इनैलो का जाएगा चश्मा, ये है पूरी कहानी

इनैलो का जाएगा चश्मा, ये है पूरी कहानी
हरियाणा के इस चुनाव में कई रिकॉर्ड कायम हुए हैं और खास बात यह है कि 1977 से लेकर 47 वर्षों में अब तक हुए चुनावों में इस चुनाव में क्षेत्रीय दलों को दस प्रतिशत से कम वोट मिले हैं।
हरियाणा के इस चुनाव में इनैलो को 4.14 फीसदी वोटों के साथ 2 सीटों पर जीत मिली है। पिछले चुनाव में 14.84 प्रतिशत वोट के साथ 10 सीटों पर जीत हासिल करने वाली जजपा को इस बार 0.90 प्रतिशत वोट ही मिले हंै और पार्टी कोई भी सीट जीतने में कामयाब नहीं हुई है। 1977 से लेकर अब तक के राजनीतिक इतिहास में यह पहला अवसर है जब क्षेत्रीय दलों का वोट प्रतिशत दस फीसदी से कम रहा हो। 1977 से 1979 तक तो प्रदेश में जनता पार्टी की सरकार रही। 1987 से 1991 तक लोकदल की सरकार थी तो साल 1996 से 1999 तक चौ. बंसीलाल की हरियाणा विकास पार्टी ने भाजपा के साथ मिलकर सरकार चलाई। 1999 से लेकर 2005 तक इनैलो की सरकार में चौ. ओमप्रकाश चौटाला मुख्यमंत्री रहे।
गौरतलब है कि हरियाणा के 58 वर्षों के राजनीतिक सफर में कांग्रेस ने सबसे अधिक लंबे समय तक शासन किया। हरियाणा की राजनीति में क्षेत्रीय दल के रूप में कभी इनैलो की असरकारक भूमिका रही। कभी जनता पार्टी भी रही तो अब भारतीय जनता पार्टी की सरकार है। इन सभी दलों ने किसी चुनाव में बुलंदियों को छुआ तो एक वक्त ऐसा भी आया जब इन्हें अपने सबसे बुरे राजनीतिक दौर से गुजरना पड़ा। मसलन चौधरी देवीलाल के नेतृत्व में लोकदल और अन्य गठबंधन सहयोगियों ने साल 1987 में 85 सीटों पर जीत दर्ज की और उसी लोकदल से बनी इनैलो 2019 में एक सीट पर ही जीत दर्ज कर सकी।
1967 से लेकर लगातार 1977 तक सत्ता में रहने वाली कांग्रेस को साल 1977 के चुनाव में महज 3 सीटें मिली और इसी कांग्रेस ने साल 2005 में 67 सीटों पर जीत प्राप्त कर अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया। गठबंधन सरकार बनवाने वाली भाजपा 1991 और 2005 के चुनाव में दो सीटों पर सिमट गई। महज एक ही चुनाव में दहाई का आंकड़ा पार करने वाली भाजपा ने साल 2014 में 47 सीटों पर जीत हासिल कर पहली बार अपने बलबूते पर सरकार बनाई और इस बार के चुनाव में भाजपा ने अपना सर्वश्रेष्ठ करते हुए 48 सीटों पर जीत मिली। 1977 और 1987 में कांग्रेस का प्रदर्शन सबसे अधिक निराशाजनक जबकि साल 2005 में सबसे अच्छा रहा।
1977 में 75 सीटें जीतकर देवीलाल बने थे पहली बार मुख्यमंत्री
1977 के चुनाव में 17.15 प्रतिशत मतों के साथ कांग्रेस को केवल 3 सीटों पर जीत मिली। उस समय देवीलाल के नेतृत्व में जनता पार्टी की लहर थी और जनता पार्टी को 75 सीटों पर जीत मिली थी। इसके बाद 1987 में देवीलाल और लोकदल की लहर के बीच कांग्रेस 29.18 प्रतिशत मतों के साथ 5 सीटों पर सिमट गई। साल 2005 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने हरियाणा में अपना श्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए 42.46 प्रतिशत मतों के साथ 67 सीटों पर जीत दर्ज की थी।
यह कांग्रेस का सबसे श्रेष्ठ प्रदर्शन रहा। 1982 से लेकर अब तक हुए 7 चुनावों में भाजपा तीन दफा अकेले तमाम सीटों पर चुनावी मैदान में उतर चुकी है। साल 1991 और साल 2005 में हुए विधानसभा चुनावों में पार्टी को 2-2 सीटों पर जीत मिली और यह भाजपा का सबसे खराब प्रदर्शन रहा, मगर इसी भाजपा ने साल 2014 में कमाल कर दिया। मोदी लहर के बीच अक्तूबर 2014 के विधानसभा चुनावों में पार्टी ने 33.20 प्रतिशत वोट हासिल करते हुए 47 सीटों पर जीत दर्ज की और पहली बार भाजपा ने अपने बलबूते पर सरकार बनाई। इससे पहले भाजपा तीन बार 1987, 1996 और 2000 में गठबंधन सरकारों का हिस्सा रह चुकी है। 2024 में भाजपा के नाम सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन का रिकॉर्ड दर्ज हो चुका है।
लोकदल से बनी इनैलो 85 से एक सीट पर सिमटी
इंडियन नैशनल लोकदल का गठन अप्रैल 1998 में हुआ। ओमप्रकाश चौटाला इस दल के मुखिया बने और एक साल के भीतर ही इनैलो साल 1999 में सरकार बनाने में कामयाब हो गई। साल 2000 के विधानसभा चुनाव में इनैलो ने 47 सीटों पर जीत दर्ज कर अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया। इसके बाद साल 2019 में पार्टी का ग्राफ इतना गिरा कि उसे महज एक ही सीट पर जीत मिल सकी।
2019 के विधानसभा चुनावों में इनैलो के इकलौते विधायक अभय सिंह चौटाला बन सके। इनैलो से पहले लोकदल जैसे बड़े सियासी दल के बैनर तले चौधरी देवीलाल ने राजनीति की। साल 1987 के चुनाव में लोकदल, भाजपा सहित कई दलों ने मिलकर चुनाव लड़ा। लोकदल को 60, भाजपा को 16 सीटों पर जीत मिली। 7 आजाद विधायक चुने गए। कुल मिलाकर देवीलाल के नेतृत्व में 85 विधायक चुने गए। यह लोकदल का सबसे श्रेष्ठ प्रदर्शन रहा। उसी लोकदल से बनी इनैलो 2019 में एक सीट जबकि इस बार के चुनाव में 2 सीटों पर जीत हासिल करने में कामयाब रही।