राज्य सूचना आयोग की बड़ी कार्रवाई,आरटीआई एक्ट की उल्लंघना के दोषी चार पालिका सचिवों के वारंट जारी कर 15 जुलाई को चंडीगढ़ तलब किया

राज्य सूचना आयोग की बड़ी कार्रवाई,आरटीआई एक्ट की उल्लंघना के दोषी चार पालिका सचिवों के वारंट जारी कर 15 जुलाई को चंडीगढ़ तलब किया
25000/- रुपये जुर्माने का शो काज़ नोटिस भी जारी किया
समालखा, 4 जुलाई।
राज्य सूचना आयुक्त प्रो.(डॉ) जगबीर सिंह ने आरटीआई की सूचना न देने के दोषी चार पालिका सचिवों के वारंट जारी कर इन चारों अधिकारियों को आगामी 15 जुलाई को चंडीगढ़ तलब किया है । एस पी सोनीपत को इन चारों पालिका सचिवों के खिलाफ जमानती वारंट भेज कर इन्हें आगामी 15 जुलाई को चंडीगढ़ को निजी तौर पर पेश होने के आदेश दिये हैं । इन पालिका सचिवों में नगरपालिका कुंडली के सचिव पवित्र गुलिया,घरौंडा नगरपालिका सचिव रवि प्रकाश,रानियाँ (सिरसा)पालिका सचिव आशीष कुमार व सोनीपत नगर निगम के प्रोजेक्ट ऑफिसर राकेश कादियान शामिल हैं ।
यह है मामला: -
आरटीआई एक्टिविस्ट पी पी कपूर ने चार वर्ष पहले 16 मई 2020 को समालखा नगर पालिका में आरटीआई आवेदन लगा कर सफाई कार्यों के ठेके बारे सूचना मांगी थी ।लेकिन इन चारों पालिका सचिवों ने समालखा नगर पालिका में पालिका सचिव पद पर अपनी नियुक्ति के दौरान कपूर के इस आरटीआई आवेदन का कोई जवाब तक नहीं दिया । राज्य सूचना आयोग ने 9 फ़रवरी 2021, 2 मार्च 2921 व 15 मार्च 2022 को समालखा नगर पालिका के सचिव पवित्र गुलिया को 15 दिन में सूचनाएं देने के आदेश दिये और उनके खिलाफ 25,000/- रुपये जुर्माने का नोटिस जारी किये । पालिका सचिव पवित्र गुलिया ने ना तो सूचना सूचना दी और न ही नोटिस का जवाब दिया । इसके बाद नगर पालिका समालखा में सचिव के पद पर तैनाती के दौरान पालिका सचिव रवि प्रकाश,आशीष कुमार व राकेश कादियान ने भी कोई सूचना नहीं दी । इस केस की गत 7 मई 2024 को सूचना आयोग में सुनवाई के दौरान भी ये चारों अधिकारी हाजिर नहीं हुए और न ही गैर हाजिर रहने बारे आयोग को कोई प्रार्थना पत्र भेजा ।
राज्य सूचना आयुक्त प्रो. (डा.) जगबीर सिंह ने चारों पालिका सचिवों के इस आरटीआई एक्ट विरोधी आचरण का कड़ा संज्ञान लेते हुए एसपी सोनीपत को इन चारों के खिलाफ जमानती वारंट भेज कर इनको 15 जुलाई को पेश करवाने के आदेश दिये हैं ।
पीपी कपूर ने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार और सूचना आयोग ने प्रदेश में आरटीआई एक्ट का भट्ठा बैठा दिया है ।जन सूचना अधिकारी न तो सूचना देते हैं, न जुर्माना राशि जमा कराते,सूचना आयोग के आदेशों को ठेंगे पर रखते हैं ।