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अभिभावकों को दोनों हाथों से लूटने में लगा सेंट जेवियर्स स्कूल प्रबंधन स्कूल की मनमानी के आगे प्रशासन व शिक्षा विभाग ने डाले हथियार

बिना लाभ-हानि के था स्कूल का आधार
 
अभिभावकों को दोनों हाथों से लूटने में लगा सेंट जेवियर्स स्कूल प्रबंधन स्कूल की मनमानी के आगे प्रशासन व शिक्षा विभाग ने डाले हथियार
सिरसा। सेंट जेवियर्स सीनियर सैकेंडरी स्कूल, रेलवे कॉलोनी सिरसा में वित्तीय अनियमितताएं चल रही हैं। हालांकि सोसायटी ऑफ  पिलर पंजाब एवं हरियाणा द्वारा चलाए जा रहे इस स्कूल का आधार बिना लाभ व हानि के आधार पर हुआ है। इसके विपरीत स्कूल प्रशासन, जिला प्रशासन की आखों तले अभिभावकों को मोटा चूना लगा रहा है। हरियाणा सरकार व जिला प्रशासन से अनुरोध है कि स्कूल द्वारा बरती जा रही अनियमितताओं की गहनता से जांच करवाई जाए। इसके साथ-साथ वर्ष 2011 से लेकर चल रहे वित्तीय वर्ष तक की गहनता से जांच करवाई जाए।
स्मार्ट क्लास शुल्क वृद्धि:
 स्मार्ट क्लास शुल्क 2700 (अनुमानित) छात्रों से 270-275 रुपये प्रति माह वसूल रहा है। जबकि पिछले 11 वर्षों से स्मार्ट क्लास पर प्रति वर्ष 5-10 लाख खर्च कर रहा है। स्कूल समय-समय पर नियमों को ताक पर रख कर फीस बढ़ा रहा है। इस प्रकार स्कूल ने शैक्षणिक सत्र 2021-22 में 2700 गुणा 250 गुणा 12 यानि कुल 8100000 लाख रुपये अनुमानित एक वर्ष में जुटाए हैं। सत्र 2023-24 में लगभग 2600 छात्र हैं और शुल्क 275 रुपये प्रति छात्र प्रति माह है। इसलिए 2600 गुणा 275 गुणा 12 यानि कुल 8580000 रुपए, ज बकि इस समय भी स्कूल द्वारा इन सब पर मात्र 5 से 10 लाख रुपये ही खर्च किये गये हैं।
कोविड-19 लॉकडाउन अवधि में स्मार्ट क्लास फीस ली गई:
स्कूल ने कोविड-19 महामारी लॉकडाउन में भी स्मार्ट क्लास फीस ली है, जबकि स्कूल इस बात से इनकार कर रहा है कि उन्होंने इस अवधि के दौरान स्मार्ट क्लास फीस नहीं ली है। इन बातों को साबित करने के लिए स्कूल ने कुछ फर्जी फीस पर्ची भी प्रस्तुत की है। लॉकडाउन अवधि के दौरान छात्रों के लिए वीडियो बनाने के लिए स्कूल द्वारा केवल एक कंप्यूटर और टच बोर्ड का उपयोग किया गया था, लेकिन स्कूल ने बच्चों के अभिभावकों के सामने प्रदर्शित किया कि हम स्मार्ट कक्षाओं का उपयोग कर रहे हैं। स्मार्ट क्लास चलाने वाली कम्पनी को कोई स्मार्ट क्लास राशि का भुगतान नहीं किया गया। स्कूल ने कई महीनों तक किसी भी स्मार्ट क्लास कंपनी को भुगतान और राशि नहीं दी और जब राशि दी गई तो लॉकडाउन/महामारी के नाम पर उनसे छूट ली और उन्हें बताया कि स्कूल अभिभावकों से कोई शुल्क नहीं ले रहा है। इसलिए तथ्यों का पता लगाने के लिए स्कूल का पूर्ण खाता ऑडिट करें और कोविड-19 महामारी के दौरान माता-पिता से स्मार्ट क्लास के नाम पर ली गई फीस को अभिभावकों को वापिस करवाएं, जो लगभग 1 करोड़ रुपये के करीब बनती है। प्रशासन से अनुरोध है कि स्मार्ट क्लास कम्पनी को भुगतान की गई राशि के चालान, ट्रांजेक्श्क्र अथवा चेक इत्यादि का विवरण के साथ सितंबर 2020 से मार्च 2022 के बीच स्मार्ट क्लास की कंपनी को भुगतान किए गए चालानों, ट्रांजेक्शन अथवा चेक का उचित विभागीय ऑडिट करवा कर बचत के नाम पर अर्जित धन को स्कूल द्वारा किस श्रेणी में जमा दिखाया है, का पता लगाने का कष्ट करें।
शिक्षा विभाग ने भी स्कूल की मनमानी के खिलाफ डाले हथियार:
उपरोक्त विषय में पहले भी अनिल कुमार द्वारा लगाई गई सीएम विंडो सीएम ऑफ/2023/028333 के तहत जिला शिक्षा अधिकारी को लिखा गया था। उस समय जांच में पाया गया था कि स्कूल द्वारा शिकायत/जांच में प्रशासन के अनुरोध के बावजूद स्मार्ट क्लास फीस का उचित डाटा प्रदान करने में सक्षम नहीं था। इसलिए, स्कूल को प्रशासन द्वारा कार्यवाही के नाम पर मात्र एक चेतावनी पत्र जारी किया गया था, जिससे स्पष्ट है स्कूल की मनमानी के आगे प्रशासन ने भी हथियार डाल दिए हंै। मामले की गम्भीरता को देखते हुए उचित व सम्बंधित विभाग द्वारा जांच करवाई जाए।
विकलांग अथवा घायल विद्यार्थी के लिए कोई रैंप या लिफ्ट नहीं:
स्कूल में विकलांग/घायल छात्रों के लिए कोई रैंप या लिफ्ट नहीं है। स्कूल हरियाणा सरकार व सी बी एस ई के उचित दिशानिर्देशों का पालन नहीं कर रहा हैं। छात्रों को किसी दुर्घटना का सामना करने की स्थिति में बहुत समस्या का सामना करना पड़ता है और उन्हें स्कूल की दूसरी या तीसरी मंजिल पर जाना पड़ता है तो बहुत दिक्कत होती है।
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