Shambhu Border News Farmers Protest: किसानों पर दागे आंसू गैस के गोले, Ambala में इंटरनेट बंद
शंभू बॉर्डर पर किसान आंदोलन: हरियाणा पुलिस और किसानों के बीच फिर हुआ टकराव
दिल्ली कूच पर अड़े किसान
शंभू बॉर्डर पर आठ महीने से डटे किसान अब दिल्ली जाने की तैयारी में हैं। मंगलवार को 101 किसानों का जत्था शंभू बॉर्डर से दिल्ली के लिए रवाना हुआ। हालांकि, हरियाणा पुलिस ने उन्हें बॉर्डर से कुछ ही दूरी पर रोक दिया। करीब आधे घंटे तक किसानों और पुलिस के बीच बहस हुई।
स्थिति को नियंत्रित करने के लिए पुलिस ने ड्रोन से आंसू गैस के गोले दागे और वाटर कैनन का इस्तेमाल किया। इसके बावजूद किसान दिल्ली कूच की जिद पर अड़े रहे।
हरियाणा में इंटरनेट और एसएमएस सेवाओं पर प्रतिबंध
किसानों के दिल्ली कूच को लेकर हरियाणा सरकार ने अंबाला में 14 से 17 दिसंबर तक इंटरनेट, एसएमएस और डोंगल सेवाएं बंद कर दी हैं। यह प्रतिबंध अंबाला के डांग, डेहरी, लोहगढ़ और सद्दो आपु जैसे गांवों में लागू रहेगा। अधिकारियों का कहना है कि यह कदम संभावित तनाव और कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए उठाया गया है।
किसानों और प्रशासन के बीच बढ़ता तनाव
हरियाणा प्रशासन द्वारा किसानों को रोकने के लिए ड्रोन से आंसू गैस के गोले दागे गए, जिससे एक किसान गंभीर रूप से घायल हो गया। घायल किसान को अस्पताल में भर्ती कराया गया है। इससे पहले भी पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को हटाने के लिए वाटर कैनन का इस्तेमाल किया था।
किसान मजदूर मोर्चा के नेता सरवंत सिंह पंधे ने कहा, "हमारी मांगें स्पष्ट हैं। यह विरोध प्रदर्शन कृषि कानूनों के खिलाफ 307वें दिन में पहुंच चुका है। हम तब तक आंदोलन जारी रखेंगे जब तक हमारी मांगें पूरी नहीं होती।"
केंद्र सरकार की चुप्पी पर किसान नेता की नाराजगी
किसान नेताओं ने केंद्र सरकार और कृषि मंत्री की चुप्पी पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा के नेताओं के बयानों से समाज में विभाजन पैदा हो सकता है। किसान आंदोलन को कमजोर करने के लिए सरकारी एजेंसियां हर संभव प्रयास कर रही हैं।
विरोध प्रदर्शन में बढ़ रही भागीदारी
सरवंत सिंह पंधे ने बताया कि पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के किसान इस आंदोलन में व्यापक भागीदारी निभा रहे हैं। दिल्ली की सीमाओं पर बने प्रदर्शन स्थलों पर किसान खराब मौसम के बावजूद डटे हुए हैं।
मांगों का चार्टर और आगे की रणनीति
किसान 12 मांगों का चार्टर लेकर सरकार से बातचीत की मांग कर रहे हैं। इसमें न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) लागू करने समेत कई अहम मुद्दे शामिल हैं। जैसे-जैसे विरोध तेज हो रहा है, किसान अपनी मांगों को लेकर सरकार पर दबाव बनाने के लिए और आक्रामक रणनीति की तैयारी कर रहे हैं।
गौरतलब है कि किसान आंदोलन सरकार और किसानों के बीच लंबे समय से चले आ रहे गतिरोध का प्रतीक बन चुका है। किसान संगठनों का कहना है कि उनकी मांगें पूरी होने तक यह विरोध प्रदर्शन जारी रहेगा।