Life of Women in Jail भारतीय जेलों में महिलाओं की ज़िंदगी: एक नज़र
Prison System in India
भारतीय जेलों में महिलाओं की ज़िंदगी: एक नज़र
भारतीय जेलों में महिलाओं का जीवन हमेशा से एक गंभीर और संवेदनशील मुद्दा रहा है। जेल की सलाखों के पीछे महिलाओं की स्थिति, उनके संघर्ष और दैनिक जीवन की वास्तविकता पर अक्सर चर्चा नहीं होती। आइए जानें कि जेल में महिलाओं को किन हालातों का सामना करना पड़ता है।
महिलाओं के अपराधों में वृद्धि
अक्सर यह धारणा होती है कि अपराध केवल पुरुषों द्वारा किए जाते हैं। लेकिन पिछले कुछ वर्षों में महिलाओं के अपराधों और जेल में उनकी संख्या में चौंकाने वाली वृद्धि हुई है। आंकड़ों के अनुसार, महिला कैदियों की संख्या में 61% की वृद्धि हुई है, जो पुरुष कैदियों की वृद्धि दर से कहीं अधिक है। इन महिला कैदियों में से 66% अंडर-ट्रायल हैं, यानी जिनका केस अभी न्यायालय में विचाराधीन है।
महिला कैदियों को मिलने वाली सुविधाएं
महिला कैदियों की संख्या बढ़ रही है, लेकिन जेलों में मूलभूत सुविधाएं अब भी बेहद खराब स्थिति में हैं। अधिकांश महिला कैदियों को पुरुष जेल परिसरों के अंदर एक अलग बैरक में रखा जाता है। इन बैरकों में महिलाओं के लिए सोने की जगह सीमित होती है, और अन्य सुविधाएं भी बहुत निम्न स्तर की होती हैं।
जब कोई नई महिला जेल में आती है, तो सबसे पहले उसकी तलाशी ली जाती है। तलाशी के दौरान उसके कपड़े और गहने उतार लिए जाते हैं। इसके बाद उसका मेडिकल चेकअप किया जाता है। जांच के बाद उसे जेल का बर्तन, थाली, कटोरा, एक दरपट्टी, और एक कंबल दिया जाता है।
जेल का दैनिक जीवन
महिला कैदियों का दिन सुबह गिनती से शुरू होता है। सुबह 6 बजे बैरक खोले जाते हैं, और कैदी अपनी दैनिक क्रियाओं के लिए जाते हैं। हालांकि, शौचालयों की स्थिति बहुत खराब होती है।
सुबह 7 बजे कैदियों को चाय और हल्का नाश्ता दिया जाता है। भोजन की गुणवत्ता बेहद खराब होती है। 10 से 11 बजे के बीच दोपहर का भोजन दिया जाता है, जिसमें चार रोटियां, चावल, दाल (जिसमें दाल नाममात्र होती है), और एक सब्जी दी जाती है। शाम का खाना 5 बजे दिया जाता है, जिसमें चावल नहीं होते।
रात 6 बजे गिनती के बाद महिला कैदियों को वापस बैरक में बंद कर दिया जाता है।
जेल में काम और शोषण
महिला कैदियों को अलग-अलग ग्रुप में बांटकर जेल के भीतर कई काम करवाए जाते हैं, जैसे साफ-सफाई, खाना बनाना, बागवानी, और फैक्ट्रियों में काम। इसके बदले में उन्हें बहुत कम पैसे दिए जाते हैं।
जेल का माहौल महिलाओं के लिए बेहद कठिन होता है। कई बार कैदियों के साथ अमानवीय व्यवहार किया जाता है। जेल स्टाफ की लापरवाही और भ्रष्टाचार की वजह से महिलाओं को छोटी-छोटी चीजों के लिए पैसे देने पड़ते हैं।
एक महिला कैदी का अनुभव
जेल में रह चुकी एक महिला ने बताया, "जेल का माहौल नर्क से कम नहीं है। वहां हर छोटी चीज के लिए संघर्ष करना पड़ता है। खाने की गुणवत्ता बेहद खराब होती है। यदि आप जेल स्टाफ को पैसे देते हैं, तो आपको सुविधाएं मिलती हैं, वरना कुछ नहीं।"
जेल में सुधार की ज़रूरत
महिला कैदियों की संख्या बढ़ने के बावजूद जेल प्रशासन की व्यवस्था में सुधार नहीं हो रहा। मूलभूत सुविधाओं का अभाव, शोषण, और खराब माहौल इन कैदियों की जिंदगी को और कठिन बना देता है। यह वक्त है कि सरकार और प्रशासन इस दिशा में ठोस कदम उठाएं।
भारतीय जेलों में महिलाओं की ज़िंदगी को समझने और उनके अधिकारों के लिए आवाज उठाने की ज़रूरत है। यह सिर्फ कानून व्यवस्था का नहीं, बल्कि एक मानवीय मुद्दा भी है।