सूक्ष्म सिंचाई योजनाओं का लाभ उठाएं किसान- डीसी कैप्टन मनोज कुमार पानी की बचत कर पैदा करें भरपूर फसल
Farmers should take advantage of micro irrigation schemes - DC Captain Manoj Kumar to save water and produce abundant crops
Feb 12, 2024, 14:53 IST
यमुनानगर, 12 फरवरी- किसानों की आय में वृद्धि करने तथा फसल उत्पादन के जोखिमों को कम करने के लिए हरियाणा सरकार की ओर से प्रभावी कदम उठाए जा रहे हैं। सरकार द्वारा किसानों के हित में लिए जा रहे निर्णयों को धरातल पर क्रियान्वित किया जा रहा है। इसी उद्देश्य से किसानों को कम पानी लागत में अधिक पैदावार लेने के लिए सूक्ष्म सिंचाई योजना के तहत 85 प्रतिशत तक अनुदान दिया जा रहा है।
डीसी कैप्टन मनोज कुमार ने बताया कि किसानों को सूक्ष्म सिंचाई योजना का लाभ उठाना चाहिए। उन्होंने बताया कि इस योजना के माध्यम से किसान खेत में पानी खड़ा होने, खेत में पानी का असमान वितरण, उर्वरक उपयोग दक्षता को कम कर अपनी फसल की अधिक पैदावार ले सकते हैं। उन्होंने बताया कि हरियाणा सरकार ने किसानों को कृषि से संबंधित सिंचाई के नए आधुनिक तकनीकी साधन प्राप्त करने के लिए सूक्ष्म सिंचाई योजना शुरू की हुई है। इसमें मिनी स्प्रिंकलर सिस्टम पर 85 प्रतिशत तक सब्सिडी का प्रावधान है। उन्होंने कहा कि इस विधि के माध्यम से रासायनिक उर्वरकों को घोल के रूप में पानी के साथ फसल में डाला जा सकता है। इस प्रणाली से पौधों या फसलों को जरूरत के हिसाब से पानी देकर 70 प्रतिशत तक पानी की बचत की जा सकती है। इसके अतिरिक्त योजना के तहत पुराने कुओं का जीर्णोद्धार, टिब्बे पर सूक्ष्म सिंचाई व्यवस्था तथा खेती योग्य भूमि को शत-प्रतिशत पानी के बेहतर प्रबंधन की व्यवस्था की जा सकती है।
डीसी कैप्टन मनोज कुमार ने बताया कि किसानों को सूक्ष्म सिंचाई योजना का लाभ उठाना चाहिए। उन्होंने बताया कि इस योजना के माध्यम से किसान खेत में पानी खड़ा होने, खेत में पानी का असमान वितरण, उर्वरक उपयोग दक्षता को कम कर अपनी फसल की अधिक पैदावार ले सकते हैं। उन्होंने बताया कि हरियाणा सरकार ने किसानों को कृषि से संबंधित सिंचाई के नए आधुनिक तकनीकी साधन प्राप्त करने के लिए सूक्ष्म सिंचाई योजना शुरू की हुई है। इसमें मिनी स्प्रिंकलर सिस्टम पर 85 प्रतिशत तक सब्सिडी का प्रावधान है। उन्होंने कहा कि इस विधि के माध्यम से रासायनिक उर्वरकों को घोल के रूप में पानी के साथ फसल में डाला जा सकता है। इस प्रणाली से पौधों या फसलों को जरूरत के हिसाब से पानी देकर 70 प्रतिशत तक पानी की बचत की जा सकती है। इसके अतिरिक्त योजना के तहत पुराने कुओं का जीर्णोद्धार, टिब्बे पर सूक्ष्म सिंचाई व्यवस्था तथा खेती योग्य भूमि को शत-प्रतिशत पानी के बेहतर प्रबंधन की व्यवस्था की जा सकती है।
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