सिरसा। सिरसा विधानसभा का चुनावी रणक्षेत्र अब कुरूक्षेत्र की मानिंद सजा हुआ प्रतीत हो रहा है। इस चुनावी समर में सभी छत्रपों ने चुनावी बिगुल फूंक दिया है। महासमर में हर सेनापति अपनी-अपनी समर्पित सेना को रण के लिए तैयार करने में जुटा है। चुनावी दंगल में वाक्युद्ध की गति तेज कर दी गई है। हर नेता विरोधी प्रत्याशी की शब्द कुंडली पाताल चीर कर लाने की होड़ में लगा है। अभी चुनाव को १५ दिन शेष हैं और परिणाम आने में लगभग १८ दिन लगेंगे। ०८ तारीख को फैसला किसके हक में आएगा ये तो भविष्य के गर्भ में है लेकिन वोटों के गुणा-भाग पर अभी से मंथन आरंभ हो गया है। हर बार की भांति इस बार भी सट्टा बाजार का सीधा द ाल इन चुनावों कको प्रभावित करता नजर आ रहा है। हालांकि सट्टा बाजार का अनुमान कभी बेजाया नहीं जाता और इसके पूर्वानुमान से कुछ हद तक वोटों का उलटफेर भी संभव है।
सिरसा के एक अखबार की मानें तो सिरसा की सीट फिलहाल सीधे मुकाबले में भी फंसती नजर आ रही है। सिरसा हॉटसीट पर इस समय विधायक गोपाल कांडा और गोकुल सेतिया के बीच कांटे की टक्कर देखने को मिल रही है। हर रोज के घटनाक्रम कभी कांडा को अप तो कभी गोकुल को मजबूत बना रहे हैं। इसी बीच अगर सट्टा बाजार की रिपोर्ट पर बात करें तो आज की इस टफ फाइट में गोकुल सेतिया गोपाल कांडा से बहुत आगे निकलते दिख रहे हैं। सट्टा बाजार आज गोकुल सेतिया को बड़े अंतराल से बाजी मारते दिखा रहा। सट्टा बाजार के भाव के अनुसार आज अगर गोकुल सेतिया की जीत पर दांव लगाया जाए तो १०० रुपए लगाने पर मात्र ३५ रुपए मिलेंगे वहीं अगर गोपाल कांडा की जीत पर सट्टा लगाते हैं तो १०० रुपए लगाने पर ३०० रुपए दिए जाएंगे। अगर सरल भाषा में समझें तो इस समय सट्टा बाजार गोकुल सेतिया की बड़ी जीत दिखा रहा है।
आने वाले इन १५ दिनों में राजनीति क्या करवट लेती है उसके बारे में आज कुछ भी कहना असंभव है, लेकिन अगर परिणाम इस मुताबिक आते हैं तो ये गोपाल कांडा के लिए एक बड़ी चुनौती साबित होगी। वहीं, चुनावी विश£ेशकों की माने तो स्थितियां दिन-प्रतिदिन बदलती दिखाई देंगी। चूंकि सिरसा सीट पर अभी किसी भी प्रतिद्वंद्वी के पक्ष में एकतरफा माहौल बनता नहीं दिख रहा। बात गोपाल कांडा की करें तो उनके अभेद वोटबैंक को अभी गोकुल भेद नहीं पा रहे तो वहीं, जातीय समीकरणों में वे मजबूत जान पड़ते हैं। अब देखना ये है कि क्या कांडा अपने समर्पित वोट बैंक को अपने पाले में रख पाने में कामयाब होते हैं या गोकुल उन्हें राजी कर पाते हैं। सिरसा विधानसभा की सीट इस समय संपूर्ण हरियाणा में सबसे रोचक सीट बन चुकी हैं। इन विधानसभा चुनावों में इस सीट पर जितने उलटफेर हुए हैं ऐसा प्रदेश की अन्य सीटों पर कम ही देखने को मिला है। चुनाव के आरंभ में जहां गोकुल सेतिया के इनलो से समर्थन लेकर इलेक्शन फाइट की चर्चाए आम थी तो वहीं उसके बाद कांग्रेस की टिकट के लिए जद्दोजहद कर रहे लोकल लीडर्स के साथ गोकुल ने भी दिल्ली में डेरा डाले रखा। हालांकि बाद में वे टिकट पाने में कामयाब भी हो गए। इसके इतर गोपाल कांडा ने आरंभ से ही अपनी पार्टी हरियाणा लोकहित पार्टी के सिंबल पर चुनाव लडऩे की घोषणा कर दी थी। इसी बीच ये अटकलें भी लगाई जाती रही कि गोपाल कांडा सिरसा से भारतीय जनता पार्टी के उ मीदवार हो सकते हैं। वहीं, गोबिंद कांडा के फतेहाबाद से चुनाव लडऩे और उनके सुप़त्र धवल कांडा के रानियां से चुनावी समर में उतरने की चर्चाएं भी सोशल मीडिया में तैर रही थे। आखिरकार नामांकन के आखिरी दिन इन स ाी चर्चाओं पर विराम लग गया। इसके बाद सबको हैरान करते हुए भाजपा ने सिरसा से रोशताश जांगड़ा को अपना उ ाीदवार बना कर एक नई चर्चा को रूप दे दिया तो इसके तुरंत बाद नामांकन वापस लेकर एक बार फिर से कौतूहल पैदा कर दिया। इन सबके बीच ये रियूमर भी जंगल की आग की तरह फैल गया कि भाजपा ने कांडा को कुछ शर्तों के साथ अपना समर्थन दिया है। हालांकि, राजनीतिक मिजाज को समझते हुए गोपाल कांडा ने इससे झूठी अफवाह करार दिया और इनेलो-बसपा-हलोपा द्वारा सांझा कार्यक्रम कर इसे क्लीयर भी किया गया।
खैर, चुनाव को अभी समय शेष है और राजयोग किसके हिस्से आएगा इसकी घोषणा ८ अक्तूकर को होगी। फिलवक्त चुनावी बयार हर खासो-आम को रोमांच दे रही है और चाहे वो किसी भी प्रत्याशी का समर्थक को या फिर न्यूट्रल मतदाता वो इस राजनीतिक अलटफेर का साक्षी बन स्वयं को झूठे वादों, मीठे प्रलोभनों और नेताओं के प्रति विश्वास से त्रस्त दिखाई दे रहा है।