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दो "सरिए" नहीं होने देंगे चौटाला परिवार में एकता

दो "सरिए" नहीं होने देंगे चौटाला परिवार में एकता

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 चौटाला परिवार में एकता

हरियाणा की सियासत: चौटाला परिवार में एकता का सवाल

हरियाणा की राजनीति में इस समय सबसे बड़ी चर्चा यह है कि क्या चौटाला परिवार एक होगा या दोनों पार्टियां अलग-अलग राहों पर चलेंगी। देवीलाल परिवार के चार पीढ़ियों से जुड़े समर्थकों का मानना है कि यदि परिवार एकजुट होता है, तो सियासत बची रह सकती है। लेकिन अगर परिवार विभाजित रहा, तो दोनों पार्टियों के अस्तित्व पर खतरा मंडरा सकता है।

राकेश टिकैत का आह्वान और पारिवारिक राजनीति

ओम प्रकाश चौटाला के निधन के बाद इस मुद्दे पर चर्चा तेज हो गई है। राकेश टिकैत ने भी चौटाला परिवार से एकजुट होने का आह्वान किया, लेकिन इसे ज्यादा समर्थन नहीं मिला। अभय चौटाला के बयान और उनके राजनीतिक रुख ने संकेत दिए हैं कि परिवार में एकता की संभावना कमजोर है।

अभय चौटाला की रणनीति

अभय चौटाला को लगता है कि उनके समर्थक, जो दुष्यंत चौटाला की पार्टी जेजेपी के साथ गए थे, जल्द ही वापस लौट आएंगे। ओम प्रकाश चौटाला की अस्थि कलश यात्रा के जरिए उन्होंने अपने बेटे अर्जुन चौटाला को देवीलाल समर्थकों के बीच एक उत्तराधिकारी के रूप में प्रस्तुत किया।

अभय को यह भी विश्वास है कि दुष्यंत चौटाला के खिलाफ जनता में नाराजगी उनके पक्ष में माहौल बना सकती है। हालांकि, परिवार की एकता के लिए अभय किसी भी सूरत में दुष्यंत की अगुवाई स्वीकार करने को तैयार नहीं हैं।

दुष्यंत चौटाला का दृष्टिकोण

डिप्टी मुख्यमंत्री बनने के बाद दुष्यंत चौटाला को लगता है कि उनके पास लंबा राजनीतिक करियर है। उनका मानना है कि जनता उनके पास खुद लौटेगी, जैसे 1980 के दशक में देवीलाल के पास लौटी थी। हालांकि, यह सोच शायद उन्हें जमीनी हकीकत से दूर कर रही है।

परिवार में एकता की संभावनाएं और बाधाएं

अभय और दुष्यंत चौटाला दोनों अपनी-अपनी पार्टियों की अगुवाई करने के लिए अड़े हुए हैं। दोनों नेताओं के बीच का अहम और वहम परिवार को एकजुट करने में सबसे बड़ा रोड़ा बन चुका है।
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर दोनों पार्टियां एकजुट होती हैं, तो कांग्रेस और बीजेपी को कड़ी चुनौती दे सकती हैं। लेकिन अलग-अलग चुनाव लड़ने पर दोनों ही पार्टियों के लिए 2029 का चुनाव 2014 की तरह असफल साबित हो सकता है।

क्या चौटाला परिवार की एकता संभव है?

चौटाला परिवार में एकता को लेकर उम्मीदें धूमिल होती दिख रही हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि परिवार अपनी राजनीतिक विरासत बचाने के लिए क्या कदम उठाता है।

आपकी राय
आपको क्या लगता है, चौटाला परिवार में एकता संभव है? परिवार के भीतर सबसे बड़ी बाधा क्या है, और इसे कैसे हल किया जा सकता है?

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