प्रभु दर्शन मोक्ष की प्राप्ति का परम साधन- स्वामी दिनेशानंद महाराज

चौपटा - महर्षि दयानंद सरस्वती गौशाला नाथूसरी कलां में वीरवार को श्री राम कथा के चौथे दिन महामंडलेश्वर योगाचार्य स्वामी भगवान देव परमहंस के शिष्य स्वामी दिनेशानंद महाराज ने प्रसंग सुनते हुए कहा कि हे जीव। जिस मालिक से बिछुड़ा है, उसी के संग जुडने के लिए ही तो तुझे यह देव दुर्लभ मानव सुलभ हुआ है आत्म दर्शन, ब्रह्म साक्षात्कार ही तो तेरे जीवन का चरम लक्ष्य है। कोटि-कोटि योनियों में भटकता हुआ । भीषण दुख-पर दुख भोगता हुआ जब तू तड़प उठा, कराह उठा तब तेरी इस दयनीय, शोचनीय दशा पर प्रभु को तरस आ गई। तुझे यह देह रत्न देकर एक स्वर्णिम अवसर प्रदान कर दिया। । प्रभु दयालु है, दीन व्त्सल है। उन्होंने तेरी इस इच्छा को भी पूरा कर दिया ओर तुझे नर के रूप में खुले संसार में लाकर खड़ा कर दिया.
बड़े भाग्य मानुष तनु पावा । सुर दुर्लभ सब ग्रंथन्हि गाव।। सावन धाम मोक्ष कर द्वारा । पाइ न लेहि परलोक संवारा ।
( राम चरित मानस उत्तर काण्ड) यह शरीर चौरासो लाख योनियों में सर्वश्रेष्ठ और उनका मुकुट है श्रृंगार है। प्रभु दर्शन, मोक्ष की प्राप्ति का परम साधन है, इस देव दुर्लभ, प्रभु की आसीम कृपा और परम भाग्य से प्राप्त शरीर से चाहें तो साधना करके नाम भक्ति की कमाई करके अपने स्वरूप की पहचान कर उस सर्वोच्च, सर्वोकृष्ट प्रभु के धाम में आसन जमा सकता है। इस मौके पर सरपंच रीटा कासनियां, संतलाल, हरि सिंह कासनियां, कुलदीप, सुरेश गोयल, मदनलाल सोनी, राजेंद्र जांगड़ा, रणवीर स्वामी, प्रहलाद कासनियां, सुरजीत कड़वासरा, महेंद्र कासनियां सहित कई मौजूद रहे।