गरीब बच्चों में तेजी से फैल रही बीमारी, जानिए
बीमारी, जानिए
गरीब बच्चों में तेजी से फैल रही बीमारी, जानिए
एक ओर जहां सरकार द्वारा लाखों-करोड़ों का खर्च मात्र छोटे बच्चों को शिक्षा देने के लिए किया जाता है, वहीं अगर इसमें से कुछ पैसा गरीब बच्चों पर खर्च किया जाए तो वह भी भिक्षावृत्ति जैसी बीमारी से निजात पा सकते हैं। क्षेत्र में भिक्षावृत्ति रूपी बीमारी दिनोदिन अपने पैर पसारती जा रही है, अगर शनिवार का दिन हो तो शहर के हर मोहल्ले तथा गलियों में छोटे-छोटे बच्चे अपने हाथ में शनि देव की प्रतिमा व कमंडल लेकर घूमते हुए देखे जा सकते हैं। सबसे बड़ी बात है कि बाल सुधार विभाग इस ओर कोई विशेष ध्यान नहीं दे रहा, जिस कारण क्षेत्र मेंं प्रतिदिन भिखारियों की संख्या बढ़ती जा रही है।
एक तरफ तो बाल विकास के लिए प्रशासन बड़े-बड़े दावे ठोकती है तथा हजारों रुपए बच्चों के कार्यक्रम करवाने पर लगाती है, वहीं भिक्षा मांगने वाले बच्चों की ओर इनका कोई भी ध्यान नहीं। हालांकि ये बच्चे अपनी मर्जी से भीख नहीं मांगते बल्कि इस गैरकानूनी काम को करने के लिए इनके मां-बाप भी जिम्मेदार हैं। हैरानी की बात यह है कि जिन बच्चों ने अभी तक अपने पैर भी नहीं संभाले तथा जिन्हें अभी तक बोलना भी नहीं सीखा वे सडक़ों पर अपने मां-बाप के गोद में भीख मांगते हुए देखे जा सकते हैं। हिसार रोड पर भीख मांग रहे छोटे बच्चे अजय ने बताया कि वे इस काम को पिछले 3 वर्षों से कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि घर की आॢथक स्थिति कमजोर होने के कारण ऐसा करना पड़ रहा है। वहीं उनका कहना है कि उनका भी पढऩे को बहुत मन करता है, लेकिन घर की आॢथक स्थिति के कारण उनसे बचपन से ही भीख मंगवाई जा रही है।
भीख मांगने वाले इनकी तरह क्षेत्र में ऐसे सैंकड़ों भिखारी हैं जो आए दिन भीख मांगते हुए देखे जा सकते हैं। सोचने योग्य बात है कि सरकार ऐसे बच्चों के पुनर्वास पर हर वर्ष करोड़ों रुपए खर्च करती है, लेकिन शहर की स्थिति को देखकर लगता है कि पुनर्वास योजना का धरातल से दूर-दूर तक कोई संबंध नहीं है। हालांकि सरकार अपनी तरफ से इन बच्चों के पुनर्वास का प्रयास करती है, लेकिन विभागीय अधिकारियों की उदासीनता के चलते पुनर्वास योजना का रुपया इन बच्चों तक नहीं पहुंच पाता। शहर का आलम यह है कि बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन, लाल बत्ती चौक, बरनाला रोड, सुभाष चौक, रानियां रोड आदि पर लगभग 30 से 40 तक बच्चे रोजाना भीख मांगने के लिए पहुंच जाते हैं। ऐसे में कई बार तो यात्रियों को इनके कारण परेशानियां उठानी पड़ती हैं। अगर प्रशासन व सरकार द्वारा समय रहते इस ओर पर ध्यान नहीं दिया तो भविष्य में ये बच्चे अज्ञानतावश बड़े-बड़े अपराधों का अंजाम दे सकते हैं।