Haryana Breaking अनशन के 13वे दिन राष्ट्रीय किसान नेता रमेश दलाल की तबीयत बुरी तरह बिगड़ी!
रमेश दलाल जाट आरक्षण और सम गोत्र विवाह के आंदोलन को स्थगित करने के लिए तैयार नही!
Updated: Mar 14, 2024, 16:01 IST

बहादुरगढ़ एसडीएम, डीएसपी, एसएचओ और डॉक्टरों के बड़े दल के साथ मौके पर रात एक बजे पहुंचे।
बहादुरगढ़: राष्ट्रीय किसान नेता रमेश दलाल पिछले 13 दिन से अनशन पर बैठे है। 12 राज्यों के जाटों को केंद्र की ओबीसी सूची में डलवाने और सम गोत्र विवाह को अवैध करवाने के लिए रमेश दलाल ने आमरण अनशन 1 मार्च से केएमपी मांडोठी टोल बहादुरगढ में आरंभ किया था। सरकार ने इन दो मांगो के संदर्भ 13 दिन से कोई बातचीत नहीं की। दूसरी तरफ प्रशासन ने कई दिनों तक कोई उचित कार्यवाही रमेश दलाल की गिरती सेहत को बचाने के लिए भी नहीं की। एक दिन पहले अनशन के 12 वे दिन भी रमेश दलाल ने सरकार और जनता के नाम अपनी फेस बुक से लाइव वीडियो जारी करते हुए कहा था कि उनके जीवन की सुरक्षा के लिए फिजिशियन डॉक्टर का भी प्रबंध सरकार ने नही किया। सरकार की लापरवाही का आलम यहां तक था कि झज्जर जिले के हेल्थ डिपार्टमेंट में लंबे समय से कोई भी फिजिशियन डॉक्टर नही है। जब पिछले दो दिनों में रमेश दलाल की हालत बिल्कुल बॉर्डर लाइन के निचले स्तर पर पहुंची तो प्रशासन में हड़कंप मच गया। रात को एक बजे वर्ल्ड मेडिकल कॉलेज के वरिष्ट फिजियन डॉक्टरों की एक बड़ी टीम के साथ एसडीएम बहादुरगढ़ पुलिस अधिकारियों के साथ मौके पर पहुंचे। चेक अप के बाद पता लगा की रमेश दलाल की हरदय गति 45 तक पहुंच गई थी। दूसरी तरफ शुगर लेवल बॉर्डर लाइन से नीचे और रक्त चाप बहुत बढ़ गया था। ऐसे में किसी भी समय रमेश दलाल की जान जा सकती थीं। प्रशासन की इस लंबी लापरवाही और हट धर्मिता र्के कारण रमेश दलाल का जीवन पूर्ण रूप से खतरे में पहुंच गया है। रमेश जलन की हृदय गति सिरप 45 और शुगर लेवल बॉर्डर लाइन से बहुत कम हो गया था। इसके अतिरिक्त उनका ब्लड प्रेशर बहुत ज्यादा बढ़ गया था। ऐसी हालत में रमेश दलाल की जान किसी भी समय अचानक जा सकती थी। रात को मौके पर ही डॉक्टरों के बड़े दल ने प्रशासन को सलाह दी कि रमेश दलाल की जान उनको अस्पताल में तुरंत ले जाकर ही बचाई जा सकती है।उसके बाद एसडीएम और पुलिस प्रशासन रमेश दलाल के समर्थकों और रमेश दलाल को अस्पताल में दाखिल करवानें की सलाह देता रहा। लेकिन अनशनकारी इस हालत के लिए प्रशासन की लापरवाही को दोष देते रहे और हस्पताल में रमेश दलाल को ले जाने से मना करते हुए कहा कि अब रमेश दलाल का आमरण अनशन 12 राज्यो के जाटों की अस्मिता, सम्मान और प्रतिष्ठा का मामला है। इसलिए किसी भी सूरत में रमेश दलाल को हस्पताल में नहीं जाने दिया जाएगा।आपसी बातचीत के बाद प्रशासन और आंदोलनकारियो के बीच एक सहमति बनी कि रमेश दलाल का इलाज अनशन स्थल पर ही किया जाए। उसके बाद डॉक्टरों की टीम ने डिप लगाकर तरल लिक्विड नस के माध्यम से चढ़ाना आरंभ किया। ब्लड प्रेशर की गोली और इंजेक्शन दिए गए। रात भर के डॉक्टर्स के प्रयासों से आज सुबह 8 बजे तक भी रमेश दलाल की हृदय गति नॉर्मल नहीं हो पाई है। लेकिन उनका ब्लड प्रेशर और शुगर का लेवल कंट्रोल में आ गया है। लेकिन हृदय गति नहीं बढ़ पाई जिससे रमेश दलाल के जीवन को खतरा अभी भी बना हुआ है। अनशनकारियों ने नए मुख्यमंत्री नायब सैनी से आग्रह किया कि जिस मुद्दे को लेकर रमेश दलाल का आमरण अनशन शुरू हुआ था, उन दोनो मांगो को तुरंत सरकार स्वीकार किया जाए। अन्यथा देश भर के जाट और दूसरी बिरादरिया कोई बहुत बड़ा कदम सरकार के खिलाफ उठा सकती हैं क्योंकि जाट आरक्षण और सम गोत्र विवाह का मामला अब सम्पूर्ण समाज की नस्ल और संस्कृति बचाने की लड़ाई बन गई है।
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