किस्मत के किंग हैं डा. अरविंद शर्मा चार बार सांसद बनने वाले अरविंद शर्मा ने बनाए सियासत में खास रिकॉर्ड

किस्मत के किंग हैं डा. अरविंद शर्मा चार बार सांसद बनने वाले अरविंद शर्मा ने बनाए सियासत में खास रिकॉर्ड
गोहाना से विधायक चुने गए डा. अरविंद शर्मा को कैबिनेट मंत्री बनाया गया है। विशेष बात यह है कि हरियाणा की सियासत में शर्मा एक ऐसे व्यक्ति हैं जो किस्मत के किंग हैं। यह उनका लक है कि वे पहली बार आजाद चुनाव जीतकर सांसद बने। कांग्रेस से भी सांसद रहे। भारतीय जनता पार्टी से भी सांसद चुने गए। पहली बार विधायक बने तो अब मंत्री बन गए। ऐसे-ऐसे लोगों को हराया, जिन्होंने चौ. देवीलाल व चौ. भजनलाल जैसे चेहरों को हराया था। चौ. देवीलाल के बाद पहले ऐसे नेता रहे जो तीन अलग-अलग संसदीय सीटों से संसद चुने गए। रोहतक से सांसद डा. अरविंद शर्मा हरियाणा की राजनीति के सबसे प्रमुख किरदार हैं। हरियाणा के अब तक के सियासी इतिहास में संसदीय चुनाव के लिहाज से सबसे अधिक रिकॉर्ड भी 61 वर्षीय डा. अरविंद शर्मा के नाम हैं। अरविंद शर्मा अब्दुल गनी के बाद इकलौते ऐसे राजनेता हैं जो आजाद विधायक चुने गए। गनी साल 1967 में गुडग़ांव सीट से आजाद सांसद बने थे जबकि शर्मा साल 1996 में सोनीपत सीट से निर्दलीय विधायक चुने गए थे। शर्मा ने अपने राजनीतिक जीवन में दो राजनीतिक दलों के प्रदेशाध्यक्षों को पराजित किया। पूर्व मुख्यमंत्री चौधरी भजनलाल के अलावा शर्मा ही इकलौते नेता हैं जो तीन अलग-अलग क्षेत्रों से लोकसभ के सदस्य निर्वाचित हुए। यही नहीं शर्मा ने उन चेहरों को राजनीति में शिकस्त दी, जिनके हाथों चौधरी देवीलाल व चौधरी भजनलाल जैसे राजनेताओं को हार का मुंह देखना पड़ा।
दरअसल हरियाणा की राजनीतिक रोचक तथ्यों व अनूठे किस्सों से अटी हुई है। अतीत के चुनावी पन्नों को खंगालें तो दिलचस्प तथ्य मिलते हैं। ऐसे ही कुछ अनूठे तथ्य जुड़े हैं रोहतक के सांसद अरविंद शर्मा के साथ। अरविंद शर्मा चार बार लोकसभा के सदस्य बने हैं। साल 1996 में शर्मा ने आजाद उम्मीदवार के रूप में सोनीपत से ताल ठोक दी। 34 साल के शर्मा साधारण परिवार से ताल्लुक रखते थे। कोई राजनीतिक पृष्ठभूमि नहीं थी। चिकित्सा सेवा छोडक़र सियासत में चले आए। 1996 में सोनीपत सीट से 2,31552 वोट लेते हुए शर्मा ने सोशल एक्शन पार्टी के रिजकराम को 1,82,012 वोटों के अंतर से पराजित किया। कांगे्रेस के धर्मपाल मलिक 5,7615 वोटों के साथ तीसरे स्थान पर रहे। रिजकराम और धर्मपाल मलिक ही वो नेता हैं जिन्होंने देवीलाल को हराया था। साल 2004 में कांग्रेस ने करनाल लोकसभा सीट से शर्मा को टिकट दिया। शर्मा ने 3,18,948 वोट लेते हुए भाजपा के आई.डी. स्वामी को 1,54,186 वोट मिले जबकि इनैलो के अशोक अरोड़ा 1,13,510 वोटों के साथ तीसरे स्थान पर रहे। इस चुनाव में शर्मा 1,64,762 वोटों के अंतर से विजयी हुए। 2009 में तीसरी बार शर्मा लोकसभा के सदस्य चुने गए। इस बार उन्होंने कांग्रेस चुनाव लड़ते हुए 3,04,698 वोट लेते हुए बहुजन समाज पार्टी के वीरेंद्र मराठा को 76,346 वोटों के अंतर से हराया। भाजपा के आई.डी. स्वामी 1,85,437 वोटों के साथ तीसरे स्थान पर रहे। 2019 में भाजपा से चुनाव लड़ते हुए शर्मा ने रोहतक सीट से कांग्रेस के दीपेंद्र सिंह हुड्डा को 7,503 वोटों के अंतर से पराजित किया।
जिन्हें लालों ने हराया, उन्हें शर्मा ने दी शिकस्त
खास पहलू यह है कि डा. अरविंद शर्मा ने उन नेताओं को राजनीति में शिकस्त दी, जिन्होंने कभी हरियाणा के दो लालों को हराया। साल 1983 में देवीलाल को सोनीपत से चौ. रिजकराम ने जबकि 1984 में धर्मपाल मलिक ने हराया। 1996 में रिजकराम व मलिक दोनों को सोनीपत सीट से शर्मा ने हराया। इसी तरह से साल 1999 में आई.डी. स्वामी ने करनाल सीट से चौ. भजनलाल को हराया। स्वामी को 2004 और 2009 में शर्मा ने करनाल से दो बार पराजित किया। इसी तरह से दो दलों के प्रदेश प्रमुखों को भी शर्मा ने पराजित किया। साल 2004 में शर्मा ने इनैलो के तत्कालीन प्रदेशाध्यक्ष डा. अशोक अरोड़ा को जबकि 1996 में धर्मपाल मलिक को हराया। मलिक भी कांग्र्रेस के प्रदेशाध्यक्ष रह चुके हैं।
साधारण परिवार में जन्मे
डा. अरविंद शर्मा का जन्म 25 नवंबर 1962 को झज्जर जिला के एम.पी. माजरा गांव में एक साधारण ब्राह्मण परिवार में हुआ। प्रारंभिक शिक्षा गांव में ही पूरी की। इसके बाद गुजरात के अहमदाबाद विश्वविद्यालय से उन्होंने डैंटल सर्जरी में ग्रेजुएशन किया और इसके अलावा महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय रोहतक से उन्होंने डैंटल सर्जरी में पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की। शर्मा ने कुछ समय तक चिकित्सा क्षेत्र में सेवाएं दी। 9 नवंबर 1989 को उनका विवाह रीटा शर्मा के साथ हुआ।