तख्त श्री दमदमा साहिब तलवंडी साबो के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह जी ने खनोरी मोर्चे से सरकार को लताड़ा!
आज 22वें दिन किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल जी का अनशन खनौरी मोर्चे पर जारी रहा, डॉक्टरों के कहने पर आज जगजीत सिंह डल्लेवाल जी बाहर स्टेज पर नहीं आये क्योंकि डॉक्टरों के अनुसार उनकी हालत आज ज्यादा नाजुक है।
दोनों मोर्चों के किसान नेताओं ने कहा कि मुख्य विपक्षी दल द्वारा MSP कानून एवम जगजीत सिंह डल्लेवाल जी के स्वास्थ्य के मुद्दों पर संसद में पेश किए गए स्थगन प्रस्ताव का स्वागत करते हैं और तमाम राजनीतिक पार्टियों से अपील करते है कि MSP गारंटी कानून के मुद्दे पर सभी राजनीतिक पार्टियां अपने आपसी मतभेद भुलाकर एकजुट होकर संसद में सार्थक चर्चा कर के MSP गारंटी कानून बनाएं जिस से किसानों की आत्महत्या रोकी जा सके। किसान नेताओं ने कहा कि आज किसानों की दयनीय स्थिति के लिए तमाम राजनीतिक पार्टियां ज़िम्मेदार हैं इसलिए सभी राजनीतिक पार्टियों की ज़िम्मेदारी बनती है कि वो MSP गारंटी कानून के मुद्दे पर एकजुट हों ताकि किसानों को गरीबी से बाहर निकाला जा सके।
आज जगजीत सिंह डल्लेवाल जी के आमरण अनशन के समर्थन में राजस्थान के अनूपगढ़, गंगानगर, हनुमानगढ़ एवम हरियाणा के कैथल में 1 दिवसीय भूख हड़ताल करी गयी। कल 16 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट द्वारा बनाई गई कमेटी से दोनों मोर्चों को एक चिट्ठी प्राप्त हुई जिसमें 18 दिसंबर को पंचकूला में मीटिंग के लिए बुलाया गया है। दोनों मोर्चों ने आपसी विचार-विमर्श के बाद कमेटी के साथ मीटिंग में न जाने का फैंसला लिया और कमेटी को लिखित चिट्ठी भेज दी है।
कमेटी की कॉपी -
माननीय नवाब सिंह जी
अध्यक्ष, माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त कमेटी
विषय - 18 दिसंबर की मीटिंग के विषय में हमें मिले पत्र पर हमारा विनम्र जवाब।
माननीय
आपको ज्ञात ही होगा कि 26 नवम्बर से खनौरी बॉर्डर पर मेरा आमरण अनशन चल रहा है, आज मेरे अनशन का 22वां दिन है और उम्मीद करता हूँ कि मेरी मेडिकल स्थिति के बारे में आपको जानकारी मिल ही रही होगी। मेरे आमरण अनशन की घोषणा संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) एवम किसान मजदूर मोर्चा ने 4 नवम्बर को की थी जिसे 43 दिन हो चुके हैं और अनशन शुरू हुए 22 दिन हो चुके हैं, शम्भू बॉर्डर से पैदल दिल्ली जाने का प्रयास कर रहे किसानों पर पुलिस द्वारा ज्यादतियां करी गयी जिसमें 40 से अधिक किसान घायल हुए। आप की कमेटी माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा किसानों व सरकारों में विश्वास बहाली करने के लिए बनाई गई थी लेकिन उसके लिए आप ने कोई ठोस प्रयास अब तक नहीं किये और न ही हमारी जायज़ मांगों को पूरा कराने के लिए केंद्र सरकार से बातचीत का कोई गंभीर प्रयास किया। हमारे दोनों मोर्चों को पहले से ही अंदेशा था कि कमेटियां सिर्फ खानापूर्ति करने के लिए बनाई जाती हैं लेकिन उसके बावजूद आप सब का सम्मान करते हुए हमारा प्रतिनिधिमंडल 4 नवम्बर को आप से मिला लेकिन इतनी गंभीर स्थिति होने के बावजूद आपकी कमेटी अब तक खनौरी एवम शम्भू मोर्चों पर आने का समय नहीं निकाल पाई, आप इतनी देरी के बाद सक्रिय हुए हैं, ये देख के मुझे बड़ा दुःख हुआ। क्या यह कमेटी मेरी मृत्यु का इंतजार कर रही थी? कमेटी के आप सभी सम्मानित सदस्यों की तरफ से हमें इतनी संवेदनहीनता की उम्मीद नहीं थी। मेरी मेडिकल स्थिति एवम शम्भू बॉर्डर पर घायल किसानों की हालत को देखते हुए हमारे दोनों मोर्चों ने फैंसला लिया है कि हम आप से मीटिंग करने में असमर्थ हैं। अब हमारी मांगों पर हम जो भी बातचीत करेंगे वो सिर्फ केंद्र सरकार से ही करेंगे।