sirsa news update Cdlu मैं LLB की छात्र छात्राओं ने कम हाजिरी व परीक्षा में न बैठने देने पर किया हंगामा..

कक्षाएं नहीं, अटेंडेंस का विवाद बढ़ा
सीडीएलयू (चौधरी देवीलाल यूनिवर्सिटी) के छात्र लगातार अपनी समस्याओं को लेकर परेशान हैं। खासतौर पर राजनीतिक विज्ञान के छात्रों का आरोप है कि उनके सेमेस्टर में केवल 16 कक्षाएं आयोजित की गईं, जिनमें पाठ्यक्रम पूरा होना असंभव था। छात्रों का कहना है कि उन्होंने कई बार शिक्षकों की कमी को लेकर अधिकारियों से संपर्क किया, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई।
75% उपस्थिति का नियम: छात्रों के लिए चुनौती
छात्रों का कहना है कि यूनिवर्सिटी के नियमों के अनुसार, 75% उपस्थिति जरूरी है, लेकिन जब कक्षाएं ही आयोजित नहीं हुईं, तो उपस्थिति पूरी कैसे होगी? कुछ छात्रों ने यह भी आरोप लगाया कि नियमों के बावजूद कुछ छात्रों को परीक्षा में बैठने की अनुमति दी गई, जबकि बाकी छात्रों को बाहर कर दिया गया।
एनसीसी और यूथ फेस्टिवल में भाग लेने वाले छात्रों के साथ भेदभाव
एनसीसी और यूथ फेस्टिवल में भाग लेने वाले छात्रों का कहना है कि वे यूनिवर्सिटी का नाम रोशन करने के लिए हरसंभव प्रयास करते हैं, लेकिन इसके बदले उन्हें परीक्षा में बैठने की अनुमति नहीं दी जा रही। उनका आरोप है कि यूनिवर्सिटी में भेदभावपूर्ण रवैया अपनाया जा रहा है।
प्रशासनिक अधिकारियों से मुलाकात असंभव
छात्रों ने बताया कि उन्होंने अपनी समस्याओं को लेकर रजिस्ट्रार और विभागाध्यक्ष से संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन अधिकारी उनसे मिलने को तैयार नहीं हैं। छात्रों का कहना है कि जब तक उनकी समस्याओं का समाधान नहीं होता, तब तक उनकी परीक्षाएं स्थगित की जानी चाहिए।
ऑफिस बंद और ताला लगाना बना विवाद का कारण
शुक्रवार को छात्रों ने देखा कि यूनिवर्सिटी के कार्यालय बंद हैं, और ताला लगा दिया गया है। यह स्थिति तब थी जब यूनिवर्सिटी में कोई आधिकारिक अवकाश नहीं था। छात्रों ने सवाल उठाया कि कार्यदिवस पर कार्यालयों को बंद क्यों किया गया?
छात्रों की मांग: तत्काल समाधान हो
छात्रों ने अपनी मांगें स्पष्ट की हैं:
- सभी छात्रों के साथ समान व्यवहार हो।
- 75% उपस्थिति का नियम तर्कसंगत तरीके से लागू किया जाए।
- जिन छात्रों की कक्षाएं नहीं हुई हैं, उन्हें परीक्षाओं में बैठने की अनुमति मिले।
- अधिकारियों को छात्रों की समस्याओं पर ध्यान देना चाहिए।
निष्कर्ष
सीडीएलयू के छात्रों की समस्याएं न केवल प्रशासनिक लापरवाही को उजागर करती हैं, बल्कि यह भी दर्शाती हैं कि शिक्षा के बुनियादी अधिकारों की अनदेखी की जा रही है। छात्रों की मांग है कि उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ न किया जाए और सभी समस्याओं का समाधान जल्द से जल्द हो।