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श्रीकृष्ण-रूकमणि विवाह की झांकी ने मोहा मन

The tableau of Shri Krishna-Rukmani marriage captivated the mind.
 
श्रीकृष्ण-रूकमणि विवाह की झांकी ने मोहा मन
भगवत प्राप्ति के लिए निश्चय और परिश्रम भी जरूरी है: योगेंद्र कृष्ण महाराज
 
सिरसा। श्री गौशाला में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा में छठे दिन कथावाचक ने श्रीकृष्ण-रूकमणि के विवाह का वर्णन विस्तार से सुनाया। कथा वाचक योगेन्द्र कृष्ण महाराज ने बताया कि पंच गीत भागवत के पंच प्राण हैं, जो भी ठाकुरजी के इन पांच गीतों को भाव से गाता है, वह भव पार हो जाता है। कथा व्यास ने भगवान का मथुरा प्रस्थान, कंस का वध, महर्षि संदीपनी के आश्रम में विद्या ग्रहण करना कालयवन का वध, ऊधव गोपी संवाद, ऊधव द्वारा गोपियों को अपना गुरु बनाना, द्वारका की स्थापना एवं रुकमणि विवाह के प्रसंग का संगीतमय भावपूर्ण पाठ किया गया। आचार्य ने कहा कि महारास में भगवान श्रीकृष्ण ने बांसुरी बजाकर गोपियों से आह्वान किया और महारास लीला द्वारा ही जीवात्मा परमात्मा का मिलन हुआ। जीव और ब्रह्म के मिलने को ही महारास कहते हैं। कथा में भजन तो सुन मुरली की तान दौड़ आई सांवरिया... पर श्रोता भाव विभोर होकर नृत्य करने लगे। उन्होंने कहा कि आस्था और विश्वास के साथ भागवत प्राप्ति आवश्यक है। भगवत प्राप्ति के लिए निश्चय और परिश्रम भी जरूरी है। महाराज जी ने कहा कि भगवान कृष्ण ने 16 हजार कन्याओं से विवाह कर उनके साथ सुखमय जीवन बिताया। इस दौरान श्रीकृष्ण और रूकमणि के विवाह की झांकी ने श्रद्धालुओं को आनंदित कर दिया। कार्यक्रम में पुरुषोत्तम शर्मा, जय गोविंद एडवोकेट, सत्यनारायण झूंथरा, केवल कृष्ण बठला, राजेंद्र अग्रवाल, अशोक बंसल, पवन हिसारिया तथा समस्त गौशाला प्रबंधक कमेटी के सदस्य गण उपस्थित रहे।
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