इन गावों में है अपने ही भाई से शादी का रिवाज, जानें क्या है इसके पीछे वजह
भारत के कुछ गांवों और आदिवासी क्षेत्रों में ऐसे कुछ अजीबोगरीब रिवाज आज भी प्रचलित हैं, जिनमें भाई और बहन के बीच विवाह की प्रथा देखने को मिलती है। इस प्रथा को अक्सर "सॉबल्ला विवाह" या "ब्रो-सिस्टर मैरिज" के नाम से जाना जाता है। यह रिवाज आमतौर पर समाज के कुछ खास वर्गों में मौजूद होता है, और इसके पीछे सामाजिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक कारण होते हैं।
कौन से गांवों में है यह रिवाज?
इस प्रकार के विवाह रिवाज विशेष रूप से राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और कुछ आदिवासी क्षेत्रों में देखने को मिलते हैं। इनमें खासकर भील जनजाति, गोंड और कुछ अन्य आदिवासी समूह शामिल हैं। इन गांवों में इस रिवाज का पालन पीढ़ी दर पीढ़ी चलता आ रहा है।
इस रिवाज के पीछे के कारण:
परिवार और संपत्ति की सुरक्षा:
इन क्षेत्रों में कृषि प्रधान जीवनशैली और संपत्ति का वंशानुगत हस्तांतरण बहुत महत्वपूर्ण होता है। भाई-बहन का विवाह करने के पीछे का एक कारण यह होता है कि इस रिवाज से संपत्ति और परिवार की विरासत सुरक्षित रहती है। जब भाई और बहन शादी करते हैं, तो संपत्ति और परिवार की परंपराएं टूटती नहीं हैं और एक ही परिवार में रहती हैं।
सामाजिक सुरक्षा:
यह रिवाज अक्सर समाज की सामाजिक संरचना को मजबूत बनाने के लिए होता है। इन समुदायों में, जहां अक्सर बाहर से विवाह करने की परंपरा नहीं होती, भाई और बहन का विवाह घर की सामाजिक संरचना को बनाए रखता है। यह परिवार और समुदाय की एकता को बनाए रखने का एक तरीका होता है।
महत्वपूर्ण धार्मिक या सांस्कृतिक कारण:
कुछ समुदायों के धार्मिक और सांस्कृतिक विश्वास भी इस रिवाज के पीछे हो सकते हैं। इन समुदायों में माना जाता है कि भाई-बहन का विवाह उनके धार्मिक दायित्व को पूरा करता है और उनके घर में सुख-समृद्धि और शांति बनी रहती है।
रिवाज और परंपरा:
कई बार यह रिवाज इतिहास और संस्कृति के साथ जुड़ा होता है। इस तरह के विवाह पुराने समय की परंपराओं का हिस्सा होते हैं, और उन्हें सामाजिक आदर्श माना जाता है। यह रिवाज सदियों से चला आ रहा होता है और लोगों के लिए एक पारिवारिक परंपरा बन जाता है।
जनसंख्या नियंत्रण के उपाय:
कुछ विशेषज्ञ मानते हैं कि इस प्रकार के विवाहों के माध्यम से जनसंख्या पर नियंत्रण रखा जाता था। पुराने समय में, जब गांवों में सीमित जनसंख्या होती थी, तब भाई-बहन का विवाह इस बात को सुनिश्चित करता था कि परिवार और समाज के अंदर ही लोग रहें और नई पीढ़ी में सामूहिक संबंध बनाए रखें।
समाज पर प्रभाव:
इस रिवाज का समाज पर गहरा प्रभाव होता है। जहां एक ओर यह सामाजिक एकता और परिवार की संरचना को बनाए रखने में मदद करता है, वहीं दूसरी ओर यह मानवाधिकार और कानूनी दृष्टिकोण से कई प्रश्न भी उठाता है।
कानूनी परिप्रेक्ष्य:
भारत के कानून में भाई और बहन के बीच विवाह को वर्जित किया गया है। भारतीय दंड संहिता (IPC) के तहत, भाई और बहन के बीच विवाह कानूनी दृष्टिकोण से अनधिकृत और अवैध होता है। इसके बावजूद, कुछ समुदायों में परंपरागत रिवाजों की ताकत के चलते यह प्रथा कायम रहती है।
भारत के कुछ गांवों में भाई-बहन के बीच विवाह की परंपरा आज भी प्रचलित है। इसका मुख्य कारण परिवार और संपत्ति की सुरक्षा, सामाजिक संरचना को बनाए रखना और ऐतिहासिक परंपराएं हैं। हालांकि, कानूनी दृष्टिकोण से यह रिवाज अवैध माना जाता है, लेकिन समाज में इसकी मौजूदगी और प्रचलन को समझने के लिए सांस्कृतिक और ऐतिहासिक संदर्भ जरूरी हैं।