मां की संपत्ति पर बेटा-बेटी का कितना अधिकार? जानिए क्या कहता है कानून !
How much right do sons and daughters have on mother's property? Know what the law says!

HARDUM HARYANA NEWS
आमतौर पर आपने देखा होगा कि जमीन और वसीयत की खातिर भाई-भाई भी आपस में दुश्मन बन जाते हैं। परिवार में जमीन को लेकर अक्सर विवाद होता रहता है। ये तो हम सब जानते हैं कि पिता की संपत्ति पर परिवार के हर व्यक्ति अधिकार होता है लेकिन मां कि संपत्ति के बारे में कोई बात नहीं करता।
अगर मां के पास भी अपनी कमाई हुई या उनके नाम की गई कोई संपत्ति है तो ज़ाहिर है कि उस संपत्ति का कोई वारिस भी बनेगा। तो मां की संपत्ति पर किसका कितना अधिकार होता है।
भारतीय विधि के अनुसार, अगर कोई मां अपनी कमाई से संपत्ति अर्जित करती है या अपने पति, पिता या मां से उत्तराधिकार में प्राप्त करती है, तो बेटा या बेटी का उस पर कोई अधिकार नहीं होता। अगर मां चाहे तो अपनी मर्जी से वसीयत के ज़रिए किसी को भी संपत्ति दे सकती है।
लेकिन बिना वसीयत अगर महिला की मृत्यु हो जाती है तो हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम के अनुसार प्रथम श्रेणी के लोगों को वो संपत्ति मिल सकती है।
प्रथम श्रेणी में बच्चे और परिवार के लोग शामिल होते हैं। हिंदू उत्तराधिकार क़ानून, 1956 के अनुसार विवाहित बेटियों का पिता और मां दोनों की संपत्ति में हिस्सा होता है। अगर मां की मृत्यु निर्वसीयत हो जाती है, तो विरासत के क़ानून 1956 के अधिनियम के अनुसार लागू होते हैं।
भारतीय क़ानून के अनुसार मां की संपत्ति में पति, बेटा, बेटी, बेटी के बच्चे और बेटे के बच्चे अधिकार प्राप्त कर सकते हैं। भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम, 1925 की धारा 42 और 43 के अंतर्गत यदि अविवाहित महिला की बिना वसीयत मृत्यु हो जाती है और उसके पिता जीवित हैं तो संपत्ति पिता को प्राप्त होगी।
यदि पिता की भी मृत्यु हो चुकी है तो अविवाहित महिला की संपत्ति मां और उसके भाई-बहनों में समान रूप से विभाजित होगी।