया मनै तो नोर्मस तो तेरे भी पूरे ना थे।


चौटाला साहब के निधन से कहा जा सकता है कि आज रहबरे आजम छोटूराम व देवीलाल की विचारधारा का एक सच्चा सिपाही शहीद हो गया

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