डीसी का तुगलकी फरमान, इंडियन करेंसी नॉट अलाउड
डीसी का तुगलकी फरमान, इंडियन करेंसी नॉट अलाउड
प्रदेश सरकार बेशक जनता जनार्दन की सुविधा के लिए अनेक कदम उठा रही है, लेकिन प्रशासन है कि जनता को परेशान करने पर तुला हुआ है। जिला प्रशासन की ओर से जारी किया गया फरमान इन दिनों ई-दिशा केन्द्र में आने वाले लोगों के गले की फांस बन गया है। प्रशासन ने ई-दिशा केन्द्र में इंडियन करेंसी पर बैन लगा दिया है। मतलब यह कि केन्द्र में भारतीय मुद्रा बिलकुल भी स्वीकार नहीं। नकदी की जगह ऑनलाइन पेमेंट ही ली जा रही है। ऐसे में जिन लोगों के पास स्मार्ट फोन नहीं हैं, उनके समक्ष बड़ी दुविधा खड़ी हो गई है। उन्हें या तो इधर-उधर से पैसे मांगने पड़ रहे हैं या बिना काम करवाए वापिस लौटने पर मजबूूर होना पड़ रहा है।
लोग प्रशासन के इस फरमान को तुगलकी बताते हुए कड़ी नाराजगी जता रहे हैं। दरअसल, लघुसचिवालय में स्थित ई-दिशा केन्द्र में काम के सिलसिले में प्रतिदिन सैंकड़ों की संख्या में जिला भर से लोगों का आना-जाना लगा रहता है। रजिस्ट्री करवानी हो, या फर्द निकलवानी हो। जन्म प्रमाण पत्र बनवाना हो या आम्र्स लाइसेंस बनवाना हो, डीएल बनवाना हो या आरसी, हर काम के लिए ई-दिशा केन्द्र का रूख करना पड़ता है। प्रत्येक कार्य के लिए अलग अलग टोकन फीस जमा करवानी होती है। कुछ दिनों पहले तक तो यह फीस नकद ली जाती थी, लेकिन अब केन्द्र में नकदी लेनी बंद कर दी गई है। टोकन के लिए राशि अब ऑनलाइन लेने की व्यवस्था शुरू कर दी गई है। यह व्यवस्था लोगों को जरा भी रास नहीं आ रही। चूंकि ऑनलाइन फीस जमा करवाने के लिए स्मार्ट फोन होना चाहिए। मगर ई-दिशा केन्द्र में आने वाले सभी लोगों के पास स्मार्ट फोन नहीं होते। अनेक लोग ग्रामीण क्षेत्रों से यहां आते हैं। किसी के पास की पैड वाला मोबाइल फोन होता है, तो किसी के पास मोबाइल होता ही नहीं।
ऐसे में ये लोग सरकारी सुविधाओं का लाभ लेने से ना सिर्फ वंचित हो रहे हैं, बल्कि उन्हेंं काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। ई-दिशा केन्द्र में बैठे कर्मचारी डीसी के आदेशों का हवाला देकर अपनी असमर्थता जता रहे हैं।
बिना स्मार्ट फोन ई-दिशा केन्द्र मत आना
ई-दिशा केन्द्र मेें सोमवार दोपहर काफी संख्या में लोग अपने काम के सिलसिले में आए हुए थे। इनमें से ग्रामीण क्षेत्रों से आए उम्रदराज लोग काफी परेशान नजर आए। इन लोगों को कांऊटर पर बैठे कर्मचारी द्वारा बैरंग लौटाया जा रहा था। पूछने पर जमाल के राजेन्द्र सिंह ने बताया कि फर्द लेने आया था। कर्मचारी बोला टोकन फीस 20 रूपए ऑनलाइन जमा करवाओ। कहां से करवाऊ, मेरे पास की पैड वाला फोन है। भंभूर के जगतराम की भी यही व्यथा थी। बोले कि फर्द निकलवाने के लिए टोकन की नकद फीस तो है, पर ऑनलाइन नहीं क्योंकि वह मोबाइल रखता ही नहीं। जगतराम ने कहा कि आस पास देख लिया कोई जान पहचान का आदमी भी नहीं मिला, गांव वापिस जाना पड़ेगा। शहीदांवाली के रमेश लाल का कहना था कि कभी स्मार्ट फोन रखा ही नहीं। की पैड वाला फोन है। ऑनलाइन पेमेंट कैसे करें। मोडियाखेड़ा के राकेश व बप्पा के हरविन्द्र सिंह ने बताया कि यह ऑनलाइन व्यवस्था सरासर नाजायज है। डीसी ऑफिस के रिटायर्ड कर्मचारी गांव फरवाईं निवासी रामेश्वर को भी यही दिक्कत दरपेश आई। इन लोगों ने प्रशासन से सवाल किया कि जिसके पास स्मार्ट फोन नहीं, वो उपभोक्ता क्या करे?
रेडक्रॉस में खुलेआम चल रहा भ्रष्टाचार
रानियां रोड स्थित रेडक्रॉस के दफ्तर में आने वाले लोगों के साथ अवैध वसूली की जा रही है और कर्मचारी को ऐसा करने से रोकने वाला कोई नहीं। कर्मचारी द्वारा की जा रही अवैध वसूली के शिकार गांव ढाबा निवासी विक्रम ने बताया कि उसे डीएल बनवाना था। इसको लेकर वह रानियां रोड स्थित रेडकॉस के दफ्तर में पर्ची कटवाने गया। पर्ची 300 रूपए की थी, जबकि दीपक नामक कर्मचारी ने उससे 400 रूपए वसूल किए और पर्ची 300 रूपए की ही दी। विक्रम ने यह भी बताया कि उसने सिफारिश लगाई थी, तब जाकर 400 में बात बनी, नहीं तो इससे ज्यादा पैसे देने पड़ते। विक्रम का यह कथन बताता है कि रेडक्रॉस दफ्तर में बड़ा घपला चल रहा है और जिला प्रशासन भाजपा सरकार की भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति का पालन करने में असफल साबित हो रहा है।
वर्जन
पिछली 3 तारीख से डीसी साहब के आदेश पर कैशलैस व्यवस्था लागू कर दी गई है। टोकन के लिए उपभोक्ता को ऑनलाइन फीस ही जमा करवानी होगी।
-सुक्खा, कर्मचारी, ई-दिशा केन्द्र सिरसा।